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ईरान वार्ता: अपने अपने हित

७ जुलाई २०१५

ग्रीस संकट ने जर्मनी और यूरोप की मीडिया को इस तरह घेर रखा है कि सामान्य समय में सुर्खियों में होने वाली ईरान वार्ता इस समय सुर्खियों से बाहर है. फिर भी कई अखबारों ने वार्ता पर टिप्पणी की है.

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तस्वीर: Behrouz Mehri/AFP/Getty Images

वार्ता में ईरान के प्रतिनिधि अली अकबर सालेही और अमेरिकी प्रतिनिधि अर्नेस्ट मोनिज के बारे में जर्मन अखबार ज्यूड डॉयचे साइटुंग ने लिखा है. अखबार का कहना है, "सालेही को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अल खमेनेई का भरोसा प्राप्त है, जिनकी बात डील पर अंतिम होगी. अमेरिकी ऊर्जा मंत्री अर्नेस्ट मोनिज की भी राजनीतिक भूमिका है. सिर्फ वे कांग्रेस को भरोसा दिला सकते हैं कि समझौता राष्ट्रपति बराक ओबामा की इस तकनीकी और राजनीतिक शर्त को पूरा करता है कि ईरान के लिए परमाणु हथियार बनाने का रास्ता रोक दिया जाएगा."

जर्मन साप्ताहिक पत्रिका डेय श्पीगेल के अनुसार वार्ता के अस्पष्ट संकेत आ रहे हैं. "ईरान पर भरोसा करें तो परमाणु वार्ता में मोड़ दिख रहा है. ईरान अपने सैनिक संयंत्रों की निगरानी की बात मान गया है. लेकिन परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख मोड़ आना अभी बाकी है."

जर्मनी के अनुदारवादी अखबार फ्रांकफुर्टर अलगेमाइने ने ईरान पर भरोसे का सवाल उठाया है. "ईरान की सरकार पर भरोसा किया जा सकता है, करना चाहिए? क्या उसका विश्वास किया जा सकता है कि उसका मकसद बम बनाना नहीं है? इस्राएल सरकार का इसके बारे में खुले तौर पर नकारात्मक विचार है. दूसरे इसे आराम से ले रहे हैं. उन्हें पता होना चाहिए कि ईरान इस संधि के बाद परमाणु बम से सिर्फ एक पेंच भर दूर होगा. लेकिन यह तब भी होगा जब कोई संधि नहीं होगी. इसलिए ईरान के साथ समझौते की कोशिश बेहतर है जो उसे बाकी दुनिया के करीब लाएगी."

वियना से प्रकाशित डेय स्टांडार्ड ने भी ईरान और सुरक्षा परिषद के सदस्यों तथा जर्मनी के बीच हो रही परमाणु वार्ता पर टिप्पणी की है. "अमेरिका और यूरोपीय संघ के सामने विकल्प बहुत ज्यादा नहीं हैं. एक युद्ध जिसके साए में इस्लामिक स्टेट और आगे बढ़ सकता है? लेकिन प्रतिबंध भी हैं. लेकिन वे अपने चरम पर जा चुके हैं. भले ही पश्चिमी देश उसे लागू रख रहे हों और सख्त बना रहे हों, संभव है कि दूसरे देश साथ न आएं जो वार्ता में ईरान को सदिच्छा का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. और अमेरिका भी इसलिए बातचीत कर रहा है कि वह ईरान को दूसरे के लिए, चीन के लिए नहीं छोड़ना चाहता है."

एमजे/आरआर (एएफपी)