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कैंसर पर असरदार साइबर छुरी

३ फ़रवरी २०१६

कई बार ऑपरेशन के बावजूद कैंसर से प्रभावित कुछ कोशिकाएं बची रह जाती हैं और बाद में फिर से बढ़ने लगती हैं. अब कैंसर वाली कोशिकाओं का खूब सफाई से सफाया करने के लिए सर्जन साइबर छुरी का विकल्प अपना रहे हैं.

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तस्वीर: imago/ITAR-TASS

ट्यूमर हटाने के लिए दिमाग का ऑपरेशन करना एक बेहद जटिल सर्जरी है. लेकिन इस कठिन सर्जरी को साइबर छुरी की मदद से बखूबी अंजाम दिया जा रहा है. बर्लिन के प्रसिद्ध शैरिटे मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में रोबोटिक रेडियो सर्जरी सिस्टम की मदद से ब्रेन ट्यूमर से लड़ने में कामयाबी पाई जा रही है. यहां के डॉक्टर 2011 से ही साइबर छुरी से 500 से ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं. न्यूरोसर्जन डॉ. मार्कुस कूफेल्ड बताते हैं, "मरीज के लिए रेडियो सर्जरी का मुख्य फायदा यह है कि इलाज की अवधि छोटी होती है. यदि सारी शर्तें पूरी हों तो हम 30 से 45 मिनट के एक सेशन में ट्यूमर को खत्म कर सकते हैं."

सर्जरी का तरीका

एक हल्के प्लास्टिक मास्क की मदद से सिर को स्थिर रखा जाता है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि साइबर छुरी की किरणें सही जगह पर गिरें, पहले एक्सरे लिया जाता है ताकि ट्यूमर का आकार निर्धारित करने के लिए सही सूचना हासिल की जा सके. शैरिटे हॉस्पिटल में ब्रेन सर्जन और रेडियोलॉजिस्ट मिलजुल कर फैसला करते हैं कि किस मरीज के लिए कौन सी विधि ठीक होगी. रेडियोलॉजिकल रोबोट सिर्फ छोटे ट्यूमर को मार सकता है और परंपरागत सर्जरी के काम न करने की स्थिति में मददगार होता है.

साइबर छुरी के इस्तेमाल पर सर्जनों के बीच लंबे समय तक विवाद रहा है. न्यूरोसर्जन पेटर वाइकूत्सी बताते हैं, "पहले हम सोचते थे कि सर्जरी और साइबर छुरी एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं. लेकिन अब हमने सीखा है कि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. मसलन खोपड़ी के निचले हिस्से में, जहां से नसें गुजरती हैं. इस मामले में रोबोट हमसे बेहतर होते हैं क्योंकि वे उन जगहों तक आसानी से पहुंच सकते हैं जहां सर्जन के हाथों से आसपास की कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है."

बदल गई जिंदगी

साइबर छुरी का एक फायदा यह भी है कि इससे होने वाले ऑपरेशन में मरीज को तकलीफ नहीं होती और वह सारा समय होश में रहता है. रेडिएशन से स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचता है. मार्कुस कूफेल्ड बताते हैं, "आस पास की कोशिकाओं को रेडिएशन का कम डोज मिलता है क्योंकि हर किरण में रेडिएशन का लो डोज होता है ताकि स्वस्थ कोशिका पर उसका असर न हो. बर्निंग लेंस की तरह किरणें एक जगह जमा होती हैं और ट्यूमर में रेडिएशन का बड़ा और प्रभावी डोज पैदा करती हैं." इसके बाद रोबोट सर्जन का काम अपने हाथ में ले लेता है और अलग अलग कोणों से फोटोन की 200 किरणें छोड़ता है. कैंसर के वापस लौटने की स्थिति में इस उपचार को दोहराया जा सकता है.

शरीर खुद लड़ेगा कैंसर से

इरीस गाइगर ब्रेन ट्यूमर की मरीज हैं. उन्हें तकनीक पर भरोसा है. जब वह इस ऑपरेशन के लिए आईं तो उन्हें विश्वास था कि हाई टेक ट्रीटमेंट की मदद से वे साइड इफेक्ट वाली ब्रेन सर्जरी से बच जाएंगी. साइबर छुरी ने इरीस गाइगर को नई जिंदगी दी है. गाइगर ने बताया कि सर्जरी के बाद पिछले तीन सालों में उन्होंने बेहतर जिंदगी जी है. अगर कैंसर फिर लौटता है तो यह तकनीक फिर मदद करेगी. वह कहती हैं, "मैंने बहुत यात्रा की है और जिंदगी में पहले से ज्यादा खुशियां पाईं. क्योंकि मुझे पता था कि जिंदगी अनंत नहीं है. और मुझे खुशी थी कि यह नई तकनीक है. इसके बिना मेरे जीने का कोई चांस नहीं था. मुझे लगता है कि आज मैं जिंदा नहीं होती, यदि यह ऑपरेशन नहीं होता."

एसएफ/एमजे