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उमर अब्दुल्लाह को हरसंभव मदद का आश्वासन

१७ जुलाई २०१०

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, गृहमंत्री पी चिदम्बरम सहित अन्य नेताओं से दिल्ली में मुलाकात की. कश्मीर में पैदा हालात से निपटने में मदद का भरोसा.

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तस्वीर: AP

कश्मीर में भारत विरोधी प्रदर्शनों से जूझ रहे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने दिल्ली में शनिवार को सबसे पहले गृहमंत्री पी चिदम्बरम से मुलाकात की और उन्हें कश्मीर में हालात के बारे में जानकारी दी. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सोनिया गांधी ने उमर अब्दुल्लाह के साथ बैठक में हालात पर काबू पाने के लिए उनके प्रयासों पर संतुष्टि जताई है. प्रधानमंत्री से बातचीत में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री ने घाटी में कानून व्यवस्था पर चर्चा की. मनमोहन सिंह ने राज्य सरकार को भरोसा दिलाया है कि उसे हरसंभव मदद दी जाएगी.

Dr. Abdullah Farooq und Omar Abdullah.
तस्वीर: dpa

उमर अब्दुल्लाह ने कहा है कि वह राज्य में प्रदर्शनों को भड़काने के लिए विदेश से आने वाले धन पर नकेल कसने के लिए रणनीति बनाने की सोच रहे हैं. अर्धसैनिक बलों और जम्मू कश्मीर पुलिस को भीड़ पर नियंत्रण पाने के लिए बेहतर साजोसामान दिए जाने पर भी विचार हो रहा है ताकि अप्रिय घटना से बचा जा सके और पुलिस की जवाबी कार्रवाई में किसी प्रदर्शनकारी की जान न जाए.

उमर ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया है कि उनकी सरकार हालात पर काबू करने में नाकाम रही है. उमर के मुताबिक अगर वह नियंत्रण खो देते तो हालात और भी विकट हो सकते थे. सेना की तैनाती पर सवाल पूछे जाने पर उमर ने कहा कि सरकार और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों से विचार विमर्श के बाद ही सेना को तैनात करने का फैसला लिया गया.

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"राज्य में लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शनों और हिंसा के चक्र को रोकने के लिए सेना को बुलाया गया. लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और उनकी मौतें हो रही थी. तैनाती का निर्णय सोच विचार कर और स्थिति का जायजा लिया गया. जहां तक उन्हें हटाने की बात है, यह देखा जाएगा कि उनकी तैनाती से स्थिति में कितना सुधार आया है और फिर सही फैसला लिया जाएगा."

ईश्वर का शुक्रिया अदा करते हुए अब्दुल्लाह ने कहा कि मंगलवार से कोई मौत नहीं हुई है. "हमारी सरकार की यही कोशिश है कि किसी की जान न जाए. लोग अब भी सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन अब वे उतने उग्र नहीं हैं जितना कुछ दिन पहले थे."

11 जून से कश्मीर घाटी में एक युवक की मौत के बाद से विरोध प्रदर्शन भड़के हैं और कई बार उन्होंने हिंसक रूप धारण कर लिया. पथराव कर रही भीड़ पर काबू पाने के लिए सीआरपीएफ की फायरिंग में युवकों की मौत से प्रदर्शन और भड़कते हैं और यह सिलसिला कई दिनों तक जारी रहा जिसमें 14 से ज्यादा लोगों की मौत हुई.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा एम