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कचरे में छुपी दौलत

१९ अगस्त २०१४

तांबे की जरूरत हर कहीं होती है, पानी पहुंचाना हो या बिजली. लेकिन उद्योग में काम आने वाला मेटल कभी न कभी खत्म हो जाएगा. इसलिए यूरोप के सबसे बड़े कॉपर उत्पादक आउरुबिस के लिए पुराना तांबे अहम होता जा रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa/dpaweb

हैम्बर्ग में आउरुबिस कंपनी के परिसर में रोजाना डेढ़ सौ टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा लाया जाता है. कारखाने के प्रमुख थोराल्फ शुल्त्सकुस लाए गए माल की जांच कर रहे हैं. कंप्यूटर के इन पुराने हिस्सों में कीमती कच्चा माल छुपा है. शुल्त्सकुस के मुताबिक मॉर्डन लाइफस्टाइल में जटिल रूप से बने मैटेरियल तेजी से बढ़ रहे हैं, क्योंकि सेलफोन और होम इलेक्ट्रॉनिक्स का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है और इन गैजेट्स की लाइफ बहुत छोटी हो गई है.

घटता तांबा

कंपनी इस कचरे से और ज्यादा मैटेरियल बाहर निकालना चाहती है लेकिन इनका बड़ा हिस्सा कूड़े में भी जाता है या उसे अवैध रूप से दूसरे देशों में बेच दिया जाता है. ऐसा कारोबार जिस पर नियंत्रण करना बहुत मुश्किल है. कचरा बेशकीमती है. एक टन के लिए कंपनी को कई हजार यूरो देने पड़ते हैं. पहले तांबे से बने गटर और बाथटब हुआ करते थे, जिनकी यहां रिसाइक्लिंग होती थी. आजकल ये छोटे छोटे टुकड़े हैं.

कचरे में छुपी दौलत

वैसे रिसाइक्लिंग में कई और बेशकीमती धातुएं भी मिलती है. कंपनी के सैंपलिंग प्रमुख मार्क लीबर कहते हैं, "हमारी दिलचस्पी क्लिप में लगे सोने में है, सोल्डरिंग में इस्तेमाल होने वाले सिल्वर में है. या फिर प्लाटिनम, पलाडियम और तांबा, यह सब इस इलेक्ट्रो कचरे में मौजूद है."

आउरुबिस रिसाइकल करने वाली कंपनी है, और साथ ही यूरोप में तांबे की सबसे बड़ी उत्पादक. यहां 1,200 डिग्री सेल्सियस पर धातुओं को गलाया जाता है. मांग का एक तिहाई तांबा कचरे से निकलता है जबकि दो तिहाई चिली, ब्राजील और कनाडा की खानों से आता है. कच्चे माल की कीमत लगातार बढ़ रही है.

आउरुबिस अपने इस प्लांट में हर साल 41,000 टन तांबे का उत्पादन करता है. मांग बहुत ज्यादा है, खासकर निर्माण और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में. और सिर्फ विकासशील देशों में ही नहीं.

तांबे की इतनी मांग क्यों

यहां जर्मनी में भी, विकसित औद्योगिक देशों में तांबे की बहुत मांग है, खासकर नवीनीकृत ऊर्जा, नई पवन चक्कियों के कारण होने वाला नेटवर्क विस्तार, जिनमें तांबे की खासी जरूरत होती है. वहीं तांबे की रिसाइक्लिंग काफी जटिल प्रक्रिया है, यह कंपनी भविष्य में अपने प्लांट में और निवेश करना चाहती है. रिसाइक्लिंग पर्यावरण के लिए तो अच्छा है ही इससे विदेशी कच्चे माल पर कंपनी की निर्भरता भी कम होती है.

रिपोर्ट: बेटिना थोमा-शाडे/एमजे

संपादन: अनवर जे अशरफ

अल्युमिनियम रिसाइक्लिंग