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कश्मीर में हड़ताल से आम जीवन पर असर

२१ जून २०१०

भारतीय कश्मीर में एक युवक की हत्या के विरोध में हड़ताल का आह्वान किया गया है जिससे आम जनजीवन प्रभावित हुआ है. श्रीनगर में रविवार को भारत विरोधी प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों की गोली से हुई थी जावेद अहमद की मौत.

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तस्वीर: AP

पिछले दस दिनों में पुलिस की गोलीबारी में होने वाली यह तीसरी मौत है. प्रदर्शनकारियों की मौत के विरोध में कश्मीर में हड़ताल बुलाई गई है. स्थिति पर काबू पाने के लिए प्रशासन ने भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया है. कश्मीर के कई अन्य शहरों में आम जीवन पर हड़ताल का असर देखा गया है.

Indien Kaschmir Proteste
तस्वीर: AP

प्रशासन ने सड़कों पर प्रदर्शनकारियों को नहीं आने देने के लिए श्रीनगर के ज्यादातर इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है. सोमवार को हड़ताल का आह्वान कश्मीर के कई अलगाववादी संगठनों ने किया है. कश्मीर घाटी के उन इलाकों में दुकानें नहीं खुली हैं जहां बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी है. सड़कों पर ट्रैफिक बेहद कम है और सरकारी कार्यालयों में भी उपस्थिति आम दिनों से कम है.

11 जून को भारत विरोधी प्रदर्शनों के दौरान 17 वर्षीय एक छात्र की तब मौत हो गई जब पुलिस प्रदर्शनकारियों पर नियंत्रण पाने के लिए आंसूगैस के गोले छोड़ रही थी. इसके एक दिन बाद सुरक्षाकर्मियों ने कथित रूप से एक प्रदर्शनकारी मोहम्मद रफीक की पिटाई की जिससे उसकी पिछले शनिवार को अस्पताल में मौत हो गई.

रविवार को उस युवक की मौत के विरोध में लोगों ने जब एक बंकर में आग लगाने की कोशिश की तो पुलिस ने फायरिंग की जिसकी चपेट में जावेद अहमद नामक युवक आ गया और अपनी जान गंवा बैठा.

श्रीनगर में रहने वाले फारूक बांगी ने एएफपी न्यूज एजेंसी को बताया कि आम लोगों को बाहर निकलने की इजाजत नहीं है. "किसी भी आम व्यक्ति को बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है. पुलिस का कहना है कि कर्फ्यू का कड़ाई से पालन किया जाना है." पुलिस के मुताबिक विरोध प्रदर्शनों को थामने के लिए ही कर्फ्यू लगाया गया है क्योंकि पिछले 10 दिनों से घाटी में प्रदर्शन हो रहे हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: महेश झा