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कई चेहरों वाले रोमनी

२ नवम्बर २०१२

जो काम पिता पूरा न कर सके, उसे एक नाकामी के बावजूद बेटा अंजाम तक पहुंचाना चाहता है. मिट रोमनी बराक ओबामा को कड़ा मुकाबला देते दिख रहे हैं. एक कद्दावर नेता के रूप में सामने आए रोमनी कागजी बातें करने का आदी नहीं हैं.

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तस्वीर: Reuters

"बहुत बड़ा नुकसान हो या मुश्किल वक्त आए तो क्या करें. क्या करें जब आपको पता चले कि जो किया वह ठीक नहीं था. ज्यादा परिश्रम करें. उम्मीदों को जिंदा रखें. अपने बच्चों को ज्यादा देर तक गले लगाएं. हो सके तो प्रार्थना में ज्यादा समय लगाएं, उम्मीद करें कि आने वाली सुबह राहत लेकर आए."

ओबामा पर तंज करता यह बयान मिट रोमनी के भाषण का एक छोटा सा हिस्सा है. यह बताता है कि वह उम्मीदों पर झूलने के बजाए ठोस काम करने पर यकीन रखते हैं. रोमनी जोशीला भाषण भले ही न देते हों, लेकिन वह तार्किक बातें और सटीक योजना का जिक्र करते हैं. उनकी कार्यशैली किसी को भी उनका मुरीद बना देने के लिए काफी है.

चिंता और जज्बात

रोमनी की भाव भंगिमा में अमेरिका के प्रति चिंता दिखाई पड़ती है. आंखों में अमेरिका के लिए चिंता और जज्बात तैरते हैं. ये भी कुछ ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से 65 साल के रोमनी अपनी ही पार्टी के कई दिग्गजों को पीछे छोड़ राष्ट्रपति पद की दावेदारी तक पहुंचे.

अर्थशास्त्र और अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर वह ओबामा पर भारी पड़ते हैं. ओबामा के कार्यकाल में अमेरिका में मध्यवर्गीय परिवार की आय में 4,300 डॉलर की गिरावट आई. पेट्रोल का दाम दोगुना हो गया. बिजली महंगी हो गई. रिपब्लिकन नेता रोमनी दावा करते हैं कि मध्यवर्ग कुचल सा गया है. वह अमेरिका में छोटे उद्योगों को फिर से बढ़ावा देने की बात करते हैं. वह चाहते हैं कि अमेरिका फिर से सिलीकॉन वैली जैसी क्रांति देखे.

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सैंडी के कहर के बाद जनसेवा करते रोमनीतस्वीर: dapd

विरासत में राजनीति

पेशे से कारोबारी और सलाहकार रहे मिट रोमनी के पास राजनीतिक विरासत है. उनके पिता जॉर्ज डब्ल्यू रोमनी भी रिपब्लिकन पार्टी से जुड़े रहे. 1968 में जॉर्ज डब्ल्यू रोमनी राष्ट्रपति चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी की तरफ से होने वाले नामांकन में रिचर्ड निक्सन का दावा ज्यादा भारी पड़ा. निक्सन फिर राष्ट्रपति भी बने. 12 मार्च 1947 को पैदा हुए मिट रोमनी संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते हैं. खुद उनकी अपनी संपत्ति 19 से 25 करोड़ डॉलर आंकी गई है.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए कर चुके रोमनी 1977 से अमेरिका के कॉरपोरेट जगत को देख रहे हैं. उनके सामने अमेरिका की कंपनियां दुनिया भर में छा गईं. सिलीकॉन वैली खड़ी हो गई. बैन एंड कंपनी के सह स्थापक और सीईओ रोमनी जवानी में ही कुछ जगहों पर नेता के तौर पर उभरे. कारोबारी बनने से पहले छात्र जीवन में वह चर्च के स्थानीय नेता बने.

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कड़े मुकाबले के बीच हंसी के दो पलतस्वीर: AP

राजनीति में रोमनी

1994 में रोमनी मैसेच्यूसेट्स से सीनेटर चुने गए और फिर 2003 में राज्य के गवर्नर बने. रोमनी को गवर्नर बनाने में कई चीजों की अहम भूमिका रही. तमाम मुश्किलों के बावजूद वह 2002 में साल्टलेक विंटर ओलंपिक का सफल आयोजन कराने में सफल रहे. 11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमले के बाद जिस अंदाज में साल्टलेक में ओलंपिक खेल हुए, उससे सब हैरान रह गए. इस कामयाबी ने रोमनी को दृढ़ इच्छाशक्ति वाले नेता के रूप में पेश किया. लोगों ने उन्हें कायाकल्प कर देने वाला हीरो कहना शुरू कर दिया. इसका फायदा उन्हें गवर्नर चुनाव में हुआ.

प्रांत भारी कर्ज में डूबा था. 2003 में गर्वनर बनते ही मिट ने कई शुल्क बढ़ा दिए. ड्राइविंग, हथियार और अन्य लाइसेंसों की फीस बढ़ाकर उन्होंने 30 करोड़ डॉलर जुटा लिए. पेट्रोल पंप मालिकों पर हर गैलन दो सेंट शुल्क लगाकर उन्होंने हर साल अतिरिक्त छह करोड़ डॉलर जुटाए. टैक्स चुराने के रास्ते बंद कर 18.1 करोड़ डॉलर इकट्ठा किए. आय बढ़ाई साथ ही बजट घाटा भी कम किया.

गवर्नर रहते हुए उन्होंने प्रांत के सभी निवासियों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा दी. ओबामा जिन स्वास्थ्य सुधारों की बात कर रहे हैं, वह रोमनी बहुत पहले लागू कर चुके हैं. हालांकि ओबामा के ऐसे ही सुधारों का विरोध अब रोमनी की रिपब्लिकन पार्टी कर रही है. उसे लगता है कि हर किसी का बीमा कराने से बजट घाटा बढ़ेगा.

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साल्टलेक विंटर ओलंपिक्स के हीरो रोमनीतस्वीर: Getty Images

कभी कभी आत्मघाती

मिट रोमनी 2008 में रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनना चाहते थे, लेकिन उस वक्त उनकी दावेदारी हल्की पड़ गई. मौका जॉन मैक्केन को मिला. चार साल की तैयारी के बाद वह अब मुख्य चुनावी मैदान में हैं. डैमोक्रेट नेता रोमनी पर अति पूंजीवादी होने का आरोप लगाते हैं. अपनी ही पार्टी के गवर्नर रिक पेरी से 10 हजार डॉलर की शर्त लगाकर रोमनी खासी किरकिरी करवा चुके हैं.

रोमनी को रूढ़िवादी छवि से भी बाहर निकलना है. वे ईसाई धर्म के मोरमॉन पंथ के अनुयायी हैं. गर्भपात और समलैंगिकता के मुद्दे पर उन पर रूढ़िवादी होने का आरोप लगता है.

विदेश नीति के मुद्दे पर भी रोमनी कुछ ज्यादा आक्रामक दिखते हैं. ईरान, सीरिया, रूस और चीन के मसले पर वह कड़े लफ्जों का इस्तेमाल करते हैं. अब देखना है कि अमेरिकी जनता उनके सख्त शब्दों से ज्यादा प्रभावित होती है या फिर ओबामा के कूटनीतिक रास्ते पर ज्यादा विश्वास करती है.

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चुनाव प्रचार के दौरान अपनी के साथ रोमनीतस्वीर: Reuters

ओबामा रोमनी पर यह आरोप भी लगाते हैं कि वह अमेरिका की नौकरियों को पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश की तरह विदेशों में भेज देंगे. रोमनी इसका खंडन करते रहे हैं. इसके जवाब में रोमनी कहते हैं कि उनके दिमाग में ओबामा से बेहतर ठोस आर्थिक योजना है. यह बात आम अमेरिकी और ओबामा भी जानते हैं कि रोमनी की नेटवर्किंग की क्षमता गजब की है. आर्थिक मामलों में वह ओबामा के मुकाबले ज्यादा बेहतर कहे जा रहे हैं.

रोमनी अब तक चुनाव प्रचार और विज्ञापन में करोड़ों डॉलर फूंक चुके हैं. राष्ट्रपति चुनावों पर नजर गड़ाए बैठे विश्लेषक कहते हैं कि रोमनी की कार्यशैली और योजनाओं पर किसी को शक नहीं है. मतदाताओं के सामने एक तरफ अमेरिका के पूंजीवादी ढांचे की नस नस जानने वाले बुजुर्ग और अनुभवी नेता रोमनी हैं तो दूसरी तरफ ग्लोबल और बिंदास अमेरिकी बराक ओबामा. मुकाबला बेहद कड़ा है.

रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी

संपादन: महेश झा

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