1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कितना अहम है टिलरसन का एशियाई दौरा

१७ मार्च २०१७

अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन इन दिनों एशिया के दौरे पर हैं. 15-19 मार्च तक चलने वाले इस दौरे में टिलरसन जापान, दक्षिण कोरिया और चीन के अपने समकक्षों से मुलाकात कर तमाम संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करेंगे.

https://p.dw.com/p/2ZNMm
USA Außenminister Rex Tillerson | Vereidigungszeremonie
तस्वीर: Reuters/C. Barria

टिलरसन का यह दौरा उस वक्त हो रहा है जब उत्तरपूर्वी एशिया में अमेरिका के दो साथी जापान और दक्षिण कोरिया, अपने सनकी और अलग-थलग रहने वाले पड़ोसी देश उत्तर कोरिया से परेशान और चितिंत हैं.

पिछले कुछ सालों में उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों में तेजी आई है. साल 2016 में ही उत्तर कोरिया ने दो परमाणु परीक्षण और करीब 20 बैलिस्टिक मिसाइलों को लॉन्च किया था. मार्च 2017 में भी उत्तर कोरिया ने चार बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया, जिसमें से कुछ जापान के समुद्री क्षेत्र में भी गिरीं.

उत्तर कोरिया का परमाणु और मिसाइल विकास अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बार बार चेतावनी देने और प्रतिबंध लगाने के बावजूद भी जारी है. उत्तर कोरिया के खतरे से निपटने के लिये अमेरिका ने दक्षिण कोरियाई क्षेत्र मिसाइल डिफेंस सिस्टम, (थाड) की तैनाती शुरू कर दी है. इस कदम से साफ है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाला नया अमेरिकी प्रशासन इस मामले में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की नीतियों को ही आगे बढ़ा रहा है.

वहीं चीन, दक्षिण कोरिया में अमेरिका के मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती का विरोध कर रहा है और इसे अपने लिये खतरा बता रहा है. कोरियाई प्रायद्वीप में बढ़ती तनातनी को रोकने के लिये चीन, अमेरिका और दक्षिण कोरिया से संयुक्त सैनिक अभ्यास रोकने की अपील कर चुका है. साथ ही चीन ने उत्तर कोरिया को भी अपने हथियारों के परीक्षण पर पाबंदी की हिदायत दी है. इस सारी गहमागहमी के बीच टिलरसन की इस यात्रा से यह संकेत जरूर मिल सकेंगे कि नया अमेरिकी प्रशासन इस क्षेत्र की जटिलताओं से निपटने के लिये क्या रुख रखेगा.

जापान के विदेश मंत्री फुमियो किश्दे ने कहा, "इस क्षेत्र के बदलते सुरक्षा माहौल के बारे में बात करना जापान और अमेरिका दोनों के लिये बहुत जरूरी है." जापान और दक्षिण कोरिया दोनों ही देश अमेरिका की सुरक्षा प्रतिबद्धता को टिलरसन के आश्वासन में तलाश करेंगे क्योंकि ट्रंप अपने चुनाव प्रचार के दौरान कई मौकों पर ऐसी सुरक्षा प्रतिबद्धताओं पर सवाल उठा चुके हैं.

वर्तमान में अमेरिका के करीब 54,000 सैनिक जापान में और तकरीबन 28,500 सैनिक दक्षिण कोरिया में तैनात हैं. ट्रंप ने इन दोनों देशों को भी अपने परमाणु हथियार विकसित करने का सुझाव दिया था, जिसके बाद से अमेरिका द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा व्यवस्था पर इनका विश्वास थोड़ा डगमगाया है. हालांकि राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप के व्यवहार में परिवर्तन आया है. पिछले महीने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे से हुई मुलाकात में ट्रंप ने इस गठबंधन की मजबूती का आश्वासन दिया था.

अब भी जापान और दक्षिण कोरिया की आशंकाएं बरकरार हैं इसलिए टिलरसन की यात्रा अमेरिकी प्रशासन के लिए बिगड़े संबंधों को सुधारने और भविष्य के लिए एशिया में खुद को मजबूती से स्थापित करने का एक मौका है. ट्रंप ने अपने प्रचार अभियान के दौरान चीन की काफी आलोचना की थी. दो दिनों के अपने चीन दौरे में टिलरसन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अन्य नेताओं से भी मुलाकात करेंगे.

एए/आरपी