'एंडरसन को जल्द रिहा करने के लिए कहा गया'
१० जून २०१०भोपाल के तत्कालीन जिलाधिकारी ने कहा है कि उन्हें कहा गया कि यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन प्रमुख वॉरेन एंडरसन सहित कार्बाइड फैक्ट्री के अन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी के कुछ ही घंटों बाद उन्हें जमानत पर छोड़ना है. तत्कालीन जिलाधिकारी मोती सिंह के मुताबिक एंडरसन और अन्य लोग मुंबई से भोपाल आए. उन्हें एयरपोर्ट पर ही पुलिस हिरासत में ले लिया गया और फिर यूनियन कार्बाइड गेस्ट हाउस ले जाया गया. वहां उन्हें बताया गया कि उनकी गिरफ्तारी हुई है.
तत्कालीन मुख्य सचिव ने एसपी और डीएम को ऑफिस में बुलाया और एंडरसन को रिहा करने और उसी विमान में बैठाने के लिए कहा जिससे वे आए थे." मोती सिंह के मुताबिक उन्होंने जमानत देने की जरूरी औपचारिकताएं पूरी कराई और एंडरसन को राज्य सरकार के विमान से दिल्ली भेज दिया गया.
भोपाल गैस कांड में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. रिपोर्टों के मुताबिक वॉरेन एंडरसन को भोपाल से दिल्ली आने के लिए राज्य सरकार ने घटना के तीन दिन बाद 7 दिसंबर 1984 को विमान मुहैया कराया. अर्जुन सिंह ने अभी इस मामले पर अपना पक्ष नहीं रखा है.
एक ही दिन पहले सीबीआई के पूर्व अधिकारी बीआर लाल ने आरोप लगाया है कि एंडरसन के प्रत्यर्पण के लिए जोर न डालने का दबाव डाला गया था.
लेकिन हैदराबाद में सीबीआई के पूर्व निदेशक केवी राव ने बीआर लाल के दावे को खारिज कर दिया. "भारत सरकार और सीबीआई ने एंडरसन का प्रत्यर्पण कराने के लिए हरसंभव कोशिश की है. लेकिन अमेरिका ने ही मना कर दिया."
अमेरिका ने दलील दी कि एंडरसन यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के संचालन में सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं इसलिए इस दुर्घटना का दोष उन पर नहीं डाला जा सकता. हालांकि नैतिक रूप से उन्हें जिम्मेदार माना जा सकता है.
राव ने याद दिलाया कि एंडरसन के प्रत्यर्पण के लिए सीबीआई और विदेश मंत्रालय और विदेश मंत्रालय और अमेरिका के बीच सूचनाओं का आदान प्रदान हुआ. अमेरिका प्रत्यर्पण के लिए और सबूतों की मांग कर रहा था.
राव का कहना है कि संभव है कि विदेश मंत्रालय ने यह कहा हो कि अमेरिका एंडरसन का प्रत्यर्पण नहीं कर रहा, लेकिन कभी भी विदेश मंत्रालय ने सीबीआई पर केस छोड़ने का दबाव नहीं डाला.
अदालत ने आठ लोगों को दोषी मानते हुए दो दो साल की सजा सुनाई लेकिन उनमें से सात दोषी कुछ ही देर बाद जमानत पर रिहा हो गए. इस फैसले से भोपाल गैस पीड़ितों और आम जनता में काफी रोष है. केंद्र सरकार ने एक मंत्रिमंडल समूह (जीओएम) का गठन किया है जिसकी जिम्मेदारी पीड़ितों को राहत पुनर्वास सहित अन्य मुद्दों का आकलन करने की होगी.
इस समूह में स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, कानून मंत्री वीरप्पा मोइली, शहरी विकास मंत्री जयपाल रेड्डी, ट्रांसपोर्ट मंत्री कमलनाथ सहित अन्य नेता शामिल हैं. जिस समय भोपाल गैस त्रासदी हुई उस दौरान केंद्र और राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी. तमाम आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए कांग्रेस पार्टी ने सरकार से मांग की है कि सरकार को एंडरसन के प्रत्यर्पण के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: महेश झा