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"कोयला ब्लॉक आवंटन अवैध"

२५ अगस्त २०१४

भारत के उच्चतम न्यायालय ने 1993 से 2009 के बीच किए गए सभी कोयला ब्लाकों के आवंटन को अवैध करार देते हुए निरस्त कर दिया है. कोर्ट के फैसले से ऊर्जा की मांग से जूझ रहे देश को तगड़ा झटका लगा है.

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तस्वीर: Bijoyeta Das

मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की खंडपीठ ने 163 पन्नों के अपने फैसले के कुछ महत्वपूर्ण अंश पढ़ते हुए कहा कि कोयला ब्लाकों का आवंटन अपारदर्शिता, मनमाना और जनहित के खिलाफ था. फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एक याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि कोर्ट ने 14 जुलाई 1993 के बाद से सभी कोयला ब्लॉकों का आवंटन निरस्त कर दिया है. वहीं सीबीआई के वकील अमित आनंद तिवारी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने केवल कोयला ब्लॉकों के आवंटन को गैरकानूनी और मनमाना करार दिया है. लेकिन इन ब्लॉकों को निरस्त करने के बारे में उसने कुछ नहीं कहा है. खंडपीठ की ओर से न्यायमूर्ति लोढ़ा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन में संबंधित प्रक्रियाओं और दिशा निर्देशों का सही तरीके से पालन नहीं किया गया. छानबीन समितियों ने भी संबंधित कायदे कानूनों के दायरे में रहकर फैसला नहीं किया.

लंबे अरसे से कोयला खदानों का आवंटन भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरता आया है. पिछली सरकार में कोयला घोटाले का मामला जोर शोर से उछला था. न्यायमूर्ति लोढ़ा ने अपने फैसले में कहा, "1993 से 2009 के बीच कोयला ब्लाक के आवंटन के सुझाव के लिए जांच समिति की सभी 36 सिफारिशों वाली बैठक अवैध है." सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आवंटन में न पारदर्शिता रही और न ही स्पष्ट दिशा निर्देश थे. साथ ही कोर्ट ने कहा कि आवंटन "कानूनी खामियों और मनमानी" से हुआ, जिसका खामियाजा लोकहित और जनहित को चुकाना पड़ा.

कोयला है, पर आपूर्ति नहीं

ज्यादातर कोयला ब्लॉक यूपीए सरकार के कार्यकाल में आवंटित किए गए थे. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोनहन सिंह को कोयला घोटाले को लेकर कोर्ट की कड़ी फटकार भी सुननी पड़ी थी. मनमोहन सिंह खुद 2006 से 2009 के बीच कोयला मंत्रालय देख रहे थे, मनमोहन सिंह कड़े शब्दों में इन आरोपों से इनकार करते आए हैं कि उन्होंने आवंटन में कोई गड़बड़ी की है.

आवंटन के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने वाले वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक करार दिया. कोर्ट ने कहा कि इस फैसले के मद्देनजर में ऐसी सभी कोयला खदानों का अंजाम क्या हो, यह इस बारे में आगे और सुनवाई करने के बाद ही सोचा जाएगा.

कुछ कोयला ब्लाक आवंटन में अब तक काम नहीं शुरू हो पाया है लेकिन कुछ खदानों में काम चल रहा है. भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा कोयला भंडार है लेकिन इस क्षेत्र में अव्यवस्था के कारण मांग पूरी नहीं हो पाती है. भारत के कुछ इलाकों में घंटों बिजली कटौती आर्थिक विकास को बाधित कर रही है. सवा अरब आबादी वाले देश में अब भी लाखों लोग बिना बिजली के जिंदगी गुजार रहे हैं.

एए/ओएसजे (एएफपी, एपी, वार्ता)