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कृषि क्षेत्र पर ध्यान दे सरकारः राष्ट्रपति

४ दिसम्बर २०१०

भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने सरकार से कहा कि वह कृषि पर ध्यान दे. उन्होंने सरकार से दूसरी हरित क्रांति का आह्वान किया ताकि देश के देश के गरीब लोगों का पेट भरा जा सके, जैसा कि खाद्य सुरक्षा बिल में भी कहा गया है.

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कृषि पर जोर देने की पैरवीतस्वीर: UNI

राष्ट्रपति ने कहा कि इस तरह की क्रांति से ग्रामीण भारत में नौकरियां पैदा होंगी. उनके मुताबिक, "असल में कृषि क्षेत्र के तुरंत विकास की जरूरत है और कई वजहों से उस पर ठीक से ध्यान दिया जाए. सभी के लिए खाद्य सुरक्षा के राष्ट्रीय लक्ष्य और कृषि पर निर्भर देश की बड़ी आबादी के कल्याण को बढ़ावा के लिए यह बहुत जरूरी है." पाटील ने बेहतर कृषि के जरिए ग्रामीण समृद्धि विषय पर एक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए नई दिल्ली में यह बात कही.

खाद्य सुरक्षा केंद्र की यूपीए सरकार के अहम वादों में से एक है और सरकार इस बारे में कानून बनाने के लिए विधेयक तैयार करने में जुटी है. इसके तहत गरीबों को हर महीने 35 किलो अनाज दिया जाएगा जिसमें गेहूं 4.15 रुपये किलो और चावल 5.65 रुपये किलो के हिसाब से दिए जाएंगे.

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फसल के कम दाम मिलने पर अकसर किसान सरकार से नाराज रहते हैंतस्वीर: AP

राष्ट्रपति ने उद्योग जगत से भी खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश करने को कहा क्योंकि अभी कृषि फसलों का प्रसंस्करण काफी कम होता है. वह कहती हैं, "(1960 में) हरित क्रांति ने राष्ट्र को अनाजों के मामले में आत्मनिर्भर बनाया. उसके नतीजों को फिर एक बार उसी तरह बढ़ावा देने की जरूरत है." राष्ट्रपति ने बताया कि पिछले चार दशकों में अनाज का उत्पादन तीन गुना हो कर 23 करोड़ टन तक पहुंच गया है लेकिन जनसंख्या में वृद्धि को देखते हुए 2025 तक मांग 32 करोड़ टन होने की उम्मीद है.

देश का कृषि क्षेत्र जुलाई से सितंबर तक की तिमाही में 4.4 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ा है और कृषि मंत्रालय साल के अंत तक चार प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद कर रहा है. पाटील ने कहा कि फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा. साथ ही व्यवस्थागत कमजोरियों को दूर करना होगा ताकि किसानों तक बीज, खाद, कीटनाशक और नई तकनीक समय पर पहुंच सके.

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सब का पेट भरने की चुनौतीतस्वीर: picture alliance/dpa

राष्ट्रपति का कहना है, "अपने उत्पादन स्तर को बढ़ाने के मामले में हमें अब भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. दुनिया के मुकाबले हमारा उत्पादन स्तर अब भी कम है. हमें उत्पादन की इस खाई को पाटना होगा." उन्होंने देश के कृषि वैज्ञानिकों से इन चुनौतियों से निपटने को कहा. वह कहती हैं, "ग्रामीण समृद्धि का आधार कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों का सही तरह विकास करना है. गरीब और बेरोगारी को दूर करने के लिए कृषि क्षेत्र की वृद्धि बहुत जरूरी है."

रिपोर्टः एजेंसियां ए कुमार

संपादनः वी कुमार

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