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उत्तर अफ्रीका के नए किरदार

२३ जनवरी २०१३

अल्जीरिया में एक गैस फील्ड पर हुए हमले ने दिखाया है कि उत्तरी अफ्रीका में आतंकवादी कितने संगठित हैं. नए हमले निकट भविष्य में इलाके की सामाजिक संरचना पूरी तरह बदल सकते हैं.

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तस्वीर: Reuters

पूर्वी अल्जीरिया के इन अमेनास गैस फील्ड में कर्मचारियों को बंधक बनाने वाले आतंकवादी पूरी तरह तैयार थे. वे सिर्फ भारी हथियारों से लैस ही नहीं थे, उनके पास गैस फील्ड का नक्शा भी था. उन्होंने पूरे संयंत्र को वहां काम करने वाले अपने समर्थकों की मदद से ठीक से देखभाल रखा था.

अल्जीरिया के प्रधानमंत्री अब्देलमलेक सेलाल कहा कहना है कि शुरुआत में अधिकारी आतंकवादियों के साथ बातचीत करना चाहते थे. लेकिन उनकी मांगें, जिसमें सभी कैद साथियों को रिहा करने की मांग भी शामिल थी, नहीं मानी जा सकती थीं. इसलिए अधिकारियों ने गैस फील्ड के 4 हेक्टेयर के क्षेत्र के बावजूद आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला किया.

जोखिम भरी कार्रवाई

सैन्य कार्रवाई भी जोखिम भरी थी. अंत में आतंकवादियों के हाथ 37 बंधकों की मौत हो गई. आशंका है कि मरने वालों में और लोग शामिल हो सकते हैं. कुछ शवों की अभी तक शिनाख्त नहीं हुई है. कार्रवाई में 32 आतंकवादी भी मारे गए. कुछ अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया. सेलाल ने सैनिय कार्रवाई को साफ संकेत बताया, "अल्जीरिया ने इस तरह की कार्रवाई कर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है. विश्व भर के देशों ने अल्जीरिया और बंधक कांड को निबटारे को देखा है."

अल्जीरिया के सुरक्षा अधिकारी भी तैयार थे. वे लंबे समय से हमलों की उम्मीद कर रहे थे. इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप को उत्तर अफ्रीका विशेषज्ञ विलियम लॉरेंस का कहना है कि 1990 के दशक में अल्जीरिया में गृह युद्ध तो समाप्त हो गया लेकिन आतंकवाद उसके बाद भी चालू रहा. हालांकि अल्जीरिया ने 2002 में अपने इतिहास के काले अध्याय को समाप्त घोषित कर दिया था, लेकिन गृह युद्ध के कुछ किरदार बने रहे. लॉरेंस का कहना है कि लोग बने रहे, सिर्फ उनका खतरा कम हो गया.

Klimawandel ist in der Sahel-Zone
तस्वीर: picture-alliance/dpa

साहेल में पनाह

गृह युद्ध समाप्त हो गया लेकिन आतंकवाद खत्म नहीं हुआ. मारबुर्ग यूनिवर्सिटी के राजनीतिशास्त्री रशीद वाइसा कहते हैं कि अल्जीरिया के लंबे गृह युद्ध में देश के उत्तरी भाग में आतंकवाद पर पूरी जीत नहीं हुई. "आतंकवादी भागकर दक्षिण में चले गए, अस्थिर साहेल इलाके में, जहां वे सक्रिय रहे." इस इलाके पर नियंत्रण करना काफी मुश्किल है. और यह पड़ेसी लीबिया में 2011 में गद्दाफी शासन के समाप्त होने के बाद और मुश्किल हो गया. अल्जीरिया का दक्षिणी पड़ोसी आतंकवादियों के लिए बहुत उपजाऊ जमीन साबित हुआ. वाइसा कहते हैं, "माली पिछले दस साल से विघटित होता राष्ट्र है."

अल्जीरिया और माली के बीच की सीमा आतंकवादियों के लिए अच्छी पनाह साबित हुई. इंटरनेशनल क्राइसिसि ग्रुप के विलियम लॉरेंस कहते हैं कि वे सहारा मरुस्थल से परिचित हैं और रेगिस्तान में जल्द ही एक जगह से दूसरी जगह जा सकते हैं जहां सीमाओं की कोई भूमिका नहीं है. इसलिए उन्होंने बड़े इलाके की जटिलता का फायदा उठाया जहां इतनी आसानी से पहुंचा नहीं जा सकता, खासकर माली के इलाके में.

लॉरेंस का कहना है कि आतंकवादियों ने माली सरकार की कमजोरी का फायदा उठाया है. हथियारों, ड्रग और लोगों की तस्करी के अलावा अपहरण के लिए भी. उन्होंने राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं का फायदा खुद को स्थापित करने और नए समर्थकों की भर्ती करने के लिए किया.

क्रांति की योजना

लेकिन इस्लामी कट्टरपंथी सिर्फ आपराधिक गतिविधियों में ही लिप्त नहीं हैं. रशीद वाइसा का कहना है कि आतंकवाद ने अमेरिका में 11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद नया आयाम ले लिया है. उसकी वजह से शुरू में तीसरी दुनिया समझे जाने वाले यूरोप के आसपास के इलाके में शक्ति संतुलन का नया आकलन हुआ है. आतंकवादियों ने सबसे पहले मध्यपूर्व को निशाना बनाया. "लेकिन अब उनके हाथ और आगे बढ़ रहे हैं, अफ्रीका की दिशा में."

यह विकास दिखाता है कि अफ्रीकी देशों में औपनिवेशिक सत्ताओं से आजादी के बाद बनी व्यवस्था अब टूट रही है. वाइसा कहते हैं, "एक नई व्यवस्था बन रही है, सुदूर के देश विघटित हो रहे हैं. हमें सिर्फ माली के तानाशाह से ही नहीं बल्कि बहुत से दूसरे किरदारों से भी निबटना है." यह राजनीतिक स्थिति को और जटिल बनाता है.

Mali Militärintervention
तस्वीर: DW/K. Gänsler

नई चुनौतियां

माली में इस्लामी कट्टरपंथियों का मुकाबला करने के लिए नाइजीरिया के सैनिकों को तैनात किया गया है. चाड, माली, नाइजर और शायद मॉरेटेनिया जैसे देशों के लिए मुश्किल के दिन आ रहे हैं. लेकिन ये देश अभी भी संभल सकते हैं और नई व्यवस्था बना सकते हैं. अल्जीरिया बंधक कांड से मजबूत होकर निकला है. वाइसा कहते हैं, "अल्जीरिया इलाके का शक्तिशाली देश बन गया है. उसने इन अलमेना में ताकत के प्रदर्शन के साथ साबित किया है कि वह पश्चिमी देशों का भरोसे का साथी है."

इसके बावजूद अल्जीरिया को और समर्थन की जरूरत है. गैस फील्ड पर हुए हमले ने उसकी कमजोरियों को उजागर किया है. अल्जीरिया के अखबार अल फदीर ने लिखा है कि इस घटना ने दिखाया है कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में नई रणनीतियां तय करना जरूरी हो गया है. अखबार का कहना है कि सेना अकेले इस समस्या से नहीं निबट सकती. इसमें स्कूलों और धार्मिक समुदायों के साथ सरकार और संसद को शामिल होना होगा. देश की रक्षा सिर्फ हथियारों से नहीं हो सकती.

आर्थिक और सामाजिक नीतियों के अलावा नई दलीलों की जरूरत है. यह साफ होता जा रहा है कि आतंकवाद सिर्फ सामाजिक शिकायतों पर आधारित नहीं है, बल्कि उन लोगों की कट्टर होती विधारधारा पर भी जो उसके नाम पर लड़ते हैं.

रिपोर्ट: केर्स्टेन क्निप/एमजे

संपादन: ए जमाल

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