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ईसाई सुधार आंदोलन के 500 साल

महेश झा
३१ अक्टूबर २०१६

आज से प्रोटेस्टेंट सुधार आंदोलन की 500 वर्षगांठ का आयोजन शुरू हो रहा है. लुथर वर्ष की शुरुआत बर्लिन में एक प्रार्थना सभा और सरकारी समारोह से होगी. उधर स्वीडन के लुंड शहर में कैथोलिक पोप के साथ एक सर्वधर्म समारोह होगा.

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DW Euromaxx - Martin Luther
तस्वीर: MDR

31 अक्टूबर 1517 को चर्च में सुधारों की शुरुआत का दिन माना जाता है. इस दिन ऑगस्टीन ऑर्डर के पादरी और धर्मशास्त्री मार्टिन लुथर ने पश्चाताप और अनुग्रह के बारे में 95 सूत्र लिखे थे. ये साफ नहीं है कि अपने सिद्धांतों की घोषणा उन्होंने विटेनबुर्ग के चर्च के दरवाजे पर की जैसा कि किंवदंती है. लेकिन उन्होंने अपने विचारों पर शास्त्रार्थ करने की मांग चर्च और सांसारिक नेताओं से की. किताब छापने की नई तकनीक की वजह से उनके सिद्धांत जल्द ही पूरी जर्मनी में फैल गए.

डोमिनिकन ऑर्डर के पादरी योहानेस टेत्सेल उन दिनों तथाकथित पेटर अनुग्रह का कार्यक्रम चलाते थे. इसमें गलतियों या पाप के लिए सजा के बदले रियायत देने का प्रावधान था. उनका कहना था, जो धन देगा, वह सजा से बच सकेगा और अपने मृत परिजनों की भी मुक्ति करा सकता है. इस धन की मदद से रोम में नया पेटर कैथीड्रल बनवाया गया. लुथर ने जुर्माने के बदले अनुग्रह के कारोबार को न्यू टेस्टामेंट से विश्वासघात बताया.

Vatikan Petersplatz Heiligsprechungen Papst Franziskus
पोप फ्रांसिसतस्वीर: Reuters/T. Gentile

उनका 21वां सूत्र था, "इसलिए वे अनुग्रह का प्रवचन देने वाले गलत हैं जो कहते हैं कि एक इंसान पोप के अनुग्रह से हर सजा से मुक्त हो सकता है और उसकी रक्षा होगी." लुथर का 35वां सूत्र था, "वे ईसाइयत के खिलाफ प्रवचन देते हैं जो कहते हैं कि आत्मा को वापस खरीदने वालों या पश्चाताप का सर्टिफिकेट लेने वालों के लिए प्रायश्चित जरूरी नहीं." और 36वां सूत्र, "हर सच्चा पश्चाताप करने वाले ईसाई को सजा और कसूर से पूरी मुक्ति मिलेगी जो इसे अनुग्रह सर्टिफिकेट के बिना भी करेगा."

इस विरोध प्रदर्शन ने सिर्फ चर्च के बजट को ही नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि उस समय के शासकों को भी जो अनुग्रह के कारोबार से फायदा उठा रहे थे. पोप और सम्राट दोनों ने ही मार्टिन लुथर को काबू में रखने की कोशिश की लेकिन छपाई की वजह से लोकप्रिय हुई उनकी शिक्षा के समर्थक बढ़ते गए. और आखिरकार इसका नतीजा कैथोलिक गिरजे के विभाजन के रूप में सामने आया. ये विभाजन आज भी कायम है, हालांकि कैथोलिक चर्च के नए पोप फ्रांसिस बड़े सुधारक के रूप में सामने आ रहे हैं.

सुधार आंदोलन के समारोहों की शुरुआत के मौके पर जर्मनी के इवांजेलिक गिरजे ने कहा है कि वह इस साल को हीरो भक्ति के रूप में नहीं बल्कि आलोचनात्मक तरीके से मानएगा. इवांजेलिक गिरजे सुधार समारोहों की दूत मारगॉट केसमन ने कहा, "हमारे चर्च ने इस पर काम किया है, हम सिर्फ लुथर के गुणगान नहीं करेंगे."