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कॉमनवेल्थ उद्घाटनः दुनिया ने क्या क्या कहा

४ अक्टूबर २०१०

खेलों के उद्घाटन समारोह पर भारत की खोई इज्जत को वापस लाने का दारोमदार था. और इसमें वह कितना कामयाब रहा, इसका पता सोमवार सुबह दुनियाभर में छपे अखबारों की सुर्खियों से चलता है.

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तस्वीर: UNI

दिल्ली के कॉमनवेल्थ खेलों के उद्घाटन समारोह के सामने सिर्फ अच्छा होने की चुनौती नहीं थी. उसे बहुत कुछ साबित भी करना था. दुनिया के कई देश कॉमनवेल्थ खेलों की तैयारियों को लेकर पिछले दिनों भारत की आलोचना करते रहे. ऑस्ट्रेलिया ने कॉमनवेल्थ खेलों की तैयारियों पर भारत पर सबसे तीखे तरकश चलाए. लेकिन सोमवार को उसके अखबार द ऑस्ट्रेलियन ने लिखा कि भारत ने कॉमनवेल्थ खेलों की अस्त व्यस्त तैयारियों पर हुए खुलासों से मिली हफ्तों की शर्म को धो डाला. अखबार ने लिखा, "उद्घाटन समारोह अद्भुत था. यह समारोह अभूतपूर्व सुरक्षा बंदोबस्त के बीच हुआ. इस समारोह में योगा से लेकर राजस्थानी कठपुतलियां और प्राचीन वाद्ययंत्रों तक सब कुछ देखने को मिला."

ऑस्ट्रेलियाई अखबार द एज ने भी उद्घाटन समारोह की तारीफ की है. अखबार लिखता है, "दिल्ली के कॉमनवेल्थ खेल एक बार फिर हैरान करने में कामयाब रहे. समारोह सही वक्त पर शुरू हुआ और 50 हजार लोगों की भीड़ के बीच इस उत्साहजनक उत्सव ने जमकर भारत की अद्भुत सांस्कृति विविधता की झांकी पेश की."

कॉमनवेल्थ खेलों को लेकर न्यूजीलैंड के तेवर भी काफी तीखे रहे और लगता है उद्घाटन समारोह उसकी नाराजगी को कम नहीं कर पाया. कम से कम न्यूजीलैंड हेराल्ड की खबर पढ़कर तो ऐसा ही लगा कि न्यूजीलैंड को यह समारोह खास पसंद नहीं आया. हेराल्ड ने इस समारोह को शोर शराबे से भरा और बदरंग करार दिया. अखबार ने लिखा है, "दिल्ली के अस्त व्यस्त ट्रैफिक की तरह यह समारोह भी कानफोड़ू शोर भद्दे रंगों से सराबोर दिखा."

ब्रिटेन का मीडिया उद्घाटन समारोह को लेकर कमोबेश खुश दिखा. अखबार द गार्जियन ने लिखा, "भारत ने कॉमनवेल्थ की खातिर जो कुछ भी झेला, वह सब शानदार समारोह में और राष्ट्र भक्ति की भावना में बह गया."

अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने इस उद्घाटन समारोह को महाकाव्य जैसा कहा. अखबार ने लिखा, "खूब सारे बैंड, योग के आसनों और मोहनदास कर्मचंद गाधीं को श्रद्धांजलि के साथ 2010 के कॉमनवेल्थ खेल दिल्ली में शुरू हुए. उम्मीद है कि इस आयोजन से जुड़े बुरे सपने इस उद्घाटन समारोह के साथ ही खत्म हो जाएंगे."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः आभा एम