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इराक में 40 भारतीयों का अपहरण

१९ जून २०१४

इराक के हिंसा प्रभावित इलाकों में कई भारतीय फंसे हुए हैं. एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने वाले चालीस भारतीय मोसुल शहर के पास से अगवा हो गए हैं तो वहीं छियालिस नर्सें तिकरित के एक अस्पताल में फंसी हैं.

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तस्वीर: Reuters

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद अकबरुद्दीन ने बुधवार को बताया कि अब तक अपहरणकर्ताओं ने कोई संपर्क नहीं किया है और ना ही किसी तरह की फिरौती की मांग की गई है. पिछले हफ्ते के दौरान चरमपंथी मोसुल शहर में फैल गए और बहुत सारे इलाकों में कब्जा कर लिया. रास्ते में अतिक्रमण करते हुए वे राजधानी बगदाद की ओर बढ़े.

अभी साफ पता नहीं चल पाया है कि भारतीय कर्मचारियों को कब अगवा किया गया. अकबरुद्दीन ने इनके बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अगवा हुए ज्यादातर लोग पंजाब जैसे उत्तरी भारत के राज्यों से थे और इराक में एक तुर्की कंपनी तारिक नूर अल हुदा के लिए काम कर रहे थे. पंजाब के अमृतसर शहर में रहने वाले इन अगवा हुए कर्मचारियों के परिजनों ने बताया कि उन्हें मोसुल शहर में रह रहे कुछ भारतीय लोगों ने रविवार को फोन किया था. प्रभावित परिवारजन सरकार से अगवा किए गए लोगों को सही सलामत वापस लाने की मांग कर रहे हैं.

संकट इराक में सीमित नहीं

Nuri al-Maliki Irak Ministerpräsident
राष्ट्रपति नूरी अल मलीकी को चरमपंथी सत्ता से हटाना चाहते हैंतस्वीर: AFP/Getty Images

पिछले मंगलवार को इराक में सेना के साथ संघर्ष के बीच सुन्नी चरमपंथियों के संगठन आईएसआईएस ने मोसुल पर कब्जा जमाया था. बुधवार को इराक के राष्ट्रपति ने बताया कि इराकी सेना ने आईएसआईएस के लड़ाकों के खिलाफ जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी है. कट्टरपंथी इस्लामी संगठन आईएसआईएस इराक और सीरिया के कई इलाकों में बर्बर तरीके से अपना हुक्म चलाता है. आईएसआईएस के नेता अबु बकर अल बगदादी के समर्थक सुन्नी हैं और वह बगदाद में शिया राष्ट्रपति नूरी अल मलीकी को सत्ता से हटा कर केवल शरीया के आधार पर देश में शासन चलाना चाहते हैं. दूसरी ओर ईरान शियाओं की मदद अमेरिका को साथ मिलकर करना चाहता है. अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने अभी इस पर अपना पक्ष साफ नहीं किया है.

भारत वापस लौटना नहीं है विकल्प

इराक में काम करने वाले कुल दस हजार भारतीय नागरिकों में से करीब 100 ही हिंसाग्रस्त असुरक्षित इलाकों में हैं. अकबरुद्दीन ने बताया कि इन 100 लोगों में से ही 46 भारतीय नर्सें इराक के तिकरित शहर के एक अस्पताल में फंसी हुई हैं. उन्होंने बताया कि एक मानवतावादी संगठन का इन नर्सों से संपर्क बना हुआ है और वे सभी सुरक्षित हैं. अकबरुद्दीन ने कहा, "जो भी नर्स भारत वापस आना चाहती है हम उसकी मदद से लिए तैयार हैं. ज्यादातर वहीं (इराक में) रूकना चाहती हैं." अस्पताल में फंसी सभी 46 नर्सें दक्षिणी केरल की रहने वाली हैं. इनकी उम्र 24 से 40 साल के बीच है. अस्पताल में काम करने वाली नर्सों के दो महीने से चार महीने तक का वेतन बकाया है. बकाया वेतन की समस्या के कारण ये नर्सें तिकरित अस्पताल में काम करने से परहेज करने लगी हैं.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि इराक में फंसे भारतीयों के बारे में जानकारी देने के लिए 24 घंटे काम करने वाला एक कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है और एक वरिष्ठ राजनयिक को बगदाद भेजा गया है. उनकी कोशिश होगी कि वे शुक्रवार तक कुछ नागरिकों को लेकर वापस लौटें.

आरआर/एमजी(एपी)