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एमएच 370 के सिग्नल मिले

७ अप्रैल २०१४

महीने भर से लापता मलेशिया एयरलाइंस के विमान का सुराग मिलता दिख रहा है. हिंद महासागर में ऑस्ट्रेलिया के जहाज ने दो घंटे तक विमान के ब्लैक बॉक्स जैसे सिगनल पकड़े. इसे अब तक का सबसे विश्वसनीय सुराग कहा जा रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

चीन के जहाज के बाद ऑस्ट्रेलियाई जहाज ने भी हिंद महासागर की गहराई से आ रही तरंगों को पकड़ा है. ऑस्ट्रेलियाई जहाज में अमेरिकी सेना के "पिंगर लोकेटर" लगाए गए हैं. इसी मशीन ने सिग्नल पकड़े. जिस जगह से सिगनल आ रहे हैं वो पर्थ से 1,680 किलोमीटर की दूरी पर है. सैटेलाइट डाटा के आधार पर खोजकर्ता पहले ही मान रहे हैं कि उसी इलाके में फ्लाइट एमएच 370 क्रैश हुई होगी.

पर्थ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए ऑस्ट्रेलियाई खोज अभियान के प्रमुख एंगस हाउजटन ने कहा, "साफ तौर पर यह अब तक की सबसे विश्वसनीय जानकारी है. अब हम एक बहुत ही सटीक सर्च एरिया में में है, शायद उसी में वह जानकारी छुपी है जो बताए कि एमएच 370 यहीं पानी में गिरी."

अगर सिगनल और पक्के हुए तो ब्लूफिन 21 नाम की खास मशीन पानी में उतारी जाएगी. ब्लूफिन 21 सिगनलों का पीछा करते हुए समुद्र में में डूबे मलबे तक पहुंचने की कोशिश करेगी. जिस जगह से सिगनल आ रहे हैं वहां समुद्र की अधिकतम गहराई साढ़े चार किलोमीटर है. इतनी गहराई में पानी का दबाव बहुत ज्यादा होता है, हाउजटन के मुताबिक ब्लूफिन इतनी गहराई तक जा सकती है.

मलेशिया एयरलाइंस के लापता विमान की खोज महीने भर से चल रही है. फ्लाइट एमएच 370 आठ मार्च को कुआलालम्पुर से बीजिंग से लिए उड़ी थी. उड़ान के घंटे भर बाद विमान से संपर्क टूट गया. सैन्य रडार और सैटेलाइट डाटा के आधार पर जांचकर्ताओं को पता चला कि विमान ने दक्षिण चीन सागर के ऊपर यू-टर्न लिया. इसके बाद फ्लाइट करीब छह-सात घंटे तक उड़ती रही और हिंद महासागर में ऑस्ट्रेलिया के पास पहुंच गई.

हादसे की जांच के लिए ब्लैक बॉक्सों का मिलना बहुत जरूरी है. नारंगी रंग के ब्लैक बॉक्सों में कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर होता है. मजबूत खोल इन रिकॉर्डरों को सुरक्षित रखता है. रिकॉर्डरों की जांच से पता चलेगा कि 35,000 फुट की ऊंचाई पर विमान में ऐसा क्या हुआ कि उसके रडार सिगनल बंद हो गए, वो मुड़ा और फिर बहुत ही दूर क्रैश हो गया. विमान में 227 यात्री और चालक दल के 12 सदस्य सवार थे.

ओएसजे/एएम (एपी, डीपीए)