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इस दवा की मदद से शरीर खुद लड़ेगा कैंसर के खिलाफ

३० नवम्बर २०१७

हाई सिक्योरिटी वाली लैब क्योरवैक में नयी दवाओं की खोज चल रही है. सबसे ज्यादा उम्मीदें राइबो न्यूक्लिक एसिड आरएनए से लगायी जा रही है. यह डीएनए का साथी मोलेक्यूल है और बीमारी के खिलाफ इम्यून सिस्टम को सक्रिय करता है.

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Krebs Arzt Diagnose Symbol
तस्वीर: Fotolia/ Alexander Raths

एली लिली कंपनी क्योरवैक के आरएनए एक्टिव तकनीक के आधार पर कैंसर से लड़ने वाली पांच दवाओं का विकास करेगा और उन्हें बाजार में लायेगा. कैरियर आरएनए जेनेटिक सूचनाओं को सेल के न्यूक्लियस से पूरी सेल तक पहुंचाता है, जहां उसके ब्लूप्रिंट से प्रोटीन का निर्माण होता है. क्योरवैक के डॉ. इंगमार होएर इसका इस्तेमाल इलाज के लिए करना चाहते हैं. वे मदुरई की कामराज यूनिवर्सिटी में कुष्ट रोग और एचआईवी पर फील्ड रिसर्च कर चुके हैं. आरएनए की विशेषता के बारे में बताते हैं, "हमें इस बात को समझना होगा कि मोलेक्यूल स्थिर होता, लेकिन प्रकृति में अपघटित होने वाले प्रोटीन होते हैं. यदि प्रोटीन आरएनए के संपर्क में न आएं तो वह स्थिर होता है और उसका इस्तेमाल किया जा सकता है."

स्थिर किये गये संवाहक आरएनए की मदद से रिसर्चरों को एक नये प्रकार का इलाज विकसित करने में मदद मिली है. इसका सिद्धांत टीका लगाने जैसा है. आरएनए की मदद से रिसर्चर कोशिका में सूचना भेजते हैं, जो इम्यून सिस्टम को बीमारी के खिलाफ सक्रिय करता है. यह इलाज का ऐसा तरीका है जिसका इस्तेमाल कैंसर की थेरेपी में भी किया जा सकता है.

Dr Ingmar Hoerr
डॉ. इंगमार होएरतस्वीर: CureVac/Andreas Körner

कैंसर की कोशिकाओं में खास प्रकार के प्रोटीन होते हैं, जो उसे मेलिंग्नेंट बनाते हैं. अक्सर वे शरीर में छुपने में कामयाब हो जाते हैं. रिसर्च के दौरान आरएनए में कैंसर की कोशिकाओं की सूचना डाली जाती है और उसे मरीज की त्वचा में इंजेक्ट किया जाता है. शरीर ये चेतावनी पढ़ता है और वह लक्षित तरीके से किलर कोशिकाओं को ट्यूमर के खिलाफ एक्टिवेट करता है. इंगमार होएर बताते हैं, "इस सूचना के साथ इम्यून सेल कैंसर पैदा करने वाले एजेंट या कैंसर सेल को खोजने और मारने की हालत में होते हैं. शरीर खुद अपनी दवा बना लेता है. यह इस प्रक्रिया में सबसे मजेदार बात है."

आरएनए दरअसल सूचना पहुंचाने वाले मैसेंजर का काम करता है, जो शरीर को कैंसर कोशिकाओं का पता बताता है. और उसके बाद शरीर का इम्यून सिस्टम नजरअंदाज करने के बदले उससे लड़ सकता है. अब तक आरएनए का इस्तेमाल कैंसर थेरेपी में मेटास्टेसिस बनने को रोकने के लिए किया जाता रहा है. प्रोस्टेट और लंग कैंसर के मरीजों पर हुए शुरुआती अध्ययन में डॉ. होएर और उनकी टीम को यह साबित करने में कामयाबी मिली कि आरएनए से इलाज प्रभावी है. लगभग सभी मरीजों के शरीर में फौरन इम्यून सिस्टम ने रिएक्ट किया.

अब प्रोस्टैट कैंसर के मरीजों पर एक व्यापक अध्ययन किया जा रहा है ताकि यह पता चले कि क्या इस इलाज का दूरगामी असर होता है. संवाहक RNA विधि से होने वाला इलाज कैंसर पर जीत पाने या बीमारी के साथ ज्यादा समय तक बेहतर तरीके से जी पाने में मदद कर सकेगा. इस विधि से हर प्रकार के कैंसर का इलाज संभव हो सकेगा. डॉक्टर जरूरी सूचनाएं RNA में शामिल कर पायेंगे जिसे वह इम्यून सिस्टम तक पहुंचा देगा. बाकी काम शरीर खुद कर लेगा.