1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ऑस्ट्रेलिया में आग के कारणों पर बहस

२५ अक्टूबर २०१३

ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने जंगल की आग के पीछे जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार मानने से साफ इनकार कर दिया है. गर्मियों के मौसम की शुरुआत में ही पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के जंगल दहक उठे हैं.

https://p.dw.com/p/1A62o
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo

प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने एक ऑस्ट्रेलियाई अखबार में छपे इंटरव्यू में साफ कहा कि ये सब "बिल्कुल बेकार की बातें हैं." पर्यावरण मंत्री ने भी उनके दावे का समर्थन करते हुए कहा है कि अलग अलग घटनाओं को जलवायु परिवर्तन से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. हालांकि पर्यावरण और विज्ञान से जुड़े एक संगठन ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट जारी कर साफ किया है कि जंगल की आग और जलवायु परिवर्तन के बीच संबंध है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आग की भीषणता और विस्तार साल के इस समय के हिसाब से बिल्कुल अप्रत्याशित है. पिछला महीना न्यू साउथ वेल्स राज्य के लिए सबसे गर्म सितंबर के रूप में दर्ज किया गया. इससे पहले के 12 महीने पूरे ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे गर्म साल के रूप में बीते.

पर्यावरण आयोग का दावा

पिछले महीने सरकार ने सरकारी खर्च से चलने वाले पर्यावरण आयोग को भंग कर दिया. हालांकि निजी दानदाताओँ की बदौलत यह संगठन पर्यावरण परिषद के रूप में अपना अस्तित्व बनाए हुए है और दुनिया के बढ़ते तापमान के बारे में भरोसेमंद जानकारियां स्वतंत्र रूप से लोगों तक पहुंचा रहा है. संगठन ने अपनी रिपोर्ट के जरिए चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के आग पर असर को नकारने से कहीं लोगों और उनकी संपत्तियों को जोखिम में ना डाल दिया जाए. परिषद की रिपोर्ट अभी अंतरिम है और अंतिम रिपोर्ट अगले महीने तक आएगी.

ऑस्ट्रेलिया की नेशनल यूनिवर्सिटी में क्लाइमेट चेंज इंस्टीट्यूट के निदेशक और पर्यावरण परिषद के सदस्य विल स्टेफेन ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के बारे में जो बात साबित हो चुकी है उसे ऑस्ट्रेलिया में नहीं माना जा रहा है. उनका कहना है, "हम यह देखना चाहेंगे कि क्या यह देश उन बेकार की बहसों में उलझा रहेगा जिन्हें वैज्ञानिक तरीके से दशकों पहले साबित किया जा चुका है या फिर समस्या से सही तरीके से निबटने के बारे में असल बहस शुरू करेगा."

दो दशकों से आग

एबॉट की दलील है कि ऑस्ट्रेलिया में जंगल की आग 200 साल से लगती आ रही है, जब यह यूरोपीय उपनिवेश था और इससे पहले भी कहीं ज्यादा भयानक आग के हादसे होते रहे हैं. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन की सचिव क्रिस्टियाना फिगुरेस पर "जाने बूझे बिना बोलने" का आरोप लगाया. क्रिस्टियाना ने ऑस्ट्रेलिया के जंगलों की आग का संदर्भ देकर कहा था कि दुनिया वातावरण में "कार्बन की कीमत" चुका रही है. एबॉट ने ग्लोबल वॉर्मिंग के नाम पर सरकार की पर्यावरण नीतियों की आलोचना करने वालों के बारे में कहा है, "वे अपने मकसद के लिए किसी भी चीज का इस्तेमाल करने के लिए बेचैन हो रहे हैं."

एबॉट की सरकार उस कानून को हटाना चाहती है जो ऑस्ट्रेलिया के सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैस उत्पादकों को सीमा लांघने पर ज्यादा टैक्स देने के लिए विवश करती है. यह टैक्स पिछले साल ही लागू किया गया जिससे कि ज्यादा ग्रीनहाउस गैस पैदा करने वालों पर लगाम लगाई जा सके. प्रति व्यक्ति के औसत से देखें तो ऑस्ट्रेलिया दुनिया के सबसे ज्यादा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करने वाले देशों में है. बिजली पैदा करने के लिए यह देश सस्ते कोयले का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करता है.

ऑस्ट्रेलिया के जंगलों की आग ने सिडनी के 200 से ज्यादा घरों को जला दिया है और दो लोगों की मौत हो गई है. एक शख्स आग बुझाने के लिए पानी फेंकने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से मर गया जबकि विमान से पानी गिराने के दौरान लपटों की चपेट में आकर गिरे विमान के पायलट के रूप में दूसरे शख्स की मौत हुई.

एनआर/आईबी (एपी/रॉयटर्स)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी