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ख्वाब का अंत

२१ नवम्बर २०१३

दमकते राजकुमार जैसे राष्ट्रपति ने महज 1063 दिन के कार्यकाल में सबसे ज्यादा अधूरे वादे ही दिए. तो फिर आधी सदी बीत जाने के बाद भी दुनिया का सबसे बड़ा देश उसकी विरासत को क्यों सीने से लगाए हुए है?

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तस्वीर: Getty Images/Keystone/Hulton Archive

पहली नजर में यह महज एक राजनीतिक समीक्षा लग सकती है. राष्ट्रपति के रूप में जॉन एफ केनेडी की योजनाएं धरी की धरी रह गईं. नागरिक अधिकार विधेयक जैसी कुछ योजनाओँ को उनके बाद राष्ट्रपति बने लिंडन बी जॉनसन ने लागू किया या फिर वितयनाम युद्ध जो नाटकीय रूप से बहुत आगे बढ़ गया और जिसमें अमेरिका की भागीदारी को केनेडी अपनी मौत से बस कुछ ही पहले रोक पाए. तो क्या अमेरिका के लोग आज केनेडी को एक औसत राष्ट्रपति के रूप में याद करते हैं? जवाब इसका उल्टा है. वॉशिंगटन के ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के मारविन काल्ब कहते हैं, "केनेडी ने अमेरिका को बहुत उम्मीद दी. उन्होंने हमें वो संभावनाएं दिखाईं जिनसे चीजें बेहतर होती हैं ना कि बुरी. उम्मीदों की वो भावना, अमेरिका के लिए नए रोमांच का अहसास, मेरे ख्याल से यह उनकी कभी खत्म न होने वाली विरासत थी."

किंग आर्थर की राजधानी

बड़े से बड़ा शक्की भी इस "क्या अगर" के कल्पनालोक से बाहर नहीं निकल सकता जिसने केनेडी को कई पीढ़ियों के लिए आदर्श बना दिया. यह अहसास क्रिस्टीन डोनोवैन के हैं. केनेडी की मौत के 50 साल पर वॉशिंगटन के सैंट मैथ्यू अस्पताल में एक स्मृति सभा में उन्होंने इसे जाहिर किया. डोनोवैन ने याद दिलाया कि 1960 का दशक बहुत शानदार था, युवा राष्ट्रपति और उनके परीकथाओं जैसे परिवार के साथ एक नई शुरूआत के लिए बहुत उत्साह से भरा वक्त था. डोनोवैन ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "कुछ पल के लिए तो वह एक किंग आर्थर की राजधानी जैसा था, हमारे इतिहास का शानदार वक्त. उनकी मौत ने पूरे देश को सदमे में डाल दिया."

USA - 50 Jahre Attentat auf JFK
केनेडी की मौत के 50 सालतस्वीर: DW/G. Schließ

स्मृति सभा में साथियों के साथ आए एंड्र्यू क्राफ्ट केनेडी के शासन के वक्त बहुत छोटे थे लेकिन फिर भी वो उनके बड़े समर्थक हैं. क्राफ्ट ने कहा, "निजी तौर पर वह मेरे लिए आदर्श जैसे हैं. वह मेरे पसंदीदा राष्ट्रपतियों में हैं." एक बूढ़े शख्स ने अपनी श्रद्धा इस तरह व्यक्त की, "उन्होंने क्या हासिल किया इससे आगे बढ़ कर वो एक प्रतीक जैसे थे. मेरे जैसे युवा के लिए जो उस वक्त अभी कॉलेज से निकला ही था वो प्रतीक बहुत गजब का था. वह प्रेरणा थे क्योंकि हमने 50 के दशक के रुढ़िवादी दौर को पीछे छोड़ दिया था. समय बदल रहा था और वो हमारे प्रतिनिधि थे."

डलास

गोली लगने के बाद जब केनेडी को स्ट्रेचर पर डलास के पार्कलैंड अस्पताल लाया गया तब वहां डॉ रोनाल्ड जॉन थे. मुख्य स्थानीय डॉक्टर के रूप में उन्होंने केनेडी का प्राथमिक उपचार किया तब जोन्स पांच साल की पढ़ाई करने के बाद डॉक्टर बने ही थे, "मैं एक सर्जरी करने के बाद कैफेटेरिया में बैठा था" यह कहते हुए डॉ जोन्स को एक एक बात याद आ जाती है कि कैसे अचानक ऑपरेटर ने हर डॉक्टर को पेजर पर संदेश भेजना शुरु कर दिया. उसके बाद वो कैफेटेरिया की दीवार पर लगे फोन के पास गए और ऑपरेटर को फोन कर पूछा क्या जरूरत आ गई है. डॉ जोन्स ने कहा, "वह बोली डॉ जोन्स राष्ट्रपति को गोली मार दी गई है और वो लोग उन्हें आपात कक्ष में ला रहे हैं, और फिजीशियन की तुरंत जरूरत है."

जोन्स ने यह कहानी कई बार सुनाई है, बावजूद इसके जब भी यह मौका आता है उनके साथियों और दोस्तों ने ध्यान दिया है कि वो हर बार वो भावुक हो जाते हैं और उन्हें वापस लाने में आठ मिनट से ज्यादा लग जाते हैं. आखिरकार उनके साथी यह एलान करते हैं कि राष्ट्रपति मर चुके हैं, उनकी आवाज आज भी लड़खड़ा जाती है. पार्कलैंड के दूसरे डॉक्टरों, अमेरिका और दुनिया भर के लोगों, जैकलीन केनेडी और उनके परिवार वालों के लिए आधी सदी बीत जाने के बाद भी केनेडी की यादें इसी तरह भावुक कर देती हैं. जोन्स कहते हैं, "हम सब यह सच जानते हैं कि वह मर चुके हैं, और मिसेज केनेडी भी. शायद उन्हें अहसास था कि केनेडी पार्कलैंड अस्पताल में पहुंचते ही दम तोड़ देंगे वो पूरे रास्ते उनका सिर अपनी गोद में रख कर उन्हें पकड़े रहीं."

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डॉ रोनाल्ड जॉनतस्वीर: DW/G. Schließ

राजनीतिक विरासत

अमेरिका के सबसे युवा राष्ट्रपति ने अपने छोटे से कार्यकाल में आखिर क्या किया? क्या उनके अधूरे वादों का भविष्य के लिए कोई महत्व था? 1962 में सोवियत संघ के साथ क्यूबा मिसाइल संकट के दौरान केनेडी ने अपनी दृढ़ता और अपना नेतृत्व दिखाया. केनेडी ने अपने परमाणु परीक्षण पर रोक लगाने वाले समझौते पर सोवियत संघ के साथ काफी बड़ी सफलता हासिल की. जानकारों का मानना है कि इन दो मुद्दों पर केनेडी के नेतृत्व कौशल ने करिश्मा दिखाया और यही राजनीतिक विरासत आज भी अमेरिकी की विदेश नीति तय कर रही है. डलास के डेली प्लाजा में बने केनेडी म्यूजियम के क्यूरेटर स्टीफन फैगिन कहते हैं कि नागरिकों की भागीदारी पर केनेडी के ध्यान ने लोगों को बहुत प्रेरणा दी. 1960 के दशक में नागरिक अधिकारों के लिए हुई क्रांति, वियतनाम के विरोध में प्रदर्शन और पिछले कुछ सालों में हुए ऑक्युपाई वॉल स्ट्रीट अभियान यह सब कहीं न कहीं केनेडी के दौर से जुड़े हैं.

केनेडी की याद

डलास के म्यूजियम में हर साल तीन लाख से ज्यादा लोग आते हैं. यहां छठे माले वो खिड़की आज भी है जहां से ली हारवे ने कार में सवार केनेडी को गोली मारी थी. उस दिन को दिखाने वाले अगिनत तस्वीरें यहां मौजूद हैं. स्टीवन डेविस और बिल मिनुटागलियो ने अपनी नई किताब "डलास 1963" इतिहास के उस दौर तस्वीर खींची है जब शहर और देश अचानक कट्टर हो कर एक तरह से दो हिस्सों में बंट गया था. डेविस ने डीडब्ल्यू से कहा, "डलास को पूरे अमेरिका में सबसे बुरे, और केनेडी का परम विरोधी शहर माना जाने लगा. जब केनेडी शहर में आए तो बहुत हिंसा और नारेबाजी हुई. हजारों इश्तिहार बिखरे थे जिनमें केनडी की तस्वीर पुलिस मग पर छपी थी और लिखा था, विश्वासघात के लिए वांछित"

बंटा देश तब और आज

1963 में डलास और टेक्सास केनेडी की डेमोक्रैटिक पार्टी के लिए अच्छे नहीं माने जाते थे और आज भी बहुत कुछ नहीं बदला है. केनेडी के दौरे से पहले शहर के सबसे बड़े अखबार ने राष्ट्रपति को कम्युनिस्ट कह उनकी आलोचना की और डलास के सांसद ने उन्हें विश्वासघाती कहा. सोवियत संघ के साथ परमाणु हथियार के मुद्दे पर हुए समझौते की यह कीमत थी. उस वक्त देश भौगोलिक आधार पर बंटा था हालांकि आज यह सामाजिक भावना में दिखता है, अमीरों और गरीबों के बीच. डेविस कहते हैं, "जो डलास में तब दिखा था वो अमेरिका में अब दिखता है. आज राजनीतिक विरोधियों को विरोधी की तरह नहीं बल्कि देश के दुश्मन की तरह देखा जाता है. केनेडी को तब इन लोगों ने अमेरिका का दुश्मन माना था. तब बहुत से लोगों ने यह नारा भी लगाया कि केनेडी के कामों के लिए उन्हें मौत की सजा दी जाए."

रिपोर्टः गेरो श्लिस/एनआर

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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