ईरान के लिए शंघाई ग्रुप का दरवाज़ा बंद
११ जून २०१०इस ग्रुप में अब तक चीन और रूस के अलावा मध्य एशिया के देश हैं. भारत व पाकिस्तान के अलावा ईरान भी एक पर्यवेक्षक देश है. सदस्यता के नए नियमों के तहत यह मुमकिन नहीं होगा कि ईरान को पूरी सदस्यता मिल सके. रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने कहा कि शुक्रवार को तैयार किए गए प्रावधानों में यह भी शामिल होगा कि किसी ऐसे देश को ग्रुप का सदस्य नहीं बनाया जाएगा, जिसके ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंध लगाए गए हैं.
रूस के समाचार पत्र कोम्मेरसांट में कहा गया है कि रूस और चीन की पहल पर यह प्रावधान लाया गया है. ये दोनों देश नहीं चाहते हैं कि ईरान की वजह से पश्चिमी देशों के साथ उनके संबंध ख़राब हों. शंघाई ग्रुप में चीन और रूस का ही बर्चस्व है.
ताशकंद की बैठक में चीन के राष्ट्रपति हू जिन्ताओ और रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव भाग ले रहे हैं. पहले से ही माना जा रहा था कि पर्यवेक्षक देश ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद बैठक से दूर रहेंगे. वे शंघाई ग्रुप की बैठक में नहीं, शंघाई शहर में हैं, जो उनकी मुश्किल चीन यात्रा का पहला पड़ाव है. बैठक में अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामीद करज़ई, पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बैर्दीमुखामेदोव भी मौजूद हैं.
पर्यवेक्षकों का मानना है कि सदस्यता के नए नियम तुरंत लागू नहीं होंगे. भारत और पाकिस्तान के बीच सद्भावना के अभाव को इसका एक कारण बताया जा रहा है. इसके अलावा चीन ने भी अभी तक नए नियमों के समर्थन का संकेत नहीं दिया है. सदस्यता के नियमों के अलावा इस ग्रुप को अन्य गंभीर सवालों पर भी ग़ौर करना है, जिनमें शामिल हैं अफ़ग़ानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति और किर्गीज़स्तान में फिर से हिंसा भड़क उठना.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: राम यादव