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इसरो के रॉकेट ने भरी एक और ऊंची उड़ान

२६ सितम्बर २०१६

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने पहली बार आठ सैटेलाइटों को दो अलग अलग कक्षाओं में भेजा. इस सफल लॉन्च के जरिये इसरो ने कामयाबी की एक और लंबी छलांग लगाई है.

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Indien Start Rakete PSLV-C35
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Sankar

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सोमवार सुबह इसरो के PSLV-C35 रॉकेट ने उड़ान भरी. सवा दो घंटे के ऑपरेशन के बाद रॉकेट आकाश में निर्धारित जगह पर पहुंचा और आठ उपग्रह छोड़े गए. यह पहला मौका है जब इसरो ने एक रॉकेट के जरिए उपग्रहों को दो अलग अलग कक्षाओं में भेजा है. रॉकेट के पेलोड में SCATSAT-1 समेत पांच अन्य देशों के उपग्रह थे. रॉकेट पर कुल 675 किलोग्राम भार लदा था.

नौ बजकर 12 मिनट पर लॉन्च के बाद रॉकेट पहले 730 किलोमीटर दूर कक्षा में पहुंचा. प्रक्षेपण के 17 मिनट के भीतर ऐसा हुआ. वहां SCATSAT-1 को स्थापित किया गया. SCATSAT-1 भारत का मौसम उपग्रह है. यह समुद्र पर नजर रखेगा और तूफान समेत मौसमी बदलावों की जानकारी देगा. इसके बाद अगले दो घंटों में बाकी सैटेलाइटों को 689 किलोमीटर दूर निचली कक्षा में स्थापित किया गया. इनमें से पांच कर्मशियल सैटेलाइटें अल्जीरिया, कनाडा और अमेरिका की थीं.

पहले उपग्रहों को विभिन्न कक्षाओं में भेजने के लिए अलग अलग रॉकेटों का सहारा लेना पड़ता था. PSLV श्रेणी का एक रॉकेट तैयार करने में करीब 120 करोड़ रुपए का खर्च आता है. एक ही रॉकेट के जरिए दो कक्षाओं में उपग्रहों को स्थापित कर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह खर्च और समय बचाया है.

लेकिन ऐसा करने के लिए वैज्ञानिकों को काफी मेहनत करनी पड़ी.  PSLV-C35 में इंजन को चार चरणों में चालू और बंद होना था. पहली बार चालू होने के बाद इंजन को कुछ सेकेंड के लिए बंद होना था और फिर अगले स्टेज के लिए चालू होना था. इसरो ने मल्टीपल बर्न टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर ऐसा करने में कामयाबी पाई है.

ओएसजे/आरपी (पीटीआई)