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"एशियाई शांति में योगदान दे अमेरिका"

५ नवम्बर २०१०

चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के अहम भारत दौरे से पहले कहा है कि अमेरिका एशिया में पारस्परिक राजनीतिक भरोसा और क्षेत्र में शांति कायम करने में सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है.

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अमेरिका और चीन के राष्ट्राध्यक्षतस्वीर: picture-alliance/dpa

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लाई ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के नाते अमेरिका की क्षेत्र में स्थिरता और शांति को बढ़ावा देने के लिए अहम जिम्मेदारी है. हम उम्मीद करते हैं कि क्षेत्र में आपसी राजनीतिक भरोसा और शांति कायम करने में अमेरिका सकारात्मक भूमिका निभाए."

चीनी प्रवक्ता ने इन बातों को गलत बताया कि पड़ोसी देशों के साथ चीन के रिश्ते विवादों का शिकार हैं. उन्होंने कहा कि चीन भारत और अन्य एशियाई देशों के साथ चीन बराबर आदान प्रदान करता रहा है. उन्होंने हाल ही भारत के साथ राजनयिक संबंधों के 60 साल पूरे होने के मौके पर हुए समारोह का भी जिक्र किया.

होंग ने बताया कि चीनी प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों ही हनोई में हुए पूर्वी एशियाई देशों की बैठक में कई एशियाई नेताओं से मुलाकात की. चीनी प्रवक्ता ने कहा, "चीन और एशियाई देशों के बीच नई तरह की साझेदारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए बदलावों के बावजूद कायम रही है. हमारी नीति पडो़सी देशों के साथ रिश्ते मजबूत करना और दोस्ताना सहयोग बढ़ाना है."

राष्ट्रपति ओबामा के भारत दौरे की चर्चा चीन के सरकारी मीडिया में भी हो रही है. खास कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट पाने की भारत की कोशिशों पर खास तौर से ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिसके लिए भारत अमेरिका से समर्थन की उम्मीद कर रहा है. सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने विदेशी नीति के जानकार मा जियाली के हवाले से लिखा है कि इस बात की कम ही संभावना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति भारत के समर्थन में कोई में स्पष्ट बयान देंगे.

जियाली का कहना है, "संयुक्त राष्ट्र में सुधारों को लेकर अमेरिका की ज्यादा दिलचस्पी नहीं रही है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार होने से अमेरिका की वैश्विक रणनीति प्रभावित होगी. अगर ओबामा भारत को कोई आश्वासन देते हैं तो फिर जापान और जर्मनी जैसे देश भी इसी तरह के समर्थन की उम्मीद करेंगे. इसके अलावा एक बड़ा देश होने के नाते भारत स्थायी सदस्य बनने के बाद स्वतंत्र रूप से अपनी विदेश नीति तय करना चाहेगा. अमेरिका को यह मंजूर नहीं होगा."

चीन के पीपल्स डेली में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, हालांकि चीन राष्ट्रपति ओबामा के इस एशियाई दौरे की सूची में नहीं है, लेकिन इस लेख में यह आशंका जताई गई है कि अमेरिका चीन के खिलाफ रणनीति बनाने की कोशिश कर रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः वी कुमार

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