ओरांग उटान का दम घोंटती जंगल की आग
सुमात्रा और कालीमंतन (बोर्नियो) द्वीपों पर जंगल की भीषण आग ने इंसानों ही नहीं पेड़ पौधों और जानवरों के लिए भी भारी मुश्किलें पैदा की हैं. ओरांग उटान की जिंदगी जंगल की आग ने दूभर कर दी है.
घर और आबादी दोनों पर खतरा
ओरांग उटान के लिए जंगल में लगने वाली आग उनके घर की बर्बादी और संख्या में कमी का कारण बन रही है. 2008 के आंकड़ों के मुताबिक बोर्नियो के जंगलों में करीब 56,000 ओरांग उटान थे. हालांकि जंगलों के कटने और लगभग हर साल होने वाली आग की घटनाओं से उनकी आबादी अब 30,000 से 40,000 के बीच ही रह गई है.
सेहत पर असर
बोर्नियो ओरांग उटान सर्वाइवल फाउंडेशन के मुताबिक न्यारु मेंतेंग इलाके में स्वास्थ्य लाभ केंद्र में रह रहे ओरांग उटान के 16 बच्चे धुएं के कारण स्वास्थ्य समस्याओं के जूझ रहे हैं. जंगल की आग में कितने ओरांग उटान मारे गए हैं, इसकी ठीक जानकारी अभी नहीं है.
सोने का समय
ओरांग उटान सामान्य दिनों में शाम पांच बजे सोते हैं और सुबह 4 से 5 के बीच उठ जाते हैं. लेकिन आग की स्थिति में धुएं और धुंध के रहते वे ज्यादा सोने लगते हैं. ऐसे में वे दोपहर दो-ढाई बजे सो जाते हैं और सुबह 6 बजे उठते हैं.
कम ऊंचाई पर घर
धुंध के समय ओरांग उटान अपने बसेरे भी सामान्य से कम ऊंचाई पर बनाते हैं. साथ ही देखा गया है कि उनके खानपान के तरीके में परिवर्तन आने लगता है.
घर से जुदाई
आग लगने और धुंध बढ़ने की स्थिति में ओरांग उटान जिंदा रहने और पेट भरने के लिए अक्सर जंगल छोड़कर इंसानी बस्तियों की तरफ बढ़ने लगते हैं.