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कुत्तों के लिए कॉन्सर्ट

३ जून २०१०

क्लासिक संगीत कभी राजा-महाराजाओं या रईसों के लिए होता था. धीरे धीरे वह आम आदमियों की पहुंच में आया और अब आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में कुत्तों के लिए एक कॉन्सर्ट होने वाला है.

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सज धज कर आएंगेतस्वीर: AP

सिडनी का ऑपेरा भवन सारी दुनिया में मशहूर है. वहां अगले सप्ताहांत के दौरान एक कॉन्सर्ट होने वाला है, जहां दर्शक श्रोता होंगे सिर्फ कुत्ते. हां, उनके साथ दो पैर वाले उनके मित्रों को भी रहने की इजाजत दी जाएगी. यह विचार आधुनिक कला की ग्लैमर दंपति लू रीड और लॉरी ऐंडरसन के मन में आया. हालांकि सिडनी यूनिवर्सिटी के प्राणी विज्ञानी पीटर हिगिंस को शक है. हिगिंस कहते हैं कि किसी भी किताब में उन्हें पढ़ने को नहीं मिला है कि कुत्तों को संगीत पसंद है.

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तस्वीर: AP

शायद हिगिंस रीड-ऐंडरसन दंपति की रैट-टेरियर कुतिया लोलाबेले से नहीं मिले हैं. ऐंडरसन कहते हैं कि उसे मीठा संगीत पसंद है, लेकिन साथ में बीट्स भी होने चाहिए. कई आवाजें और साथ में थोड़ा धिनचक-धिनचक-धिनचक.

तो अब कॉन्सर्ट के रास्ते में कोई रुकावट नहीं है. पोस्टर लग चुके हैं, जिनमें कहा गया है हर कुत्ते व उसके इंसानी दोस्त के लिए एक महान आकर्षण. साथ ही कहा गया है कि आस्ट्रेलिया के इतिहास में कुत्तों और इंसानों के बीच ऐसा जमावड़ा आज तक नहीं देखा गया है. आयोजक यह भी दावा कर सकते थे कि कुत्तों या इंसानों के समूचे इतिहास में भी नहीं.

वैसे पता चला है कि कुत्ते 20 मिनट से ज्यादा किसी चीज पर ध्यान नहीं लगा सकते. तो प्रोग्राम भी उसी हिसाब से किया जाएगा. म्युजिक फ़ॉर डाग्स नामक इस कार्यक्रम के प्रोड्युसर ऐंड्र्यु स्पेंसर को भी पता नहीं है कि कैसा संगीत होगा. वे कहते हैं, सिर्फ़ लॉरी को पता है. और जाहिर है कि लोलाबेले को.

हां, कॉन्सर्ट के दौरान कुत्तों के पेशेवर ट्रेनर मौजूद रहेंगे, ताकि दर्शक-श्रोता हुड़दंग न करें. इस बात का भी ख्याल रखा गया है कि किसी छोटे कुत्ते के बगल में या सामने कोई भारी भरकम कुत्ता न हो. बेचारा नन्हा कुत्ता नर्वस हो सकता है, या फिर कलाकार अगर दिखाई न दें तो सारा मजा किरकिरा हो सकता है.

कॉन्सर्ट के बाद हर कुत्ते को डॉग बिस्कुट दिया जाएगा. लेकिन उसका लालच शायद ही काम आएगा, क्योंकि कुत्तों को पहले से पता कैसे चलेगा. और अगर संगीत उन्हें पसंद न आए? उनकी हूटिंग का तरीका कैसा होगा? कैसा भी हो, एक बात तय है. दो पैरों वाले इंसानी दोस्तों की वहां नहीं चलेगी.भले ही कुत्ते की गले की पट्टी का रस्सा उनके हाथ में हो.

रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: एस गौड़