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कोरियाई तनाव आसमान की ओर

२७ मई २०१०

उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच तनाव तेज़ी से बढ़ रहा है. उससे भी तेज़ी से बढ़ रहा है दोनों के बीच का प्रचार युद्ध. दोनों देश अपने अपने ढंग से शक्ति प्रदर्शन में जुट गए हैं.

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सौल में उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: AP

उत्तर कोरिया ने घोषणा की है कि दोनों कोरियाई देशों के बीच दुर्घटनावश किसी सैन्य झड़प को टालने के समझौते से अब वह अलग हो रहा है. उसकी सेना के जनरल स्टाफ़ ने इस आशय की अपनी घोषणा में कहा है कि सीमा पार कर उत्तर आने-जाने वाले दक्षिण कोरियाई नागरिकों की सुरक्षा की अब कोई गारंटी नहीं होगी. साथ ही उत्तर कोरिया में बने दोनों देशों के साझे औद्योगिक परिसर कैसोंग की पूरी नाकेबंदी कर देने पर भी विचार किया जा रहा है.

Nordkorea Südkorea Kriegsschiff Konflikt
लड़ाई टालने वाले समझौते से हटा उत्तर कोरियातस्वीर: AP

उल्लेखनीय है कि उत्तर कोरिया के कैसोंग में दक्षिण कोरिया की 110 औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनमें लगभग 42 हज़ार उत्तर कोरियाई कर्मचारी भी काम करते हैं. उसकी नाकेबंदी कर देना अपने पैरों पर आप कुल्हाड़ी मारने के समान होगा, लेकिन उत्तर कोरिया को अतीत में भी ऐसा करने से कोई संकोच नहीं रहा है.

उत्तर कोरिया के जनरल स्टाफ़ ने यह चेतावनी भी दी है कि दक्षिण कोरिया की नौसेना ने यदि पीत सागर में उत्तर कोरियाई जलसीमा का ज़रा भी उल्लंघन किया, तो उस पर तुरंत हमला बोल दिया जाएगा.

दक्षिण कोरिया भी ताल ठोंकने लगा है. उसकी नौसेना के आठ जहाज़ों ने उत्तर कोरिया की पनडुब्बियों और गश्ती नौकाओं को ध्वस्त कर देने का एक अभ्यास पीत सागर में शुरू कर दिया है. दक्षिण कोरिया की सेना और वहां तैनात साढ़े 28 हज़ार अमेरिकी सैनिकों को हर स्थिति का सामना करने के लिए सजग कर दिया गया है.

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन दक्षिण कोरिया के साथ एकजुटता दिखाने के लिए बुधवार को सियोल पहुंचीं. उत्तर कोरिया के उकसावों को पूरी तरह अस्वीकार्य बताते हुए उन्होंने कहा, "हम सजग पहरेदारों की तरह 60 साल से साथ साथ खड़े हैं. कोरियाई प्रायद्वीप पर और इस पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए चौकस रहे हैं. यह अमेरिका की सुरक्षा और दक्षिण कोरिया की सार्वभौमता के प्रति चट्टान जैसी हमारी ठोस प्रतिबद्धता और ज़िम्मेदारी है."

Hillary Rodham Clinton in Japan Asien USA
क्लिंटन ने कहा, दक्षिण कोरिया के साथ हैंतस्वीर: AP

दोनों कोरियाई देशों के बीच तनातनी तो हमेशा ही रही है. आग में नए घी का काम किया 26 मार्च को एक दक्षिण कोरियाई पनडुब्बी के अचानक डूब जाने ने. पनडुब्बी के साथ 46 नौसैनिकों को भी जलसमाधि मिल गई. पांच देशों के विशेषज्ञों का एक जांच दल इस नतीजे पर पहुंचा कि उस पनडुब्बी को टारपीडो चला कर डुबा दिया गया था. इस दल का यह भी कहना था कि टारपीडो की बनावट वैसी ही थी जिस तरह के टारपीडो उत्तर कोरिया निर्यात करता है.

उत्तर कोरिया इस सब को मनगढंत आरोप बताता है और कहता है कि दक्षिण कोरिया के नेता यह सारा बखेड़ा जनता का ध्यान घरेलू समस्याओं से हटाने के लिए खड़ा कर रहे हैं. प्रेक्षकों का मत है कि आर्थिक तंगियों से जनता का ध्यान बंटाने का लालच उत्तर कोरिया के सामने दक्षिण कोरिया की अपेक्षा कहीं अधिक होना चाहिए. वहां तो भुखमरी तक की नौबत है.

इस बीच रूस ने कहा है कि वह पनडुब्बी कांड की जांच रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए अपने विशेषज्ञ दक्षिण कोरिया भेज रहा है. रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव ने कहा, "रूस पनडुब्बी के डूबने का सही सही कारण जानना और यह मालूम करना बेहद ज़रूरी मानता है कि इस घटना के लिए कौन निजी तौर पर ज़िम्मेदार है." उन्होंने कहा कि एक बार ज़िम्मेदारी का पता चल जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को समुचित क़दम उठाना होगा.

इस सारे घटनाचक्र में सबसे निर्णायक भूमिका चीन की हो सकती है. उत्तर कोरिया पर अब तक उसी का वरदहस्त रहा है, जिसके कारण अमेरिका भी गीदड़ भभकियां दिखाने से आगे नहीं बढ़ पाता. लेकिन, अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ सौल गए एक अधिकारी के हवाले से कहा जा रहा है कि चीन भी अब धीरे धीरे दक्षिण कोरिया के पास सरकने की फ़िराक में है. चीनी प्रधानमंत्री वेन चियापाओ शुक्रवार को सौल पहुंच रहे हैं और हो सकता कि उनकी इस यात्रा के साथ ही चीन का सरकाव भी शुरू हो जाए. यदि ऐसा सचमुच हुआ, तो उत्तर कोरिया दुनिया में और भी अलग थलग हो जाएगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/राम यादव

संपादनः ईशा भाटिया