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कायर माओवादी हिंसा छोडें: चिदंबरम

५ अप्रैल २०१०

गृह मंत्री पी चिदंबरम ने रविवार को माओवादियों को कायर बताते हुए कहा कि अगर वे लोग शांति और विकास चाहते हैं तो उन्हें बातचीत के लिए आगे आना चाहिए. पश्चिम बंगाल दौरे पर आए चिदंबरम ने हिंसा प्रभावित लालगढ़ का दौरा किया.

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तस्वीर: AP

चिदंबरम ने कहा कि माओवादी कायर हैं, वे जंगल में छिपे हुए हैं. अगर वे विकास चाहते हैं तो बातचीत के लिए आगे आएं. उनसे किसी भी मुद्दे पर बातचीत हो सकती है. लेकिन उनको हिंसा छोड़नी होगी.

लालगढ़ की एक महिला हेमा महतो ने कहा कि बीते साल सुरक्षा बलों का अभियान शुरू होने के बाद वे काफ़ी मुश्किल में दिन गुज़ार रहे हैं. तमाम नेता उनकी बातें तो सुनते हैं. लेकिन उनके जाने के बाद समस्याएं जस की तस रहती हैं.

Indische Paramilitärs gegen Maoistische Rebellen
तस्वीर: dpa

पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ एक बैठक में गृह मंत्री ने सुरक्षा बलों के साझा अभियान की समीक्षा की. बैठक में गृह सचिव अर्द्धेंदु सेन और पुलिस महानिदेशक भूपिंदर सिंह भी मौजूद थे.

चिदंबरम कोलकाता से हेलीकॉप्टर से लालगढ़ पहुंचे. उनके इस दौरे के लिए सुरक्षा का ज़बरदस्त इंतज़ाम किया गया था और पूरे इलाक़े को सील कर दिया गया था. वह लगभग तीन घंटे तक वहां रहे. इस दौरान उन्होंने एक सीआरपीएफ़ शिविर और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भी मुआयना किया.

गृह मंत्री ने लालगढ़ थाने में बैठक के बाद स्थानीय लोगों से बातचीत की और उनसे माओवादियों को किसी भी तरह की सहायता नहीं देने की अपील की. चिदंबरम ने कहा, "इलाक़े के लोगों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. बिजली, पानी, राशन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है. मैंने भरोसा दिया है कि राज्य सरकार को इन समस्याओं से अवगता करा दूंगा. लेकिन आप लोग माओवादियों की कोई सहायता नहीं करें."

पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि माओवादियों के खिलाफ़ सेना उतारने की कोई योजना नहीं है. राज्य में माओवादियों के खिलाफ जारी अभियान का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कुछ कमियां हैं. यह रिकॉर्ड और सुधरना चाहिए. चिदंबरम ने कहा, "मैंने पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव से कहा है कि वे राज्य सरकार के साथ बातचीत के ज़रिए इन कमियों को दूर करें."

केंद्रीय गृह मंत्री ने बंगाल में जारी राजनीतिक हिंसा पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को सुनिश्चित करना चाहिए कि यह हिंसा तुरंत बंद हो. उन्होंने बर्दवान जिले के मंगलकोट की घटनाओं का भी जिक्र किया.

रिपोर्ट: प्रभाकर मणि तिवारी, कोलकाता

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य