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इतिहास में आज: 29 मई

२८ मई २०१४

1953 में आज ही के दिन दो इंसानों ने धरती की सबसे ऊंची चोटी पर कदम रख कर इतिहास रच दिया. उन्होंने सागरमाथा के माथे पर साहस का तिलक लगा दिया.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo

माउंट एवरेस्ट का नेपाली नाम सागरमाथा है. 1952 में एक स्विस पर्वतारोही नेपाल और तिब्बत के रास्ते 8,848 मीटर ऊंचे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने निकला. उसने भी नेपाल के शेरपा तेनजिंग नॉर्गे को साथ लिया. लेकिन खराब मौसम की वजह से ये साहसिक सफर अधूरा रह गया. कहा जाता है कि एशिया से लौटकर वो स्विस पर्वतारोही यूरोप में आल्प्स की पहाड़ियों पर गया. वहां उसकी मुलाकात न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी से हुई. बातचीत में उसने हिलेरी को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई करने की कोशिश का वाकया बताया. हिलेरी ने उसी क्षण ठान लिया कि वो भी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ेंगे.

साल भर बाद पर्वतारोहियों का बड़ा दल नेपाल पहुंचा. एक सदस्य के तौर पर हिलेरी भी उसमें शामिल थे. नेपाल में उन्होंने सबसे पहले तेनजिंग नॉर्गे को खोजा. इसके बाद दल के 400 लोगों ने सागरमाथा की चढ़ाई शुरू कर दी. इनमें 362 लोग सामान ढोने वाले थे.

Bergsteiger Mount Everest Gipfel Himalaya
हिलेरी स्टेपतस्वीर: STR/AFP/GettyImages

मार्च 1953 में 7,890 मीटर की ऊंचाई पर बेस कैंप बनाया गया. 26 मई को दो लोगों ने चढ़ाई की कोशिश की लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर फेल होने की वजह से उन्हें वापस लौटना पड़ा. अगले दिन कुछ और पर्वतारोही ऊपर गए और उन्होंने 8,500 मीटर पर एक और कैंप बना दिया. इसके बाद हिलेरी और तेनजिंग की बारी आई.

सबसे मुश्किल 8,500 मीटर के बाद का रास्ता था. वहां ऐसी तीखी चढ़ाई थी जिसे पहली बार एडमंड हिलेरी ने ही पार किया. तब से उसे हिलेरी स्टेप कहा जाता है. हिलेरी से भी ज्यादा चुनौती तेनजिंग के कंधों पर थी. उनकी पीठ पर 14 किलोग्राम का पिट्ठू था. इसके बावजूद 29 मई 1953 को सुबह साढ़े 11 बजे एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे ने माउंट एवरेस्ट के नाम से दुनिया भर में मशहूर सागरमाथा चोटी फतह कर ली. एडमंड हिलेरी ने वहां तेनजिंग की तस्वीर खींची. हिलेरी ने फोटो खिंचवाने से मना कर दिया.

दुनिया के शीर्ष पर 15 मिनट बिताने के बाद दोनों लौट आए. उनके इस अभियान ने दुनिया भर के पर्वतारोहियों की हिम्मत जगा दी. अब तक माउंट एवरेस्ट पर 4,000 लोग चढ़ चुके हैं. 250 पर्वतारोही बर्फ की उन वादियों में जान गंवा चुके हैं. माउंट एवरेस्ट अभियान आज नेपाल की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है.