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कॉफी थोड़ी देर का सुकून

१८ अक्टूबर २०१३

मंथन कार्यक्रम पाठकों को पसंद आ रहा है, फेसबुक व वेबसाइट पर आलेखों में दी गई जानकारियों पर भी हमें अक्सर आपसे प्रतिक्रियाएं मिलती रहती हैं. आइए जाने क्या लिखा है उन्होंने अपने संदेशों में..

https://p.dw.com/p/1A2Gh
25.02.2013 DW DEUTSCHLAND HEUTE Kaffee
तस्वीर: DW

कॉफी: फायदा या नुकसान? इस विषय पर एक शोधपरक और तुलनात्मक लेख डॉयचे वेले की वेबसाइट पर पढ़ने को मिला. सचमुच वृहद जानकारी पाकर हैरत हुई और ये समझ में आया की भले ही यह पेय थोड़ी देर के लिए आपको सुकून और राहत दे लेकिन आखिरकार तो ये नुकसानदायक ही है. प्रकृतिक रूप से फलों को बचाने के लिए कैफिन नामक जहर उत्पन्न होता है और एक हम हैं कि अमृत समझकर पी रहे हैं. संस्कृत में कहा जाता है- 'अति सर्वत्र वर्जयेत ' यानि किसी भी चीज की अधिकता हानिकारक और अलाभप्रद होती है. इसलिए कॉफी को अधिक इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए आपका ये आलेख किसी डॉक्टरी सलाह से कम नहीं है. बहुत-बहुत धन्यवाद पूरी टीम को.

रवि श्रीवास्तव, इंटरनेशनल फ्रेंड्स क्लब, इलाहाबाद

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Indian cricketer Sachin Tendulkar speaks during a function to release a new book 'Sporting Times' in Mumbai on May 28, 2013. The book documents India's sporting story of 175 years. AFP PHOTO/ PUNIT PARANJPE (Photo credit should read PUNIT PARANJPE/AFP/Getty Images)
तस्वीर: Punit Paranjpe/AFP/Getty Images

क्रिकेट की क्रांति का ताराः सचिन आपकी वेबसाइट पर यह आर्टिकल पढा. सचिन तेंदुलकर के मामले में यह विलक्षण है कि अपने करियर में दर्जनों विश्व रिकार्ड बनाने के बावजूद उनके चेहरे पर विनम्रता, मासूमियत और शालीनता बरकरार है. ऐसा नहीं है कि सचिन को अपने करियर में बुरे वक्त से गुजरना नहीं पड़ा, लेकिन सचिन ने उन हालात में भी अपना धैर्य और संयम बरकरार रखते हुए अपने आलोचकों को अपने बल्ले से ही जबाव दिया, न कि जुबान से. इससे एकदम साफ हो जाता है कि सचिन क्रिकेटर के साथ-साथ एक बहुत ही अच्छे इंसान भी है. उनके खेल से यह साफ-साफ पता चलता है कि वह हमेशा अच्छे खेल को तरजीह देते रहे, न कि जीत और हार को. ऐसे महान क्रिकटर को दुनिया हमेशा याद रखेगी.

डॉ. हेमंत कुमार, प्रियदर्शिनी रेडियो लिस्नर्स क्लब, भागलपुर, बिहार

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बिजली पैदा करने वाला फुटबॉल - खेल खेल में बिजली पैदा करना वास्तव में एक बेहतरीन, उपयोगी और कमाल का आईडिया है. 100 डॉलर कीमत में इस बिजली पैदा करने वाले फुटबॉल की अहमियत और सुविधा के हिसाब से मेरे विचार में बहुत उचित है. खास कर हमारे जैसे देशों में जहां पर बिजली की समस्या एक संकट के रूप में हमारे जीवन, कामकाज, यहां तक कि अर्थव्यवस्था और समाज को बुरी तरह प्रभावित कर रही है. जैसे जैसे इस फुटबॉल को खेला जाएगा ऊर्जा पैदा होती चली जाएगी. मैं समझता हूं कि हमारे जैसे देशों में इस फुटबॉल को थोड़ी सी कम कीमत पर बेचने से बिक्री को बहुत बढ़ाया जा सकता है. इस फुटबॉल में हो सकता है आगे चल कर कुछ बदलाव और बेहतरी भी आ जाए, इसलिए मैं तो इस हवाले से बहुत आशावादी हूं कि ये फुटबॉल बहुत से देशों के लाखों करोड़ों लोगों के लिए एक अच्छी सुविधा के रूप में काम आएगा. इसको रिचार्जेबल बैटरी से भी छुटकारा दिलाया जाए, तो बात बन जाए. बस खेलो और बिजली हासिल करो. मंथन और डॉयचे वेले का बहुत शुक्रिया इस शानदार और रोचक जानकारी के लिए.

आजम अली सूमरो, ईगल इंटरनेशनल रेडियो लिस्नर्स कलब, खैरपुर मीरस सिंध, पाकिस्तान

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मुझे आपकी फेसबुक पर हिन्दी फिल्मी सितारों का समाचार पढने को मिला. आपसे एक गुजारिश है कि हिन्दी फिल्म की कलाकार विजयंती माला अपने दौर की एक महान कलाकार रही हैं. उनकी बहुत सी फिल्में हिन्दी में हैं और वह आज भी जीवित हैं. अगर अनके साथ साक्षात्कार व उनकी कुछ कामयाब फिल्मों के बारे में भी जानाकारी दें तो मुझे बहुत खुशी होगी.

SANGAM [IND 1964] RAJ KAPOOR, VYJAYANTHIMALA Date: 1964 (Mary Evans Picture Library) Keine Weitergabe an Drittverwerter., Nur für redaktionelle Verwendung.
तस्वीर: picture-alliance/Mary Evans Picture Library

मोहम्मद असलम, आलमी रेडियो लिस्नर्स क्लब, अमिलो, आजमगढ, उत्तर प्रदेश

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डॉयचे वेले हिन्दी की रिपोर्ट 'बच्चों की मौत घटाने में सफल कई देश' के माध्यम से जानकर खुशी हुई कि सदी के विकास लक्ष्यों में से 2015 तक बच्चों की मृत्यु दर में कमी करने का लक्ष्य अफ्रीका के इथियोपिया, लाइबेरिया, मलावी और तंजानिया, एशिया के बांग्लादेश, नेपाल और ईस्ट तिमोर जैसे देशों में काफी सफल हुआ है. इन देशों में बच्चों की मृत्यु दर में एक तिहाई की कमी आई है लेकिन अफसोस भारत में इस लक्ष्य पर सफलता पाना बहुत दूर की बात लग रही है. इस असफलता के पीछे कई कारण हो सकते हैं पर इन सब कारणों की एक ही बुनियाद है..भ्रष्टाचार! इस बार का मंथन मैं किसी कारणवश दूरदर्शन पर नहीं देख पाया, लेकिन डीडब्ल्यू हिन्दी के यूट्यूब चैनल पर मंथन एपिसोड 55 से जुड़े कई वीडियो देखने को मिले. इनमें सबसे ज्यादा खास विषय 'ध्रुवों की पिघलती बर्फ' लगा. अपने नोकिया मोबाइल पर आपकी वीडियो तथा ऑडियो रिपोर्टें देखना और सुनना सम्भव नहीं है. मंथन क्विज खत्म हो चुकी है शायद जल्द ही परिणाम आने वाला होगा. आपकी मंथन क्विज में हम डॉयचे वेले से एक लैपटॉप मिलने की उम्मीद तो कर ही सकते हैं जिससे हम अपने प्यारे डीडब्ल्यू का लैपटॉप पर भी लुत्फ उठा सकें.

आबिद अली मंसूरी, देशप्रेमी रेडियो लिस्नर्स क्लब, बरेली, उत्तर प्रदेश

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संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः आभा मोंढे