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कॉमनवेल्थ की किचकिच में नहीं फंसना: आनंद

२३ सितम्बर २०१०

कॉमनवेल्थ विवादों से हर कोई बचना चाह रहा है. विश्वनाथन आनंद ने भी खुद को इनसे दूर रखने का फैसला किया है. कहा, पदकों की गिनती ज्यादा जरूरी है.

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तस्वीर: UNI

विश्व शतरंज चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने कहा है कि वे कॉमनवेल्थ खेलों पर हो रहे विवाद का हिस्सा नहीं बनना चाहते. उन्होंने कहा है कि खेलों के दौरान उनका ध्यान इस पर बना रहेगा कि भारत ने कितने मेडल हासिल किए हैं, इसके अलावा वो किसी चीज़ पर ध्यान नहीं देना चाहते.

नई दिल्ली में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए आनंद ने कहा, "मैं इस सब का हिस्सा नहीं बनना चाहता. जो चल रहा है मैं उस पर कोई टिप्पणी भी नहीं करना चाहता. इस वक्त मैं बस यही चाहता हूं कि हम अधिक से अधिक पदक जीतें. मैं मैदान पर होने वाले खेलों पर पूरी नज़र रखूंगा. यदि हमारे एथलीट पदक जीतते हैं तो इस से उनके हौसले को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि वो बहुत लम्बे समय से इन खेलों का इंतज़ार कर रहे हैं." आनंद एनआएआएटी के एक नए चेस प्रोग्राम 'माइंड बूस्टर' के लांच के लिए दिल्ली आए हुए थे.

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खेल तीन अक्टूबर सेतस्वीर: AP

भारत में शतरंज के भविष्य के बारे में पूछे जाने पर आनंद काफी आशावादी दिखे. उन्होंने कहा, "भारत में शतरंज का भविष्य बहुत ही अच्छा है. अधिक से अधिक युवा शतरंज में रूचि दिखा रहे हैं. इस नए प्रोग्राम के पीछे भी हमारा यही उद्देश्य है कि हम उन्हें प्रोत्साहित कर सकें. साथ ही इस के ज़रिए लोग शतरंज के खेल को गंभीरता से लेंगे. हम चाहते हैं कि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को यह खेल सिखा सकें."

कॉमनवेल्थ खेलों के कारण भारत आज कल विवादों में फंसा हुआ है. 1982 के एशियाई खेलों के बाद भारत में पहली बार कोई ऐसा अंतरराष्ट्रीय आयोजन होने जा रहा है. कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के नामांकन वापस लेने और कई देशों के उन्हें भेजने में देरी के कारण यह खेल भारत के लिए राष्ट्रीय शर्मिंदगी बनते जा रहे हैं.

रिपोर्ट: एजंसियां/ईशा भाटिया

संपादनः ओ सिंह