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कतर में मजदूरों का बड़े पैमाने पर शोषण

७ अप्रैल २०१७

ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में वो कतर पहुंचे. और अब वहां हालत खस्ता है. भारत, बांग्लादेश और नेपाल के सैकड़ों मजदूरों की दुर्दशा बताने वाली रिपोर्ट सामने आई है.

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Katar Doha Baustelle Arbeiter OVERLAYFÄHIG
तस्वीर: Getty Images

एशिया के हजारों मजदूरों ने कतर में नौकरी पाने के लिए पहले अपने देश में भारी फीस भरी. उसके बाद वो कतर पहुंचे. अब वहां लगातार 148 दिन से काम कर रहे हैं. करीब पांच महीने तक उन्हें कोई छुट्टी नहीं मिली. यह बातें खुद कतर की वर्ल्ड कप ऑर्गनाइजिंग बॉडी द्वारा फंड की गई जांच में सामने आयी हैं.

खाड़ी के देश कतर में 2022 में फुटबॉल विश्व कप होना है. वर्ल्ड कप की तैयारियों के लिए देश में 200 अरब डॉलर की लागत से आधारभूत ढांचा खड़ा किया जा रहा है. भारत, नेपाल और बांग्लादेश के हजारों मजदूर दिन रात कतर के फुटबॉल ड्रीम को साकार करने में लगे हैं. लेकिन मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि मजदूर अमानवीय परिस्थितियों में काम कर रहे हैं. उनके पास रहने के लिए न साफ सुथरी जगह है, न पीने का पानी.

मजदूरों की मौत और अमानवीय हालात की रिपोर्टें सामने आने के बाद कतर ने श्रम कानूनों में सुधारे किये. स्टेडियम निर्माण में जुटे मजदूरों की स्थिति बेहतर करने के लिए 2016 में एक ब्रिटिश सलाहकार फर्म की मदद ली गई.

कई मजदूर कतर से ताबूतों में वापस लौटे
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/N. Shrestha

फर्म की रिपोर्ट टूर्नामेंट की आयोजन समिति को सौंपी गई है. रिपोर्ट में ऐसे मजदूरों के बयान है जो हर दिन 18 घंटे काम करते हैं, वो भी हफ्ते में छह दिन. कुछ ऐसे मजदूरों का भी जिक्र है जिन्हें उनके मालिक ने बंधक बनाया हुआ है.

तीन मजदूरों ने कहा कि वे लगातार 148 दिन से काम कर रहे हैं, उन्हें कोई आराम नहीं दिया गया. 253 मजदूरों का इंटरव्यू कर तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक, कई मजदूर अपने देश में एजेंट को नौकरी की फीस देकर भी आए हैं. रिपोर्ट कहती है, "जो जानकारियां हमने जुटाई हैं, वे इशारा करती हैं कि नौकरी पाने की प्रक्रिया के दौरान कर्मचारियों ने 80 से 3,800 अमेरिकी डॉलर की फीस चुकाई."

2016 में मजदूरों ने प्रदर्शन भी किये. रिपोर्ट के मुताबिक दो कर्मचारियों को मजदूरों को भड़काने के आरोप में बर्खास्त भी किया गया. तेल और गैस के चलते अमीर हुए देश कतर में कर्मचारियों का प्रदर्शन ऐतिहासिक घटना की तरह था. देश में श्रम संगठनों पर प्रतिबंध है. विरोध करने वालों को आम तौर पर जेल की सजा या तुरंत उनके देश भेजने की सजा दी जाती है.

वर्ल्ड कप कमेटी के प्रमुख हसन अल-थावाडी ने रिपोर्ट का स्वागत किया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स को भेजे ईमेल में उन्होंने कहा, "हम सकारात्मक समीक्षा और सुझावों का स्वागत करते हैं. हम सामने आए मुद्दों के सही समाधान के लिये हर संभव कदम उठाएंगे."

46 पेज की रिपोर्ट में दिसंबर में हुए श्रम सुधारों की तारीफ भी की गई है.

(21वीं सदी के "गुलाम")

ओएसजे/आरपी (रॉयटर्स)