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एड्स के खिलाफ मुहिम का नाम मंडेला

६ दिसम्बर २०१३

दुनिया भर में एड्स को लेकर फैली भ्रांतियों और वर्जनाओं के बीच नेल्सन मंडेला ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने जागरूकता की आवाज उठाई. उनके बेटे की जान भी एड्स ने ही ली.

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तस्वीर: Getty Images

और यही उनके जीवन में एक नया मोड़ बना. उन पर आरोप लगे कि 1994 से 1999 के बीच जब वह राष्ट्रपति थे, तो उन्होंने एड्स के खिलाफ जम कर आवाज बुलंद नहीं की. लेकिन बाद के सालों में उनका रुख बदला. जब कभी उनसे लंबी चुप्पी के बारे में पूछा गया, तो नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा, "सेक्स के विषय पर अफ्रीका के लोग बेहद रूढ़िवादी हैं. वे इसके बारे में बात नहीं करना चाहते."

मंडेला का कहना था, "मैंने उनसे कहा कि अगर हमने एहतियाती कदम नहीं उठाए, तो यह महामारी हमारे देश को नष्ट कर देगा. मैंने देखा कि मेरे दर्शक बुरा मान रहे थे. वे चिंता से एक दूसरे की तरफ देख रहे थे."

लेकिन रिटायर होने के बाद उन्होंने अपना ध्यान एड्स और एचआईवी की ओर केंद्रित किया. उनके देश में 55 लाख की आबादी एचआईवी की चपेट में है. यह आंकड़ा देश की कुल आबादी के 10 फीसदी से भी ज्यादा है. दिसंबर, 2000 में उन्होंने कहा, "एचआईवी/एड्स किसी युद्ध से भी खतरनाक है. हम यहां जिस वक्त बात कर रहे हैं, ठीक उसी वक्त हजारों लोग इससे मर रहे हैं. लेकिन इस युद्ध को जीता जा सकता है. यह एक ऐसी जंग है, जहां आप कुछ बदल सकते हैं."

भटका हुआ मुद्दा

Bildergalerie Leben Nelson Mandela
तस्वीर: picture-alliance/dpa/dpaweb

दो साल बाद जब दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति थाबो म्बेकी ने एचआईवी और एड्स के रिश्ते पर ही सवाल उठा दिए, तो मंडेला ने उनकी आलोचना की, "एचआईवी से जुड़ी कुछ बुनियादी बातों को लेकर बहस जिस दिशा में जा रही है, वह मुख्य मुद्दे से भटक गया है." उन्होंने एचआईवी संक्रमित लोगों को वह दवा देने की भी वकालत की, जिस पर दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने पाबंदी लगा रखी थी.

उसी साल मंडेला ने एड्स कार्यकर्ता जैकी अखमेट से मिल कर उन्हें इस बात पर राजी कर लिया कि वह 'दवा हड़ताल' कर देंगे. अखमेट ने ऐसा ही किया और कहा कि जब तक सरकार उस दवा पर लगी पाबंदी हटा नहीं लेती और इसे मुफ्त मुहैया नहीं कराती, वह दवाइयां नहीं लेंगे. देश की संवैधानिक अदालत पहले ही सरकार को आदेश दे चुकी थी कि एचआईवी से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को एड्स की दवा दे.

लगातार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद म्बेकी सरकार ने 2003 में एड्स पर अपना पाला बदल लिया और राष्ट्रीय अस्पतालों में इस दवा को मुहैया कराया गया. नेल्सन मंडेला फाउंडेशन का कहना है, "मंडेला और उनकी संस्था सरकार के इस फैसले से बेहद उत्साहित हुए." उसी साल मंडेला ने वैश्विक स्तर पर अपना संगीत 46664 जारी किया, जिसका उद्देश्य एड्स के प्रति जागरूकता बढ़ाना था.

कैदी नंबर 46664

दक्षिण अफ्रीका की बदनाम रोबेन आइलैंड जेल में रहते हुए मंडेला का कैदी नंबर 466 था. उन्हें 1964 में सजा मिली थी, लिहाजा उनका नंबर 466/64 था, जो बाद में 46664 नाम से मशहूर हुआ. मंडेला के संगीत कंसर्ट में मशहूर कलाकार बोनो भी शामिल हुए.

नवंबर, 2003 में इस कंसर्ट में मंडेला ने कहा, "एड्स अब सिर्फ मर्ज नहीं रहा. यह मानवाधिकार का मुद्दा बन गया है. हमें पैसे जमा करने के लिए अभी से काम करना होगा, ताकि एड्स पीड़ितों की मदद हो. हमें एचआईवी के बारे में जागरूकता फैलानी होगी."

मंडेला के जीवन में 2005 बेहद भावनात्मक पल लेकर आया. उन्होंने बताया कि उनके बचे हुए इकलौते बेटे 54 साल के माकगाथो की जान एड्स ने ले ली. मंडेला ने भारी शब्दों में कहा, "कुछ समय से मैं कहता आया हूं कि एचआईवी/एड्स के बारे में चर्चा करो, इसे छिपाओ मत. मैंने आप लोगों को आज बुलाया है कि मैं बताऊं कि मेरा बेटा एड्स की बलि चढ़ गया है."

मंडेला ने कहा कि अगर आप सामने आकर किसी को बताएंगे कि किसी की जान एचआईवी की वजह से गई है, तो इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलेगी और यह बीमारी "स्वर्ग और नर्क जाने वालों" की बीमारी नहीं रहेगी.

एजेए/एमजी (एएफपी)

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