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ईरान में सुन्नी चरमपंथी को फांसी

२१ जून २०१०

ईरान में सुन्नी चरमपंथी समूह जुन्दल्लाह के सरगना अब्दुलमालिक रिगी को फांसी दे दी गई है. उस पर ईरान के सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत में खतरनाक चरमपंथी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप था.

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तस्वीर: DW

ईरान की सरकारी मीडिया ने बताया कि रिगी को तेहरान के इविन जेल में उसके रिश्तेदारों की मौजूदगी में मौत की सजा दी गई. उस पर ईरान के प्रतिष्ठित रिवोल्यूशनरी गार्ड्स पर हमले के भी आरोप थे.

अदालत के एक बयान के हवाले से ईरान की सरकारी समाचार एजेंसी इरना ने खबर दी, "तेहरान के रिवोल्यूशनरी ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद अब्दुलमालिक रिगी को तेहरान के इविन जेल में फांसी दे दी गई."

Abdolmalek Rigi
तस्वीर: tabnak.ir

रिगी को फरवरी में एक बेहद नाटकीय घटनाक्रम में गिरफ्तार किया गया था. वह विमान से दुबई से किर्गिस्तान जा रहा था. लेकिन ईरानी वायु सेना ने उस विमान को हवा में इस बात के लिए मजबूर कर दिया कि वह ईरान में लैंड करे. विमान उतरते ही रिगी को गिरफ्तार कर लिया गया. अभी महीने भर पहले ही उसके भाई अब्दुलहामिद रिगी को भी आतंकवाद के आरोप में फांसी दी गई है.

रिगी ने जुन्दल्लाह नाम के संगठन की नींव रखी थी. इसका मतलब है अल्लाह की सेना. उसका दावा था कि यह संस्था सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत में सुन्नी बलूची नागरिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है.

यह प्रांत की सीमाएं अफगानिस्तान और पाकिस्तान से जुड़ती हैं. इस ग्रुप ने पिछले साल अक्तूबर में पीशीन शहर में एक खुदकुश हमला किया था, जिसमें रिवोल्यूशनरी गार्ड के सात जवानों सहित 42 लोग मारे गए थे.

ईरान की सरकारी एजेंसी ने दावा किया है कि सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत के लोग रिगी को मौत की सजा दिए जाने से खुश हैं. इरना के मुताबिक वहां की सुन्नी जनता भी चाहती थी कि रिगी के शर्मनाक हरकतों के लिए उसे सजा दी जानी चाहिए.

ईरान का दावा है कि रिगी की संस्था जुन्दल्लाह का संपर्क विदेशी खुफिया तंत्रों से भी था. यह अरब के दूसरे देशों की खुफिया सेवाओं के संपर्क में था और नाटो की भी मदद करता था. रिगी ने माफी की अपील की थी, जिसे नहीं माना गया.

रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल

संपादनः एस गौड़