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एंडरसन के प्रत्यर्पण की मांग करेगी भारत सरकार

२१ जून २०१०

भोपाल गैस कांड के ढाई दशक बाद भारत सरकार गैस त्रासदी के लिए ज़िम्मेदार कंपनी के प्रमुख वॉरेन एंडरसन के प्रत्यर्पण की मांग करेगी. गैस पीड़ितों के 1500 करोड़ का पैकेज.

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तस्वीर: AP

भारत सरकार द्वारा गठित मंत्रियों के समूह ने सुझाव दिया है कि केंद्र सरकार इस मामले में नया आवेदन फाइल करेगी. भोपाल गैस त्रासदी में मारे गए लोगों के लिए सरकार ने मुआवज़ा बढ़ाते हुए 1500 करोड़ के पैकेज का फैसला किया है.

भोपाल गैस त्रासदी पर अदालत के फैसले के बाद गठित मंत्रियों के समूह की सोमवार को हुई बैठक के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि इस मामले में अदालत में नई अपील दायर की जाएगी. इस सिलसिले में होने वाला सारा कानूनी खर्च केंद्र सरकार उठाएगी.

शुक्रवार को कैबिनेट की एक विशेष बैठक में पैनल के सुझावों पर चर्चा होगी, जिसमें यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन प्रमुख वॉरन एंडरसन को भारत लाने का प्रयास करने का सुझाव भी दिया गया है. वहीं डो कंपनी को इस हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराने की भी बात की जा रही है. यूनियन कार्बाइड कंपनी अब डो केमिकल्स की मिल्कियत में है और दुर्घटना में किसी भी तरह से जिम्मेदार होने से इनकार करती है. डो केमिकल्स का कहना है कि उसने भोपाल गैस त्रासदी के एक दशक बाद इस कंपनी को खरीदा था और 1989 में भारतीय सरकार के साथ अपनी प्रतिबद्धता पूरी करते हुए पीड़ितों को 47 करोड़ अमेरिकी डॉलर का मुआवज़ा दे दिया था.

Unglück in Indien Bhopal
तस्वीर: AP

मंत्रियों के समूह ने गैस त्रासदी में मरने वालों के परिजनों को दस लाख रुपए का हर्जाना देने, हमेशा के लिए विकलांग हो गए लोगों को पांच लाख रुपए, और आंशिक विकलांगता झेल रहे लोगों को तीन लाख रुपए देने का सुझाव दिया है.

शहरी विकास मंत्री जयपाल रेड्डी ने कहा है कि पैनल ने भोपाल में एक चिकित्सा रिसर्च केंद्र बनाने का सुझाव भी दिया है जो हादसे में जीवित बचे लोगों और उनके परिजनों की देखभाल करेगा. दुर्घटना स्थल की सफाई और मुआवज़े के लिए साढ़े 6 करोड़ डॉलर का केंद्रीय कोष बनाने का सुझाव भी दिया गया है.

दिसंबर 1984 में यूनियन कार्बाइड के कारखाने में हुए हादसे में 40 टन ज़हरीली गैस बाहर निकल कर पास के रिहायशी इलाके में फैल गई थी जिसके कारण हज़ारों लोगों की तुरंत मौत हो गई थी और लाखों लोग बाद के वर्षों में उससे प्रभावित हुए हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/महेश झा

संपादनः आभा एम