1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कैसा हो जब पूरे शहर पर छा जाए जहरीली गैस!

२० जुलाई २०१६

किसी भी इंडस्ट्रियल एरिया में होने वाली दुर्घटना पूरे शहर पर अपनी छाप छोड़ सकती है. सोचिए, कैसा हो अगर आपका पूरा शहर ही जहरीली गैस की चादर से ढक जाए.

https://p.dw.com/p/1JSOn
Italien Smog Mailand
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Maule/Fotogramma

हैम्बर्ग का हार्बर दुनिया के सबसे बड़े हार्बरों में शामिल है और शहर के बीचोबीच स्थित है. जब जहाजों पर लदे जहरीले माल में आग लगती है, तो वह इलाके में रहने वाले लोगों की जान के लिए भी खतरा बन सकती है. ऐसी स्थिति में मोबाइल हाइटेक लैब को काम पर लगाया जाता है. इसकी मदद से जहरीली गैसों को कुछ दूरी से ही मापा जा सकता है. लेकिन ये गैस शहर के अंदर कैसे फैलती है, इसकी जांच वैज्ञानिक एक विशेष प्रकार के मॉडल टेस्ट के जरिये करते हैं. वैज्ञानिकों ने हैम्बर्ग के सिटी सेंटर का 1:35 अनुपात में एक मॉडल बनाया है. 25 मीटर लंबे विंड चैनल में मौसम और हवा की स्थिति असलियत के करीब सिमुलेट की जाती है. लेजर किरणों की मदद से गैस के प्रसार को देखा और मापा जा सकता है.

Wind Tunnel
विंड टनल में लेजर किरणों की मदद से देखा जाता है गैसों का असरतस्वीर: UHH/KlimaCampus/Huppertz

मौसम के पूर्वानुमान की ही तरह अब जहरीले गैस के फैलने के बारे में भी अनुमान लगाया जा सकता है. यहां मिले डाटा की मदद से बचावकर्मी ठीक ठीक तय कर सकते हैं कि कहां से लोगों को कब हटाना है. हैम्बर्ग जर्मनी का पहला बड़ा शहर है जिसके पास विंड टनल का ऐसा मॉडल है.

जब कभी जहरीले रसायनों वाली दुर्घटना होती है तो पर्यावरण पुलिस मौके पर पहुंच कर हर उस चीज की जांच करते हैं जो इंसानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है. उनकी गाड़ियां हाइटेक खोजी मशीनों से लैस होती हैं ताकि किसी भी खतरे का फौरन पता चल सके. हैम्बर्ग हार्बर के इंडस्ट्रियल एरिया में रसायनों से जुड़ी सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं. और जब भी ऐसा होता है, दुर्घटनास्थल पर एक मोबाइल सेंटर बना दिया जाता है जिससे समय और ऊर्जा की बचत होती है.

Wind Tunnel
पूरे शहर का सटीक मॉडल बना कर होती है रिसर्चतस्वीर: UHH/KlimaCampus/Huppertz

पर्यावरणकर्मी सेफ्टी ड्रेस पहन कर दुर्घटनास्थल का जायजा लेते हैं. इस ड्रेस के नीचे ऑक्सीजन सिलेंडर और सांस लेने की मशीन भी होती है. रासायनिक गैसों का सांस में जाना घातक हो सकता है. पर्यावरणकर्मियों को सब कुछ फटाफट करना जरूरी होता है क्योंकि सेफ्टी ड्रेस में ज्यादा समय रहना आसान नहीं होता.

वे गैसों की मात्रा मापते हैं और पता करते हैं कि कौन सी गैस का रिसाव हुआ है. मोबाइल मशीनों की मदद से दुर्घटनास्थल पर ही जहरीली गैसों को पहचाना जा सकता है. इस तरह की तकनीक की मदद से सिर्फ पर्यावरण संबंधी दुर्घटनाओं को ही नहीं रोका जा सकता, बल्कि जहरीली गैसों के हमले के समय भी लोगों को बचाया जा सकता है.

आईबी/वीके