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इस्राएली जेल में गुमनाम जासूस

१९ जुलाई २०१३

इस्राएल में एक और कैदी को अत्यंत गोपनीय परिस्थितियों में रखे जाने की खबर है. इस खबर ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को तो चौकन्ना किया ही है कानून व्यवस्था की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं.

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तस्वीर: Fotolia/jtanki

इस्राएल के एक प्रमुख क्रिमिनल एडवोकेट का कहना है कि एक्स 2 नाम वाला बंदी देश की खुफिया सेवा का सदस्य है. उसे सालों से सलाखों के पीछे रखा जा रहा है. इस साल फरवरी में ऑस्ट्रेलिया की एक टीवी रिपोर्ट में एक दूसरे बेनाम कैदी के खुलासे ने इस्राएल के सुरक्षा प्रतिष्ठान को झकझोर कर रख दिया और ऑस्ट्रेलिया के साथ इस्राएल के रिश्तों में तनाव आने की खतरा पैदा हो गया था. एबीसी चैनल की रिपोर्ट में कहा गया कि कैदी एक्स, जिसकी दिसंबर 2010 में जेल में मौत हो गई, मेलबर्न से इस्राएल गया यहूदी आप्रवासी था.

बेन सिगियर नाम का यह शख्स पहले इस्राएली खुफिया एजेंसी मोसाद में शामिल हुआ और उसे धोखा दिया. उसे फरवरी 2010 में गिरफ्तार किया गया और कुख्यात आयालोन जेल के अति सुरक्षित सेल में रखा गया. उसके गार्डों को भी उसका नाम पता नहीं था और इस्राएल की अदालतों ने मीडिया पर इस मामले में नाम लेने की भी रोक लगा दी थी. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सिगियर का जुर्म यह था कि उसने लेबनान में सक्रिय मोसाद एजेंटों के नाम बता दिए थे. उसने बाद में अपने सेल में खुदकुशी कर ली. सेल की निगरानी करने वाले गार्डों का कहना था कि जिस रात यह हादसा हुआ कैमरा काम नहीं कर रहा था और गार्ड कम थे.

Israel Premierminister Benjamin Netanyahu
नेतान्याहू पर दबावतस्वीर: Reuters

इस्राएल के कानून मंत्रालय ने 9 जुलाई को सिगियर के बारे में एक बयान जारी किया. इसमें एक दूसरे कैदी का जिक्र था जिसे समान परिस्थितियों में रखा जा रहा है और जिसे एक्स 2 नाम दिया गया था. दोनों कैदियों से मिल चुके इस्राएली एडवोकेट अविग्डोर फेल्डमन ने इस्राएली रेडियो से कहा कि सिगियर की तरह ही एक्स 2 भी इस्रराएली नागरिक है और देश के कोवेर्ट सिक्योरिटी ऑपरेशन का हिस्सा रह चुका है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि एक्स 2 के खिलाफ आरोप "ज्यादा संगीन, ज्यादा हैरान करने वाले और ज्यादा दिलचस्प हैं." फेल्डमन ने आरोपों के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी और डीडब्ल्यू के सवालों को टाल गए.

इस्राएल की जेलों की खुफिया शाखाएं या ढांचे उन कैदियों के लिए आरक्षित रहती हैं जिन्हें सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है. सिगियर वाली कोठरी में पहले यिगाल आमिर कैद था. यिगाल पर पूर्व प्रधानमंत्री यित्जाक राबिन की हत्या के आरोप हैं.

दूसरे कैदी एक्स के बारे में रिपोर्ट लीक होने के बाद नेता मिरी रेगेव ने एक बैठक बुलाई है. बैठक में कैदी को लेकर चर्चा होगी. इस्राएल में नागरिक अधिकारों की बात करने वाले संगठन ने अटॉर्नी जनरल येहुदा वाइनश्टाइन से कैदी को अगल थलग न रखने की मांग के साथ मीडिया को भी भी इसमें शामिल करने की मांग की है. एसीआरआई की अटॉर्नी लीला मार्गालित ने कहा, "जिन हालातों में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, पूरी गोपनीयता के साथ कैद रखा गया है और हर दिन बाकी लोगों से मिलने की हर मुमकिन संभावना से दूर रखा गया है, हम इन्हें स्वीकार नहीं कर सकते." बयान में आगे कहा गया है, "कैदी एक्स के मामले ने फिर साबित किया है कि बिना सार्वजनिक तहकीकात के संदिग्धों, आरोपियों और दोषियों के अधिकारियों की रक्षा नहीं की जा सकती."

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बेन सिगियर की कब्रतस्वीर: Reuters

नाम गुप्त रखने की शर्त पर इस्राएल सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से इस तरह छुपा कर की गई गिरफ्तारियां जरूरी हैं. उन्होंने दावा किया कि इन दोनों गुप्त कैदियों को बचाव पक्ष के वकीलों और उनके परिवारों से मिलने दिया जा रहा है. अधिकारी ने कहा, "इस्राएल में सुरक्षा सेवाओं के पास यहां मौजूद खतरों से इस्राएल के नागरिकों की रक्षा करने का अहम काम है. लेकिन ये सुरक्षा सेवाएं कानून के दायरे में ही काम करती हैं."

कैदी एक्स के हाल के मामले ने इस्राएल में हुई एक पुरानी घटना की याद ताजा कर दी है. 1995 में इस्राएल की एक अदालत ने गुप्त ढंग से कैद रखे गए जासूसी के सात दोषियों को दिए मुंह बंद रखने के आदेश को हटा दिया. इनमें प्रोफेसर अव्राहम मार्कुस क्लिंगबर्ग का मामला ज्यादा सुर्खियों में आया. क्लिंगबर्ग इस्राएल के बायोलॉजिकल रिसर्च सेंटर में सीनियर रिसर्चर थे. 1983 में वह अचानक गायब हो गए और एक दशक बाद एशकेलोन की जेल में मिले. उन्हें सोवियत संघ के लिए जासूसी करने का दोषी करार दिया गया था और गुपचुप ढंग से 20 साल की सजा सुनाई गई थी. क्लिंगबर्ग को अव्राहम ग्रीनबर्ग के गलत नाम से जेल में रखा गया था. उन्हें 1998 में गुप्त कैद से रिहा कर 2003 तक घर में नजरबंद रखा गया. सजा पूरी होने के बाद क्लिंगबर्ग ने इस्राएल छोड़ दिया.

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इस्राएल का जासूसी का इतिहासतस्वीर: picture-alliance/ dpa/dpaweb

उन सात कैदियों में कर्नल सिमोन लेविनसन भी थे. लेविनसन प्रधानमंत्री कार्यालय के सुरक्षा अधिकारी थे. 1991 में उन्हें सोवियत संघ के लिए जासूसी करने का दोषी करार दिया गया और 12 साल जेल की सजा सुनाई गई.

योसी मेलमन पत्रकार हैं और सुरक्षा मामलों पर रिपोर्ट करते हैं. डॉयचे वेले को उन्होंने बताया कि पुराने दौर की तुलना में इस्राएल अब बहुत कम खुफिया कैदी रख रहा है. लेकिन ताजा मामलों से मेलमन को भी शक हो रहा है कि क्यों गोपनीयता को इतना बढ़ा दिया है. वह कहते हैं, "ये इस्राएली नागरिक हैं. आप ये नहीं सोचते कि इस्राएलियों को ये जानने की जरूरत है कि जेल में कौन है. आपको उसके बारे में सब कुछ छापने की जरूरत नहीं, लेकिन कम से कम कुछ तो सामने आना ही चाहिए. सरकार को बताना चाहिए कि कोई गिरफ्तार किया गया है और वो इस मामले में संदिग्ध है, वो जेल में है और उसे इस तरह की सजा मिली है और उसके परिवार को इसकी जानकारी है."

रिपोर्ट: डानिएला चेसलोव/ओएसजे

संपादन: एन रंजन

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