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ऐतिहासिक किले में जी7 शिखर सम्मेलन

५ जून २०१५

रविवार 7 जून को जर्मनी के बवेरिया प्रांत में दुनिया के 7 शक्तिशाली नेता एक खास जगह पर मिलेंगे. भेंट की जगह जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने खुद चुनी है. परीकथाओं से उतरे लगने वाले लक्जरी होटल का उथल पुथल भरा अतीत रहा है.

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Deutschland Schloss Elmau G7 Gipfel
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Kneffel

बवेरिया के आल्प्स पर्वतों में स्थित एलमाउ किला एक पांच सितारा रिजॉर्ट है. दुनिया के अमीर देशों के क्लब जी7 की दो दिवसीय बैठक के लिए इस रिजॉर्ट की नए सिरे से किलाबंदी हुई है. रिजॉर्ट के दर्शनीय माहौल में यहां मिल रहे शक्तिशाली नेता विश्व की कुछ सबसे गंभीर समस्याओं पर चर्चा करेंगे. इनमें यूक्रेन विवाद, जिहादी आईएस का प्रसार और ग्रीस संकट के अलावा रूस के खिलाफ नए प्रतिबंध भी शामिल होंगे.

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का पास के एक गांव में टहलने का भी कार्यक्रम है. यहां बवेरिया की मशहूर पंखों से सजी टोपियां पहने किसानों और पारंपरिक पोशाक डिर्नडल पहने महिलाओं के बीच से होते हुए ओबामा थोड़ा रूकेंगे और स्थानीय ब्रेड प्रेत्सेल और झाग वाली बीयर का आनंद लेंगे.

जी7 के अध्यक्ष अपने वार्षिक सम्मेलन के लिए आमतौर पर ऐसे ही सुरम्य और चित्रात्मक स्थल चुनते रहे हैं. अक्सर दूरदराज की ऐसी जगहें जहां पुलिस और सुरक्षा कर्मियों के लिए पुख्ता इंतजाम करना आसान हो. खासकर 2001 में इटली के गेनुआ में एक प्रदर्शनकारी की पुलिस की गोली से हुई मौत के बाद सुरक्षा के लिहाज से यह और भी जरूरी हो गया. मैर्केल ने सम्मेलन के लिए एलमाउ किले को चुनने के बारे में कहा, "हम अपने मेहमानों को जर्मनी का एक खूबसूरत कोना दिखाना चाहते हैं और ऐसी ही एक जगह मिल रहे हैं. इस किस्म के सम्मेलनों की सफलता का यह एक महत्वपूर्ण पहलू होता है." सम्मेलन पर करीब 13 करोड़ यूरो खर्च हो रहे हैं.

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दूरदराज आयोजनस्थल पर भीड़ कम और सुरक्षा इंतजाम आसान होते हैंतस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Warmuth

चांसलर मैर्केल कह चुकी हैं कि श्लॉस एलमाउ को चुनने के पीछे एक कारण यह भी है कि इसके मालिक ने यहां नाजीकाल की स्मृतियों को भी स्वीकारा है. प्रथम विश्व युद्ध के समय इस किले का निर्माण एक प्रोटेस्टेंट दार्शनिक योहानेस मुलर ने करवाया था. सन 1933 में जब जर्मनी में आडोल्फ हिटलर का शासन आया, तब मुलर ने नाजी पार्टी की सदस्यता तो कभी नहीं ली लेकिन नए नेता को समर्थन दिया. इसके बावजूद कई बार मुलर ने खुलेआम नाजी नीतियों की आलोचना की, खासकर यहूदी विरोधी भावना को उन्होंने "जर्मनी के लिए अपमान" बताया.

होटल की बेवसाइट में लिखा है कि मुलर के ऐसे विचारों के कारण ही उन पर कड़ी निगरानी रखी जाने लगी. मुलर ने अपने होटल को नाजी नेताओं के कब्जे से बचाने के लिए जर्मन सेना के जवानों को यहां छुट्टी मनाने की अनुमति दे दी. युद्ध की समाप्ति के बाद मुलर पर "हिटलर का मौखिक और लिखित महिमामंडन" करने के अभियोग लगे. वह दोषी साबित हुए और उनसे होटल का स्वामित्व छीन लिया गया. श्लॉस एलमाउ अमेरिकी सेना अस्पताल और बाद में होलोकॉस्ट से बचे लोगों और अन्य विस्थापितों के लिए पनाहगाह भी रहा. महत्वपूर्ण सम्मेलनों के लिए चुने जाने से इसका ऐतिहासिक महत्व आज भी बरकरार है.

आरआर/एमजे (एएफपी)