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कभी रानी थी, आज दाने दाने को मोहताज

१२ नवम्बर २०१०

तमिलनाडु के शाही परिवार की एक सदस्य दिन की दो रोटी को मोहताज हैं. उनके पास गुजारे का कोई साधन नहीं और वह भूखे मरने को मजबूर हैं. बस बेटे का सहारा है, लेकिन उसके रोजगार का भी कोई पक्का ठिकाना नहीं है.

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तस्वीर: AP

विरुद्धनगर जिले के कोलापट्टी के राजा वेंकटेश्वरा इटप्पा की तीसरी पत्नी अप्पम्मा काज्जलप्पा गांव में एक छोटी सी झोंपड़ी में अपने बेटे के साथ दाने दाने को मोहताज जिंदगी बिता रही हैं. यह झोंपड़ी कभी उनके महल का सर्वेंट क्वॉर्टर हुआ करता था.

हालांकि अप्पम्मा के परिवार के पास अथाह संपत्ति और धन था लेकिन उन्होंने वह सब गांव की भलाई के लिए दान कर दिया. उनके महल का खास हिस्सा भी गांव में स्कूल बनाने के लिए दे दिया गया. अब रानी के पास कुछ नहीं बचा है. वह कहती हैं, "हमारे परिवार वाले काफी बड़े दिल के थे. उन्होंने लोगों की भलाई के लिए सब कुछ दान कर दिया. मेरे पास अब यह झोपड़ीनुमा घर बचा है. कभी मैं रानी रही लेकिन आज तो मेरे पास कुछ नहीं है."

वैसे रानी अप्पम्मा आज भी परंपरा के तौर पर गांव में मंदिर के उत्सव का कामकाज देखती हैं लेकिन वह बताती हैं कि इससे उन्हें कुछ भी नहीं मिलता क्योंकि इस काम को तो मंदिर के सम्मान में किया गया माना जाता है.

अप्पम्मा इस गांव की रहने वाली तो नहीं हैं. वह पोथिरेड्डीपट्टी गांव में पैदा हुई थीं लेकिन यहां वह 11 साल की उम्र से ही रह रही हैं. पहले वह रोजी रोटी कमाने के लिए बीड़ी बनाने का काम करती थीं. लेकिन उनके बेटे ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया. उनका बेटा ऑटोमोबाइल स्पेयरपार्ट्स की एक दुकान में काम करता है लेकिन उसकी तन्ख्वाह में दोनों का गुजारा मुश्किल से ही चलता है.

अप्पम्मा बताती हैं कि उन्होंने बुढा़पा पेंशन के लिए दो बार अर्जी डाली लेकिन उनकी अर्जी का कोई जवाब नहीं आया.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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