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कई और राज्यों में पहुंची मीट बैन की लहर

११ सितम्बर २०१५

महाराष्ट्र से शुरु होकर मीट बैन का सिलसिला कई राज्यों में पहुंच गया है. जैन पर्व के मद्देनजर मुंबई में चार दिनों तक जानवरों के वध और मीट की बिक्री पर बैन का आदेश था.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Gupta

आठ दिन के जैन पर्व पर्यूषण के उपलक्ष्य में महाराष्ट्र के मुंबई समेत कुछ इलाकों में मीट की बिक्री पर लगे प्रतिबंध पर काफी प्रतिक्रिया हुई. चार दिन के अस्थायी प्रतिबंध को लेकर आम नागरिकों और महाराष्ट्र के प्रमुख राजनीतिक दल शिवसेना ने भी कड़ी आलोचना की है.

नाराज मीट विक्रताओं ने कहा है कि नगर निगमों की कमान राष्ट्रवादी हिंदू पार्टी बीजेपी के हाथों में होने के कारण ही पहले के दो दिन के बजाए इस बार बैन चार दिनों तक बढ़ा दिया गया.

एक प्रमुख मीट डीलर मोहम्मद कुरैशी ने बताया कि वे और दूसरे कई विक्रेता इस बैन को अदालत में चुनौती दे रहे हैं. इनका मानना है कि यह प्रतिबंध उनके जीवनयापन के अधिकार का उल्लंघन करता है.

मुंबई के करीब 2 करोड़ निवासियों में से कई लोगों ने इस बैन के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपना असंतोष जाहिर किया है. उनका मानना है कि यह आदेश उनके खाने की आजादी को भंग करता है.

इस बैन का चार दिनों तक विस्तार करने के मामले पर महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ मिलकर साझा सरकार बनाने वाली शिवसेना ने भी अपना विरोध जताया है. दक्षिणपंथी शिवसेना और विपक्षी दल महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने इसके विरोध में सड़कों पर प्रदर्शन किया.

आदेश के अनुसार कसाईखाने 10, 13, 17 और 18 सितंबर को बंद रखे जाने थे. बैन के पहले दिन 10 सितंबर को मुंबई का सरकारी कसाईखाना बंद रहा. मीट डीलरों ने बताया कि इसके कारण अगले दिन बाजारों में मीट की सप्लाई नहीं हो सकती.

कुछ महीने पहले ही महाराष्ट्र में बीफ पर बैन लगा था. बीफ यानि गोमांस को रखने या बेचने पर सजा का प्रवाधान है. हिंदू धर्म के बहुतया लोग गाय को पूजा का पात्र मानते हैं.

महाराष्ट्र के बाद उत्तर भारतीय राज्य राजस्थान ने भी जैन त्योहार के लिए मीट और मछली की बिक्री पर तीन दिनों की रोक लगा दी. इसी क्रम में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने बीफ पर बैन का आदेश जारी किया, जिसे लेकर राज्य में स्थानीय लोगों और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों ने बड़ा विवाद खड़ा किया.

केंद्र में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के प्रवक्ता अजय माकन ने कहा है कि यह लोगों को क्या खाना है या क्या नहीं, यह चुनने का अधिकार है. माकन ने कहा, "राज्य के मुख्यमंत्रियों को ये लोगों पर छोड़ देना चाहिए कि वे क्या खाना खाएंगे." महाराष्ट्र के बाद कई राज्य बैन लगा रहे हैं.

आरआर/आईबी (डीपीए,पीटीआई)