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कश्मीर विवाद और अंधराष्ट्रीयता

शामिल शम्स/ आरआर७ सितम्बर २०१५

पाकिस्तान ने 6 सितंबर 1965 को हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50वीं सालगिरह मनाई. पांच दशक बीत जाने के बाद भी दोनों पड़ोसी देशों के बीच जारी कश्मीर विवाद से आखिर किसको फायदा पहुंच रहा है.

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तस्वीर: STR/AFP/Getty Images

अति राष्ट्रवादी भावनाएं सीमा के दोनों ओर पाई जाती हैं और 1965 युद्ध की वर्षगांठ पर इनका खुल कर प्रदर्शन भी हुआ. बीते हफ्तों में भारत और पाकिस्तान का सोशल मीडिया भी ऐसे अंधराष्ट्रवादिता वाले संदेशों से अटा पड़ा है.

1965 की ही तरह आज भी दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा विवाद कश्मीर को लेकर ही है. 22 अगस्त को इस्लामाबाद की ओर से नई दिल्ली में होने वाली शांति वार्ता को रद्द कर दिया गया. भारत इस वार्ता को आतंकवाद पर केंद्रित करना चाहता था, जिस पर पाकिस्तान का कहना था कि इससे "कुछ भी हासिल नहीं होने वाला."

Narendra Modi
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शपथग्रहण समारोह में पाकिस्तान को आमंत्रित कर अच्छे संबंधों की शुरुआत की थी.तस्वीर: Getty Images/AFP/R. Schmidt

पाकिस्तान कहता आया है कि वह कश्मीरी अलगाववादियों का केवल राजनीतिक समर्थन करता है, जबकि कुछ विशेषज्ञ बताते हैं कि वह 1947 से ही उन्हें रणनैतिक और सैनिक मदद भी देता आया है. कुछ विद्वानों का दावा है कि पाकिस्तान के संस्थापक माने जाने वाले जिन्ना उसी समय से जिहादियों के साथ "सशस्त्र सेना से असंबद्ध सैन्य दल" को कश्मीर में घुसपैठ करने भेजा करते थे.

इसका नतीजा भारत और पाकिस्तान के बीच एक युद्ध के रूप में सामने आया है. 1948 में हुए इस युद्ध में भारतीय सेना ने कश्मीर के ज्यादातर हिस्से पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया. पाकिस्तान के हाथ इसका एक छोटा सा हिस्सा लगा, जिसे वह "आजाद कश्मीर" कहता है.

Raheel Sharif und Premierminister Nawaz Sharif
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान की कमान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नहीं बल्कि सेना प्रमुख राहिल शरीफ के हाथों में है.तस्वीर: picture alliance/Photoshot

1965 का युद्ध भी कश्मीर को लेकर ही हुआ. कराची के रहने वाले अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता शहरम अजहर कहते हैं, "50 साल पहले दोनों देशों के बीच हुए 1965 के युद्ध के दौरान 13,000 से भी अधिक लोग मारे गए. इसके बावजूद दोनों ही देशों के राष्ट्रवादी हमें बताते हैं कि यह एक जश्न मनाने का कारण है. ऐसे समारोहों का केवल एक शब्द में बयान किया जा सकता है: पागलपन."

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पाकिस्तानी अदालत ने गीता नाम की लड़की को भारत वापस भेजने से इंकार कर दिया है. बचपन में गलती से सीमा पार कर वह पाकिस्तान पहुंच गई थी.तस्वीर: Reuters/A. Soomro

इस्लामिक आतंकियों के खिलाफ संघर्ष के पाकिस्तान के दावों को लेकर अब भी अमेरिका, अफगानिस्तान और भारत जैसे देश बहुत आश्वस्त नहीं हैं. दोनों ही देशों के अतिवादी आपसी शत्रुता और युद्धोन्माद का फायदा उठाते हैं. दोनों ही देशों के कई युवा चाहते हैं कि पुरानी शत्रुता भुला कर एक नई शुरुआत हो.

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दोनों देशों के बीच शुरु हुई रेल सेवा समझौता एक्सप्रेस पर 2007 में हुए हमले की जांच आज भी जारी है.तस्वीर: AP

इस्लामाबाद के दस्तावेजी फिल्मकार वजाहत मलिक कहते हैं, "भारत और पाकिस्तान के बीच करीबी संबंध विकसित करने के लिए लोगों के बीच मेलजोल बढ़ाना होगा, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देना होगा. जब लोग साथ आएंगे तो देश भी ऐसा करेंगे."

हांगकांग में एशियाई मानव अधिकार आयोग के वरिष्ठ शोधकर्ता बसीर नवीद बताते हैं, "अगर विवाद ऐसे ही बना रहता है तो भारत और पाकिस्तान के कट्टरपंथियों को ही फायदा होगा. दोनों ही देशों के दक्षिणपंथी समूह युद्ध और नफरत चाहते हैं."