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इतिहास में आज: 26 मार्च

२५ मार्च २०१४

26 मार्च को बांग्लादेश के स्वाधीनता दिवस के रूप में मनाया जाता है. सन 1971 में इसी दिन बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अपनी आजादी की घोषणा की.

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Bangladesch Nationalflagge Aktion
तस्वीर: Reuters

1947 में अंग्रेजों से आजादी मिलने के साथ ही ब्रिटिश इंडिया को भारत और पाकिस्तान में बांट दिया गया. आजादी के बाद मुस्लिम बहुल आबादी वाले इलाके को मिलाकर पाकिस्तान बना. पाकिस्तान के दो हिस्से थे. एक भारत के पश्चिमी हिस्से में पश्चिम पाकिस्तान जो राजनीतिक रूप से ज्यादा शक्तिशाली था और दूसरा हिस्सा भारत के पूर्वी हिस्से में जो पूर्वी पाकिस्तान कहलाया.

पश्चिमी पाकिस्तान में सिंध, पठान, बलोच और उर्दू भाषी मुहाजिर रहते थे जबकि पूर्वी पाकिस्तान की आबादी बंगला बोलने वाली थी. देश के राजकाज में पूर्वी पाकिस्तान की ज्यादा नहीं चलती थी और यह बात वहां के लोगों को नहीं भाती थी. जब उर्दू को राजभाषा घोषित कर दिया गया तो बंगलाभाषियों का असंतोष और बढ़ गया. इस असंतोष को देखते हुए पूर्वी पाकिस्तान के नेता शेख मुजीब-उर-रहमान ने अवामी लीग का गठन किया और 1970 के चुनावों में भारी मतों से जीत हासिल की. लेकिन संसद में बहुमत हासिल करने के बाद भी उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की बजाय राजनीति में ज्यादा सशक्त पश्चिमी पाकिस्तान के सैनिक शासकों ने उन्हें जेल में डाल दिया.

इसी घटना ने पाकिस्तान के विभाजन के बीज बोए. 25 मार्च की देर रात राष्ट्रपिता माने जाने वाले बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम का आह्वान किया और देश को आजाद घोषित कर दिया. उन्हें 26 मार्च को ही गिरफ्तार कर लिया गया. इस संघर्ष में बहुत खूनखराबा हुआ और लाखों लोगों ने भागकर पड़ोसी देश भारत में शरण ली. अगले नौ महीने तक चली आजादी की यह लड़ाई पाकिस्तानी सेना के खिलाफ एक गृहयुद्ध बन गई और भारत पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तानी सेना की हार के साथ खत्म हुई. बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी को भारत ने सैनिक सहयोग दिया. पाकिस्तानी सेना ने आखिरकार 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इस दिन को बांग्लादेश विजय दिवस के रूप में मनाता है.