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कांगो के चिम्पांजियों को मिला नया घर

युर्गेन श्नाइडर
१४ अप्रैल २०१७

उत्तरी जाम्बिया में वन्यजीवों के एक संरक्षित क्षेत्र में अनाथ चिम्पांजियों का दूसरा घर बसाया गया है. ये ऐसे चिम्पैंजी हैं जिनके परिवार वाले या तो शिकारियों का निशाना बनाए जाने के कारण या किसी और तरह से मारे गए.

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Kenia Jane Goodall Veranstaltung im Chimpanzee Adoption Centre
तस्वीर: Andrew Wasike

पशु चिकित्सक थालिटा काल्वी के पास जब भी समय होता है, तो वह शिफोन के साथ खेलने लगती हैं. शिफोन एक नर चिम्पांजी है जो उत्तरी जांबिया के चिमफुंशी वन्यजीव अनाथालय में रहता है.  थालिटा काल्वी कहती हैं, "शिफोन पहले पालूत था. वह लंबे वक्त तक एक परिवार के साथ रहा. कई दूसरे चिम्पांजियों के उलट उसे इंसान के साथ संवाद में मजा आता है. इसीलिए हम उसके इतने करीब जा पाए. उसे खेल के तौर पर या दूसरे तरीके से संवाद की जरूरत है, क्योंकि उसे नहीं पता कि प्राकृतिक रूप से चिम्पांजी कैसे रहते हैं, क्या क्या करते हैं."

शिफोन की सेहत का ख्याल रखना जरूरी है. रेस्क्यू सेंटर में सीमित जगह होने के कारण किसी एक जानवर से दूसरे जानवरों में बीमारी तेजी से फैल सकती है. शिफोन एक अलग बाड़े में रहता है क्योंकि उसे चिम्पांजियों के सामाजिक व्यवहार के बारे में कुछ भी नहीं पता. इसके चलते वह ग्रुप में शामिल भी नहीं हो पा रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

वहीं रेस्क्यू सेंटर के बाकी चिम्पांजी जंगल की तरह यहां भी अपने प्राकृतिक स्वभाव में रहते हैं. फुटबॉल के 200 मैदानों के बराबर बड़े सुरक्षित इलाके में वे खुलकर घूम फिर सकते हैं. थालिटा काल्वी कहती हैं, "हम उन्हें ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक माहौल की तरह रखते हैं. इसमें कुछ चुनौतियां भी आती हैं. इसलिए हम ऐसे मौकों का इस्तेमाल करते हैं कि उनके करीब जा सकें, उन्हें देख सकें, चेक कर सकें. वह ये खुद करते हैं."

इस स्टेशन में लगभग 120 चिम्पांजी रहते हैं. यहां रहने वाले ज्यादातर जानवर, अपने जीवन में बुरे अनुभव का सामना कर चुके हैं. कइयों को बचपन में ही परिवार से छीन लिया गया. चिम्पांजी अपने बच्चों की रक्षा करते हैं, इसीलिए अक्सर शिकारी बड़े चिम्पांजियों को मारने में भी नहीं हिचकते. चिमफुंशी के जंगल में जानवरों के लिए बहुत ज्यादा खाना नहीं है. इसीलिए दिन में दो बार स्टाफ चिम्पांजियों के लिए अलग से खाना बनाता है.

वानर विशेषज्ञ इनोसेंट मुलेंगा इस चिम्पांजी स्टेशन के प्रमुख हैं. कुछ चिम्पांजियों को तो वह अपने बचपन से देखते आ रहे हैं. इसलिए उन्हें चिम्पांजियों के व्यवहार की अच्छी खासी जानकारी है. वह कहते हैं, "असली मकसद इन चिम्पांजियों को एक अच्छा घर देने का था. इसीलिए हमारे पास ये बड़े बाड़े है, जैसे यहां हमारे पास 47 बाड़े हैं. इनके जरिये हम इन्हें सुरक्षा दे रहे हैं."

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तस्वीर: picture-alliance / OKAPIA KG, Germany

इस बात की बहुत कम गुजाइंश है कि इस स्टेशन के चिम्पांजी कभी जंगली चिम्पांजियों के झुंड में शामिल हो सकेंगे. जंगल साल दर साल सिमटता जा रहा है. मुलेंगा बताते हैं कि चिमफुंशी के ज्यादातर चिम्पांजी कांगो से आए है जो स्टेशन से 18 किलोमीटर दूर है. कांगो में कानून व्यवस्था बेहद खराब है, वहां युद्ध जैसे हालात हैं. ऐसे में, ये चिम्पांजी शिकारियों और जंगली मांस का कारोबार करने वालों के हाथों में पड़ सकते हैं. इन चिम्पांजियों को सुरक्षा की सख्त जरूरत है.

कोई नहीं जानता कि जंगल में कितने चिम्पांजी हैं. अनुमान के मुताबिक आज दुनिया भर में करीब तीन लाख चिम्पांजी बचे हैं. इस सदी की शुरुआत में यह संख्या दसियों लाख थी.