1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

केमिकल हथियार या टूथ पेस्ट

२० सितम्बर २०१३

जर्मनी ने कई साल तक सीरिया को ऐसे रसायन भेजे, जिनका इस्तेमाल वहां हथियारों में किया गया. अधिकारिक तौर पर ये शांतिपूर्ण कामों के लिए थे. इसके बाद जर्मनी में निर्यात के कानूनों पर बहस शुरू हो गई है.

https://p.dw.com/p/19lJK
तस्वीर: picture-alliance/dpa

ऐसी कई बातें होती हैं जो साफ तौर पर अच्छे या बुरे में नहीं बांटी जा सकतीं. जिस लेजर प्वाइंटर से ये हाइलाइट कर सकते हैं कि आप किस बारे में बोल रहे हैं उसी लेजर का इस्तेमाल पायलट की आंख चौंधियाने के लिए भी हो सकता है और हवाई यातायात को नुकसान पहुंचाया जा सकता है. किसी चीज का उपयोग कैसे किया जा रहा है, यही मुख्य मुद्दा है.

यहां जिस लेजर की बात हुई है उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डुएल यूज गुड्स कहा जाता है. इनका इस्तेमाल युद्ध के लिए या फिर दमन के लिए किया जा सकता है और शांतिपूर्ण काम के लिए भी. इस तरह की वस्तुओं के इस्तेमाल पर सामान्य रूप से प्रतिबंध नहीं है. यूरोप के दोहरे इस्तेमाल कानून के तहत जर्मन सरकार कुछ मामलों में जांच के बाद इनके निर्यात की अनुमति देती हैं.

Zum Thema - Deutschland beteiligt sich mit zwei Millionen an Giftgasbeseitigung
तस्वीर: Reuters/Mohamed Abdullah

हथियार या टूथ पेस्ट?

लेफ्ट पार्टी के संसद में सवाल पर सरकार ने पुष्टि की है कि 2002-03 से लेकर 2005-06 में इस तरह के डुएल यूस गुड्स जर्मनी से सीरिया को निर्यात किए गए थे. इसमें 93,040 किलोग्राम हाइड्रोफ्लोरिक एसिड, 6,400 किलोग्राम सोडियम फ्लोराइड और 12,000 किलोग्राम अमोनियम हाइड्रोजन फ्लोराइड शामिल हैं. इन तीनों का इस्तेमाल सारिन नर्व गैस बनाने के लिए किया जा सकता है,लेकिन इस रसायनों का टूथ पेस्ट बनाने या तेल उद्योग जैसे क्षेत्रों में भी इस्तेमाल किया जाता है.
निर्यात का यह फैसला रेड ग्रीन सरकार के तहत गेरहार्ड श्रोएडर ने किया था और बाद एसपीडी और सीडीयू के गठबंधन में अंगेला मैर्कल की सरकार ने. चांसलर ने इस बारे में पहले कहा था, "जो भी जानकारी मेरे पास है, उसके मुताबिक रसायनों का इस्तेमाल सिविल क्षेत्र में किया गया है."

कैसा इस्तेमाल

रासायनिक हथियारों के विशेषज्ञ राल्फ ट्राप ने डॉयचे वेले के साथ बातचीत में पुष्टि करते हुए कहा कि इन रसायनों का सारिन बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इनके अलावा भी दूसरे रसायनों की जरूरत होती है. इन्हें विश्व बाजार में खरीदना बहुत आसान है. वैसे तो सीरिया खुद भी इसे बना सकता है, हालांकि वहां किसी तरह का केमिकल उद्योग नहीं है.

डॉयचे वेले के सीरिया मामलों के विशेषज्ञ इब्राहिम मोहम्मद का मानना है कि जर्मनी से निर्यात हुए हथियारों का सीरिया में सिविल इस्तेमाल संभव है. "अगर ये केमिकल सीरिया की किसी निजी कंपनी को बिके हैं तो मुझे लगता है कि इनका इस्तेमाल औद्योगिक स्तर पर ही हुआ होगा." सीरिया में तेल, फार्मा और धातु उद्योग हैं, जहां इन रसायनों का इस्तेमाल होता है.

पर्यावरण पत्रकार वैर्नेर एकर्ट ने भी कुछ ऐसा ही कहा, "ऐसा बहुत ही कम संभव है कि फूंक फूंक कर कदम उठाने वाले यूरोप से इस तरह के केमिकल कोई ले और फिर उसका जहर बना दे." सीरियाई सरकार के लिए यह ज्यादा आसान होता कि वह रासायनिक हथियारों को बनाने के लिए चीन से कच्चा माल ले लेते. एकर्ट के मुताबिक, "चीन नहीं पूछता कि किस इस्तेमाल के लिए चाहिए. वहां इस तरह की जटिल अनुमति प्रक्रिया नहीं होती."

निर्यात नियंत्रण पर झगड़ा

ग्रीन पार्टी चाहती है कि इस तरह के निर्यात पर कड़ा नियंत्रण किया जाना चाहिए. जबकि वो ग्रीन पार्टी ही थी 1998 से 2005 की सरकार में शामिल थी. ग्रीन पार्टी से आर्थिक मामलों के प्रवक्ता टोबियास लिंडनर ने डॉयचे वेले को बताया, "एक ऐसे देश में निर्यात क्यों किया जो संयुक्त राष्ट्र के रासायनिक हथियारों के समझौते पर सहमत नहीं है." साथ ही उन्होंने जोर दिया कि उस समय के नियम के हिसाब से ही काम हुआ था. लेकिन उस समय भी नियम कड़े ही होने चाहिए.

रिपोर्टः मार्कुस लुटिके/ आभा मोंढे

संपादनः निखिल रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी