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किसानों की हड़ताल, रोका शहरों का दूध और सब्जी

क्रिस्टीने लेनन
१ जून २०१७

महाराष्ट्र में किसान कर्ज माफी और अन्य मांगों पर सरकार से कोई भरोसा न मिलने के बाद हड़ताल पर चले गए हैं और शहरों में जाने वाला दूध और सब्जी रोक रहे हैं.

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तस्वीर: DW/P. Mani Tewari

किसानों की आत्महत्या के लिए बदनाम महाराष्ट्र में अब किसानों ने आन्दोलन का रास्ता अपना लिया है. कर्ज माफी और कृषि उत्पाद के न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर सरकार से बातचीत विफल होने के बाद किसान हड़ताल पर हैं. राज्य सरकार की नीतियों से नाराज किसानों ने 'किसान क्रांति' के नाम से आंदोलन शुरू किया है. वे शहरों में जाने वाले दूध और सब्जी समेत अन्य उत्पाद भी रोक रहे हैं.

किसान क्रांति संगठन के नेता जयाजी शिंदे का कहना है कि सरकार कर्ज माफी की मांग स्वीकार ही नहीं कर रही है, ऐसे में, हड़ताल ही एकमात्र रास्ता है. जयाजी शिंदे के अनुसार राज्यभर से किसान उनके आंदोलन में शरीक हो रहे हैं. किसान सभी कर्ज माफ करने के आलावा, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें को लागू करने, खेती में उपजे अनाज का डेढ़ गुना भाव देने, खेती के लिए बिना ब्याज कर्ज मुहैया कराने, 60 साल के उम्र वाले किसानों को पेंशन देने और दूध के लिए प्रति लीटर 50 रुपये दिए जाने की मांग कर रहे हैं.

असर

आन्दोलनकारी किसानों ने अगले एक हफ्ते तक पूरी तरह मंडियों में दूध-सब्जी की सप्लाई नहीं करने का फैसला किया है. अब इस हड़ताल का असर धीरे धीरे दिखने लगा है. सब्जियां और दूध ले जा रही गाड़ियों को रोकने और उनके साथ तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आयी हैं. मंडियों और डेयरियों तक सब्जी और दूध न पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए किसान हाईवे पर ट्रकों को रोक रहे हैं. अहमदनगर, सतारा और नासिक राजमार्गों पर ट्रक रोके गए. किसान सड़कों पर सब्जियां फेंकते और कंटेनरों से दूध बहाते नजर आ रहे हैं. आन्दोलनकारी सांगली, सोलापुर, पुणे, नांदेड़, जलगांव और नासिक समेत राज्य के कई इलाकों में प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गयीं तो वे हड़ताल जारी रखेंगे. किसानों के इस विरोध के बाद राज्य में रोजमर्रा की जरूरत चीज़ों की आपूर्ति में मुश्किल हो सकती है. स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता राजू शेट्टी का कहना है कि मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई, पुणे, नासिक और नागपुर जैसे बड़े शहरों को आन्दोलन के चलते फल, सब्जियों, दूध और खाद्यान्नों की कमी से जूझना पड़ सकता है.

यूपी में कर्जमाफी से जगी उम्मीदें

उत्तर प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी के बाद महाराष्ट्र के किसानों को भी ऐसी ही उम्मीद थी. लेकिन महाराष्ट्र सरकार कर्ज माफी को लेकर मुंह खोलने को तैयार नहीं है. कर्ज और अन्य कारणों से देश में सबसे ज्यादा किसान महाराष्ट्र में आत्महत्या करते हैं. किसानों का कहना है कि भाजपा सरकार महाराष्ट्र के किसानों के साथ दोगला बर्ताव कर रही है क्योंकि उत्तर प्रदेश में किसानों का कर्ज माफ किया गया जबकि महाराष्ट्र के किसानों को आत्महत्या के लिए छोड़ दिया गया है. विभिन्न किसान संगठनों की राज्य स्तरीय समन्वय समिति ‘किसान क्रांति मोर्चा' के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री फडणवीस से मुलाकात की, लेकिन मुख्यमंत्री से इस बारे में कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलने से किसानों का गुस्सा भड़क उठा.

स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए राज्य सरकार ने किसान नेताओं को साधने की कोशिशें तेज कर दी हैं. सरकार का कहना है कि वह किसानों के मुद्दे को लेकर संवेदनशील है. किसानों से शांति बनाये रखने की अपील करते हुए सरकार ने बातचीत से हल निकालने की बात कही है. राज्य के कृषि मंत्री सदाभाऊ खोत का कहना है कि किसान नेताओं से हर मुद्दे पर बातचीत हो रही है. उन्होंने भरोसा जताते हुए कहा, "किसानों की मांगों के प्रति हमारी सहानुभूति है. हम इसका कोई सौहार्द्रपूर्ण समाधान निकाल लेंगे.”

पिछले कुछ सालों में राज्य के हजारों किसानों ने आत्महत्या की है. उन्हें कभी बेमौसम बारिश तो कभी फसल के दाम गिरने से नुकसान उठाना पड़ता है. नुक्सान के चलते कर्ज के दलदल में फंसने वाले अधिकतर किसान आत्महत्या का रास्ता अपना लेते हैं. आत्महत्या के अधिकतर मामले राज्य के मराठवाड़ा और विदर्भ से आते हैं जहाँ के किसानों पर सबसे अधिक मार सूखे से पड़ती है.