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कैदियों को दिए यौन रोग के इंजेक्शन

२ अक्टूबर २०१०

ग्वाटेमाला की जेल में बंद पुरुष, महिलाओं बच्चों और तो और मानसिक रोगियों को भी अमेरिकी वैज्ञानिकों ने 1940 के दशक में दिए यौन रोग सिफिलिस के इंजेक्शन. अब मांगी माफी कहा ये काम अनैतिक था.

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तस्वीर: AP

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने उस समय नई नई आई पैनिसिलिन दवा के परीक्षण के लिए ग्वाटेमाला के कैदियों, महिलाओं और मानसिक रोगियों को पहले तो सिफिलिस यौन रोग का इंजक्शन लगा कर बीमार किया और फिर उन्हें एन्टिबायोटिक दिए.

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और स्वास्थ और मानवीय सेवा सचिव कैथलीन सेबेलियुस ने कहा, "ग्वाटेमाला में 1940 से 1948 के बीच किया गया एसटीडी टीकाकरण पूरी तरह से अनैतिक था. हालांकि ये घटना 64 साल पहले हुई थी लेकिन हमें गुस्सा है कि इस तरह का शोध जन स्वास्थ्य के बहाने से किया गया. हमें इस घटना का बहुत खेद है. हम उन सभी लोगों से माफी मांगते हैं जो इस के घृणित शोध से प्रभावित हुए."

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तस्वीर: AP

ग्वाटेमाला ने इस प्रयोग को मानवता के खिलाफ अपराध बताया और कहा कि वे मामले को जांचेगें और देखेंगे कि क्या इसे अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जाया जा सकता है.

सरकार के बयान में कहा गया, "राष्ट्रपति अल्वारो कोलोम इन प्रयोगों को मानवता के विरुद्ध अपराध मानते हैं और ग्वाटेमाला को अधिकार है कि वह इस मामले को अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जाए."

वहीं ग्वाटेमाला के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि पीड़ितों को मुआवजा मिलना चाहिए, लेकिन अमेरिका ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कोलोम से निजी तौर पर घटना के लिए माफी मांगी है.

मेसेचुसेट्स के वेलेस्ले कॉलेज में वीमेन स्टडीज की प्रोफेसर सूजन रेवरवबी ने इसी तरह के एक सनसनीखेज मामले का खुलासा किया था. 1960 में एक प्रयोग टस्केदे स्टडी में ब्लैक अमेरिकी पुरुषों को यौन रोग सिफिलिस का इंजक्शन देकर बिना इलाज के छोड़ दिया गया.

रिवरबी को इस बारे में जानकारी टस्किगी पर एक किताब पढ़ते समय मिली. अपना शोध प्रकाशित करने से पहले उन्होंने अमेरिकी सरकार को इस बारे में जानकारी दी. रिबरबी ने बताया, "जेल के अलावा ये शोध मानसिक रोग चिकित्सालयों और आर्मी बैरेक में भी किए गए. कुल 696 महिला और पुरुषों को पहले इस बीमारी से संक्रमित किया गया और फिर उन्हें पैनिसिलिन दी गई. ये प्रयोग 1948 तक किए गए. रिकॉर्ड बताते हैं कि इलाज करने की मंशा के बावजूद सब लोग बीमारी से ठीक नहीं हुए."

रिवरबी का शोध जनवरी में जरनल ऑफ पॉलिसी हिस्ट्री में प्रकाशित होने वाला है. उन्होंने लिखा है, "1946-48 में डॉक्टर जॉन सी कटलर ग्वाटेमाला में सिफिलिस टीकाकरण अभियान चला रहे थे. इसे अमेरिका की राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्था(पीएचएस), पैन अमेरिकन हेल्थ सेनिटरी ब्यूरो भी स्पॉन्सर कर रहा था और ग्वाटेमाला की सरकार भी. उस समय पेनिसिलीन नई नई आई थी. पीएचएस को गहरी रुचि थी ये जानने की कि क्या ये सिफिलिस को रोक सकती है. पेनिसिलिन की कितनी मात्रा इसे ठीक कर सकती है. साथ ही ठीक होने के बाद फिर से संक्रमण की कितनी आशंका है, इस बारे में शोध किया जा रहा था."

अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन के निदेशक डॉक्टर फ्रांसिस कोलिन्स कहते हैं कि आज इस तरह के जोखिम भरे शोध नहीं किए जा सकते हैं. लेकिन इस शोध से मेडिकल रिसर्च में आने वाले लोगों के विश्वास को झटका लगेगा. "हम सभी ये समझते हैं कि टस्किगी स्टडी में डॉक्टर कटलर के शामिल होने के कारण विश्वास टूट गया है खासकर उन लोगों का जो अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय से आते हैं." डॉक्टर कटलर प्रोफेसर के तौर पर पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी से 1985 में रिटायर हुए और 2003 में उनका निधन हुआ.

रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम

संपादनः एन रंजन

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