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इस्राएल में नेतन्याहू के भविष्य का फैसला

तानिया क्रेमर/एमजे१७ मार्च २०१५

इस्राएल के प्रधानमंत्री बेंयामिन नेतन्याहू ने राजनीतिक कारणों से गठबंधन टूटने दिया और जीत की उम्मीद में मध्यावधि चुनाव करा लिया. लेकिन मंगलवार को हो रहे चुनाव में उनकी जीत तय नहीं है.

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तस्वीर: Getty Images/GALI TIBBON

इस्राएल के दक्षिणी शहर किरयात गाट में सड़क के किनारे लाउडस्पीकरों से चुनाव प्रचार हो रहा था. लिकुद पार्टी के समर्थक पार्टी को वोट देने की अपील कर रहे थे. मीरी इमकेज लिकुद पार्टी के नेता बेंयामिन नेतन्याहू की पक्की समर्थक है. वे बीबी के अलावा और किसी को इस्राएल के प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देख सकतीं. नेतन्याहू को देश में लोग इसी नाम से पुकारते हैं. मीरी इमकेज कहती हैं, "लोग अचानक कहने लगे हैं कि वे आजिज आ गए हैं. लेकिन उनकी याददाश्त बहुत कमजोर है. जब से बीबी सत्ता में है, यहां शांति है. कोई गंभीर आतंकी हमला नहीं हुआ है. गाजा युद्ध के बाद हमने अपनी ताकत बहाल कर ली है. मैं अपने लिए और अपनी दो बेटियों के लिए सुरक्षा चाहती हूं."

ताकत पर भरोसा

सुरक्षा का मुद्दा नेतन्याहू के चुनाव प्रचार का मुख्य मुद्दा है. वे इरान के साथ उसके परमाणु कार्यक्रम पर पश्चिमी देशों के समझौते के खिलाफ चेतावनी दे रहे हैं. प्रधानमंत्री मतदाताओं को हमास, हिजबोल्लाह और इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों का डर दिखा रहे हैं. संदेश यह है कि सिर्फ बेंयामिन नेतन्याहू ही उन्हें बाहरी खतरों से बचा सकता है.

इसके विपरीत निर क्रेमर कहते हैं, "हमेशा सिर्फ सुरक्षा की बात होती है, लेकिन वह यूं भी हमारे हाथ में नहीं है." 37 वर्षीय क्रेमर चुनाव प्रचार में मध्य वाम मोर्चे के लिए काम कर रहे हैं. तेल अवीव में वे जायनवादी मोर्चे के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इस्राएल में सरकार बदलने से कुछ बदलेगा, "हमारे लिए अर्थव्यवस्था और सामाजिक मुद्दे महत्वपूर्ण हैं."

बढ़ती महंगाई

सचमुच इस्राएल के लोग बढ़ते किरायों और महंगाई से परेसान हैं. एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच सालों में घरों के किराये 30 फीसदी बढ़ गए हैं. मकानों की कीमत तो 50 फीसदी बढ़ी है. रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि देश का मध्यवर्ग जल्द ही इस बोझ को उठाने की हालत में नहीं होगा. पोल्स्टर रफी स्मिथ कहते हैं, "आर्थिक और सामाजिक नीति इस बार प्रमुख मुद्दा हैं. इस्राएल में ऐसा पिछले 40 सालों में नहीं हुआ कि ये मुद्दे चुनाव पर हावी रहे."

Israel Wahlen 2015 Benjamin Netanyahu Wahlurne Stimmzettel
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Sebastian Scheiner

जायनवादी मध्य वाम मोर्चे के नेताओं ने स्थिति को भांपा है. इत्साक हैर्त्सोग और जिपी लिवनी ने चुनाव जीतने पर एक मकान परिषद बनाने का आश्वासन दिया है जो मकानों के बढ़ते किरायों के खिलाफ कदम उठाएगा. इसके अलावा वे सामाजिक कल्याण और शिक्षा पर ज्यादा खर्च करेंगे. एक समझौते के तहत बहुमत पाकर सरकार बनाने की स्थिति में दोनों नेता दो दो साल के लिए प्रधानमंत्री के पद पर रहेंगे.

बदलाव की चाह

इत्साक हैर्त्सोग मतदाताओं में लोकप्रिय हो रहे हैं. इताय रोटेम कहते हैं, "वे अकेले हैं जो इस समय बीबी की जगह ले सकते हैं और मुझे उनका कार्यक्रम पसंद है." हालांकि बहुत से लोग पेशे से वकील हैर्त्सोग को करिश्माई नेता नहीं मानते. वे दुविधा में हैं. येरूशलम यूनिवर्सिटी के राजनीतिशास्त्री तामिर शेफर कहते हैं, "बहुत से लोग हैं जो नेतन्याहू से उतने संतुष्ट नहीं हैं. वे बदलाव चाहते हैं. लेकिन बहुत से ऐसे भी हैं जो नहीं समझ पा रहे हैं कि हैर्त्सोग देश का नेतृत्व कैसे करेंगे."

रफी स्मिथ कहते हैं कि देश का अगला नेता कौन होगा, यह वे नहीं बता सकते. हालांकि इस्राएल के प्रमुख जनमत सर्वेक्षक होने के नाते उन्हें यह पता होना चाहिए. उनका स्मिथ संस्थान नियमित रूप से हजारों इस्राएलियों से उनकी राय के बारे में जानकारी लेता है. लेकिन स्मिथ का कहना है कि इस बार नतीजे इतने तंग हैं कि विश्वसनीय भविष्यवाणी करना आसान नहीं. ताजा सर्वेक्षण के अनुसार जायनवादी मोर्चा लिकुद से आगे चल रहा है, लेकिन मतदान से पहले बहुत से मतदाता अनिर्णीत थे.