1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कालिख धोने उतरे जॉनसन

२४ सितम्बर २०१३

ओलंपिक की 100 मीटर फर्राटा जीतने के बाद बेन जॉनसन झूम रहे थे. लेकिन तीन दिन बाद इसे इतिहास की सबसे गंदी दौड़ कहा गया. जॉनसन पर चीटर का धब्बा लगा. 25 साल से जॉनसन यह दाग धोने की कोशिश में हैं.

https://p.dw.com/p/19mxX
तस्वीर: picture-alliance/Sven Simon

24 सितंबर 1988 के दिन सियोल में सबकी नजरें अमेरिकी एथलीट कार्ल लुईस पर थीं. 100 मीटर, 200 मीटर, रिले रेस या फिर लंबी कूंद के धुरंधर लुईस के साथ ही ट्रैक पर कनाडा के बेन जॉनसन खड़े थे. मुकाबला 100 मीटर फर्राटा का था. जैसे सेकेंड घड़ी आगे बढ़ी लुईस पिछड़ने लगे, जॉनसन ने 9.79 सेकेंड में रेस पूरी कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया. उन्हें दुनिया का बेहतरीन धावक कहा गया. कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री ब्रायन मलरोनी ने कहा, "कनाडा के लिए ये अद्भुत लम्हा है." एक अखबार ने कहा, "जीरो से हीरो 9.79 सेकेंड में."

एक तरफ जॉनसन इंटरव्यू देने में व्यस्त थे तो दूसरी तरफ सभी धावकों पर जताया जा रहा शक पुख्ता हो रहा था. खून के नमूने लिए गए. तीन दिन बाद यह साफ हो गया कि बेन जॉनसन ने डोपिंग की. उनके खून से स्टैनोजोलोल नाम का स्टेरॉयड मिला. मेडल छिन गए, नायक खलनायक बन गया. वर्ल्ड रिकॉर्ड भी रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया. जॉनसन के साथ दौड़े आठ में से छह धावक डोपिंग के दोषी पाए गए. कार्ल लुईस की महानता पर भी धांधलीबाजी का धब्बा लग गया. लुईस ने तो आरोप कबूल भी कर लिए. इसे खेलों के इतिहास की सबसे गंदी दौड़ कहा गया.

मंगलवार को 25 साल बाद बेन जॉनसन एक बार फिर सियोल के ओलंपिक स्टेडियम में उसी जगह पहुंचे जहां उन्होंने ऊंचाई और पतन एक साथ देखा, लेकिन इस बार वो डोपिंग के खिलाफ जागरुकता फैलाने के नारे के साथ वहां पहुंचे. आंखों में भावनाएं, हर कदम पर पुरानी यादें, ट्रैक पर चलते हुए जॉनसन ने कहा, "वापस लौटना अच्छा लग रहा है. यहां इतिहास बना. कुछ कह सकते हैं कि गंदा इतिहास, लेकिन मैं इस तरह उसे नहीं देखता."

जॉनसन खिलाड़ियों को प्रतिबंधित पदार्थ लेने से आगाह कर रहे हैं. अभियान का नाम 'चूज द राइट ट्रैक' है. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ डोपिंग के लगातार सामने आते मामलों से चितिंत है. हाल ही में अमेरिकी धावक टाइसन गे भी डोपिंग के दोषी पाए गए. असाफा पावेल और वैरोनिका कैम्पबेल ब्राउन जैसे स्टार भी इस स्याह कोठरी में दिखे. हाल ही में इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथीलिक्टिक्स फेडरेशन ने डोपिंग की सजा सख्त की है. 2015 से डोपिंग के दोषियों पर चार साल का प्रतिबंध लगेगा.

ओएसजे/एनआर (एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें