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उरुग्वे के अंतिम तानाशाह की जेल में मौत

२९ दिसम्बर २०१६

उरुग्वे के आखिरी सैनिक तानाशाह जनरल ग्रेगोरियो अल्वारेज की 91 वर्ष की उम्र में दिल की बीमारी से मौत हो गई. वे 1981 से 1985 तक देश के सैनिक नेता थे और इस समय मानवाधिकारों के हनन के लिए 25 साल की जेल काट रहे थे.

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Uruguay Diktator Gregorio Alvarez in Montevideo
तस्वीर: picture-alliance/dpa/epa/efe franco

सेना की स्वास्थ्य सेवा के अनुसार अल्वारेज की मौत मोंटेवीडियो में सेना के केंद्रीय अस्पताल में हुई. डिमेंशिया और सांस की समस्याओं से जूझ रहे अल्वारेज को दो हफ्ते पहले सैनिक अस्पताल में भर्ती किया गया था. अल्वारेज का शासनकाल बर्बर तानाशाही के लिए बदनाम हुआ जिसके दौरान बहुत सारे विरोधियों को अगवा कर लिया गया और संभवतः मार डाला गया. इस तानाशाही के दौरान मानवाधिकारों के व्यापक हनन के लिए अल्वारेज को 25 साल की कैद की सजा दी गई थी. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने देश के लोगों से अल्वारेज की मौत के मौके पर उनके शासन के पीड़ितों को याद करने की अपील की है.

सैनिक परिवार में पैदा हुए अल्वारेज ने उरुग्वे में 1973 के सैनिक विद्रोह में केंद्रीय भूमिका निभाई थी. इसके बाद देश में सैनिक शासन लागू कर दिया, जिसके तहत उन्होंने 1981 से 1985 तक उरुग्वे पर शासन किया. इस दौरान लैटिन अमेरिका की सबसे बर्बर तानाशाही में हजारों लोगों को गिरफ्तार किया, प्रताड़ित किया गया और जान से मार डाला गया. करीब 6,000 लोगों को राजनीतिक कारणों से कैद किया गया. मानवाधिकारों के हनन की जांच करने वाले शांति आयोग के अनुसार दूसरी दक्षिण अमेरिकी तानाशाहियों के साथ मिलकर अगवा किए गए 230 लोग लापता हैं और उन्हें मृत माना जा रहा है.

Uruguay Gregorio Alvarez
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

अल्वारेज के मुकदमे में हिस्सा लेने वाले वकील ऑस्कर लोपेस गोल्डाराचेना ने कहा, "पूरे सम्मान से कहना चाहूंगा कि एक बलात्कारी, हत्यारा, यातना देने वाला और लोगों को लापता करने वाला मौत के जरिये खुद को अपराध से मुक्ति नहीं दिला सकता." एक्टिविस्ट बेयाट्रिस बेंसानो ने कहा, "पहली बात जो मैंने सोची कि वह सारे लापता और मारे गए लोगों के राज के साथ मर गया." बेंसानो उन 28 महिलाओं में शामिल हैं जिन्हें अल्वारेज तानाशाही के दौरान गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने 2010 में जेलरों पर सार्वजनिक रूप से यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था.

अल्वारेज के भाई कर्नल अर्टिगास की 1972 में टुपामारो छापामारों ने हत्या कर दी थी. कहते हैं कि इस हत्या ने अल्वारेज पर बड़ा असर डाला और उनकी बर्बर नीतियों की वजह बना. 1985 में लोगों के भारी विरोध के बाद अल्वारेज को चुनाव कराने के लिए राजी होना पड़ा और देश में लोकतंत्र बना. निर्वाचित राष्ट्रपति खूलियो मारिया सांगिनेटी को सत्ता सौंपने के बदले शपथ ग्रहण से दो हफ्ते पहले अल्वारेज ने इस्तीफा दे दिया और एक अंतरिम असैनिक सरकार को सत्ता सौंप दी. इस समय उरुग्वे में वामपंथी मोर्चे की सरकार है जिसमें पूर्व टुपामारो छापामार और दूसरे सैनिक शासन विरोधी भी शामिल हैं.

एमजे/आरपी (एएफपी, एपी)