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उम्मीद से ऊंचा भारत का विकास

१२ दिसम्बर २०१०

भारत की दौड़ लगाती अर्थव्यवस्था उम्मीदों के पार जा रही है. प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार के मुताबिक जीडीपी की विकास दर के इस साल 8.5 फीसदी रहने की उम्मीद जताई गई थी वह पहले ही 9 फीसदी का आंकड़ा पार कर चुकी है.

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तस्वीर: AP

प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार सी रंगराजन ने बताया कि साल के पहले छह महीने में विकास की दर 8.9 फीसदी रही. दूसरे छमाही का अभी तीसरा महीने पूरा होने वाला है और पूरे समय के लिए विकास की दर का आंकड़ा 9 फीसदी के पार पहुंच चुका है.

यह हाल तब है जब दुनिया भर की सरकारें मंदी और उनसे उपजे हालातों से जूझ रही हैं. यहां तक कि अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित देशों की अर्थव्यवस्था भी कठिन दौर से गुजर रही है. ब्रिटेन, फ्रांस और इस जैसे कई देशों को सरकारी खर्चे में भारी कटौती करनी पड़ी है और इसकी वजह से वहां बड़े पैमाने पर जनता सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रही है.

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तस्वीर: UNI

भारत में विकास के पहिये की रफ्तार दो साल पहले विकसित देशों की मंदी के बोझ से धीमी जरूर हुई थी. 2008-09 में विकास दर घट कर 6.7 फीसदी पर आ गई थी. इसके पहले के तीन सालों में विकास की दर लगातार 9 फीसदी रही. पर अब एक बार फिर आंकड़े बदल रहे हैं. हालांकि अभी भी महंगाई सरकार के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बार बार कह रहे हैं कि भारत को दहाई अंकों में विकास की दर हासिल करनी है. यह लक्ष्य हासिल किए बगैर देश से गरीबी खत्म नहीं होगी. इसके साथ ही सभी युवाओं को नौकरी देना भी इस विकास दर को हासिल करने के बाद ही मुमकिन होगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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