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"कयामत" की तैयारी

९ दिसम्बर २०१२

अगर लगता हो कि सिर्फ भारत में अंधविश्वास मानने वाले हैं, तो गलत है. दुनिया में कई लोग अब भी मान रहे हैं कि माया कैलेंडर का असर है और दुनिया 21 दिसंबर को खत्म होने वाली है. लोग तो आखिरी रात की तैयारी भी करने लगे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

यूक्रेन की राजधानी कीएव के छात्र आंद्रेई इलचेन्को को पक्का पता है कि उन्हें उस रात के लिए क्या करना है, "हम लोग उस दिन के लिए खाना और शराब खरीद रहे हैं. इसके बाद हम अपने बंकर में चले जाएंगे और खुशी खुशी इसका दरवाजा बंद कर लेंगे."

उनके दोस्तों ने आखिरी भोज के लिए सोवियत युग के एक बंकर की जगह चुनी है, जहां वे ढेर सारा खाना और शराब लेकर पहुंचने वाले हैं. लगभग 5000 साल के इतिहास को संजो कर रखने वाले माया कैलेंडर में इस साल 21 दिसंबर के बाद की तारीख का जिक्र नहीं है और इस आधार पर कई लोग मानने लगे हैं कि उसी दिन दुनिया खत्म हो जाएगी. दूसरी जगहों की तरह रूस और यूक्रेन की मीडिया ने भी इस तरह की खबरों को खूब उछाला है.

रूस के ओमुतनिंस्क शहर में एक अखबार में "कोनिएक स्वेता" हेडलाइन से खबर छपी है, जिसका मतलब है कि दुनिया खत्म हो रही है. इसके बाद घबराए लोगों ने दुकानों को साफ कर दिया और जितना सामान हो सका, खरीद लिया. अखबार ने इस बात को स्पष्ट करने की जहमत नहीं उठाई कि यह सब क्या है. देश में मामला इतना गंभीर हो चला कि सरकार को आखिर में बयान जारी कर बताना पड़ा कि मामला क्या है.

Zuckermoleküle in Gaswolken aus der Umgebung eines jungen Sterns
तस्वीर: eso.org

आपातकाल मंत्री व्लादिमीर पुचकोव ने कहा कि सरकार के पास इस बात की भरोसेमंद सूचना है कि 21 दिसंबर को दुनिया खत्म नहीं होगी, "यह बार बार साबित हो चुका है कि दुनिया में एक करोड़ से डेढ़ करोड़ साल के बीच भयानक हादसे होते हैं." उनके इस बयान को रूस के सरकारी रूसिसकाया गैजेट में प्रकाशित किया गया है.

रूस के रूढ़ीवादी चर्च को भी इस मामले में दखल देना पड़ा. प्रभावशाली पादरी वसेवेलोद चैपलिन ने कहा, "दुनिया का खत्म होना लाजिमी है और यह किसी भी समय हो सकता है लेकिन ऐसा 21 दिसंबर को निश्चित तौर पर नहीं होना है."

मीडिया की सनसनीखेज खबरों और स्पष्टीकरण नहीं मिलने के बाद लोग परेशान हो रहे हैं. मॉस्को के पास एक शहर में 19 साल के युवक ने इसी चक्कर में तीन लोगों को बुरी तरह पीट दिया. इनमें तीन साल का एक बच्चा भी है, जो कोमा में चला गया है.

ऐसी घटनाओं के बाद रूसी संसद ने मीडिया से कहा है कि उन्हें ज्यादा जिम्मेदारी दिखाने की जरूरत है क्योंकि लोगों में घबराहट फैल रही है. कहा गया है कि जो गलत तरीके से प्रसारण करता पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.

वैसे, इस मौके का आर्थिक फायदा उठाने वालों की भी कमी नहीं. साइबेरिया के टोम्स्क शहर में इमरजेंसी किट्स बिकने लगी हैं, एक की कीमत 30 डॉलर (करीब 1500 रुपये). इसे खरीदने वालों को ज्यादा दिनों तक टिकने वाला खाना, मोमबत्ती, माचिस और साबुन मिल रहा है. इसमें कुछ गेम भी होंगे, जिससे समय काटा जा सके.

एजेए/एनआर (डीपीए)

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