कोलंबिया के आदिवासियों को संस्कृति खोने का गम
११ अक्टूबर २०१५उनकी जिंदगी में बदलाव के लिए कोलंबिया का विद्रोही संगठन फार्क जिम्मेदार है. हथियारबंद विद्रोहियों ने वर्षावन पर कब्जा कर लिया और खोआकीन के कबीले को बाहर खदेड़ दिया. नुकाक माकू कबीले के 27 साल के मुखिया ने पूर्वजों की हजारों साल की अमानत को खोते और आधुनिक सभ्यता के साथ विवाद को करीब से देखा है. इसकी वजह से कबीले के लोग दारूबाजी और ड्रग के शिकार हो रहे हैं, मजबूर होकर आत्महत्या कर रहे हैं.
हाथों में फूंकने वाले पाइप लिए 2005 में जंगल से बाहर निकले अधनंगे नुकाक कबायली इस बीच राजधानी बोगोटा से 400 किलोमीटर दूर सान खोजे में बनी बस्तियों में रह रहे हैं. निखबे कहते हैं, "हम अपनी संस्कृति खो रहे हैं. हमारी धरती में वह सब कुछ है जिसकी हमें जरूरत है. फलों के पेड़, मछली, पशु, हमारी धरती हमारी मां जैसी है. हमारी रक्षा करने वाली आत्माएं वहां हैं." खोआकीन निखबे उदास रहते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके बच्चे वह संस्कृति नहीं सीख रहे जिसके साथ वे बड़े हुए हैं.
नुकाक जनजाति का बाहरी दुनिया के साथ पहला संपर्क 1988 में हुआ था. ऐसा करने वाला वह कोलंबिया के 102 कबीलों में आखिरी कबीलों में शामिल था. तब से आधे लोग बीमारी से जान गंवा चुके हैं. अब उनकी संख्या सिर्फ 500 है. वे उन 34 आदिवासी कबीलों में शामिल हैं जो पांच दशकों की राजनीतिक हिंसा के कारण विनाश के कगार पर हैं. वे अपने इलाके में लौटना चाहते हैं. सरकार ने अगुआ बोनीता में 80 नुकाक लोगों के लिए खेती की जमीन दी है. वहां उनके जीने के परंपरागत तरीके में ह्रास को स्पष्ट देखा जा सकता है.
जस्ते की बनी चादरों ने ताड़ के पत्तों से बनी छतों की जगह ले ली है, गांव में हर कहीं गंदगी दिखती है, नुकाक लोकगीतों की जगह रेडियो से आधुनिक संगीत सुनाई देता है और बंदर के मीट जैसे परंपरागत खानों की जगह एरेटेड पेय और सरकारी फूड पैकेट ने ले ली है. नुकाक लोगों के कुपोषण और सांस की बीमारियों का इलाज करने के लिए परंपारगत चिकित्सकों की जगह सरकारी मेडिकल मिशन ले रहे हैं. शिकार के लिए उन्हें एमेजन वर्षावन में पांच किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, इसलिए अब वे शिकार नहीं करते. मर्द फुटबॉल खेलकर समय बिताते हैं और बुजुर्ग महिलाएं घर में बनाई गई चीजों को बेचने शहर के बाजारों में जाती हैं. आदिवासियों का सामना अब सीमा, संपत्ति और पैसे जैसी चीजों से हो रहा है.
इस बदलाव का असर चिंता और परेशानी के रूप में सामने आया है. और हर 10 दिन पर कहीं और चले जाने वाले खानबदोश नुकाक कुछ खोने की भावना से निबट नहीं पा रहे हैं. इससे भावनात्मक अस्थिरता पैदा हो रही है. अब जींस पहनने वाले निखबे कहते हैं, "जब हम अपनी धरती पर रहते थे तो हमें ज्ञान भी मिलता था. अब हम वहां नहीं रहते, पुराना ज्ञान खोता जा रहा है." राष्ट्रीय आदिवासी संघ के लुइस फर्नांडो आरियास कहते हैं कि दिल और दिमाग का संतुलन बिगड़ने से मानसिक रोग हो रहे हैं.
कुछ मामलों में तो विस्थापन के कारण हुई परेशानी के कारण नुकाक लोगों ने आत्महत्या भी कर ली है. 2006 में कबीले के मुखिया माव बी ने पौधों से बनी जहर बारबास्को पीकर आत्महत्या कर ली थी. आरियास कहते हैं कि उन्हें उम्मीद थी कि उनके लोग जंगल में लौट पाएंगे. उन्होंने संवैधानिक अदालत के सामने नुकाक लोगों की व्यथा रखी, लेकिन कुछ नहीं हुआ. "उनके जैसे दूसरे लोगों ने खुद को असहाय महसूस करते हुए आत्महत्या कर ली." लेकिन निखबे का कहना है कि आत्महत्या नुकाक जाति की संस्कृति का हिस्सा है.
बहुविवाह करने वाले नुकाक पहले जंगल में छोटे छोटे दलों में रहते हैं. अब जंगल से खदेड़े जाने के बाद वे 80 या 100 के दल में बस्तियों में रह रहे हैं. इसका भी असर परिवार और समुदाय पर पड़ रहा है. अगुआ बोनीता में रहने वाली दो बच्चों की मां मायर्ली कटुआ कहती हैं, "हम बहुत बहस करते हैं. पति पत्नी और परिवार एक दूसरे से बहुत लड़ते हैं." राहत संगठन सर्वाइवर्स इंटरनेशनल का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्या अपनी जमीन से विस्थापित होने वाले हर समुदाय की समस्या है. रेबेका स्पूनर कहती हैं, "वे दो दुनिया के बीच फंस जाते हैं. अतीत और भविष्य के बीच संबंध नहीं होता." शिक्षा के अभाव में नुकाक आदिवासी समाज की मुख्यधारा में शामिल नहीं हो पा रहे और अस्मिता के सवाल से जूझ रहे हैं.
एमजे/आईबी (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)