कोसोवो में कमाल का फुटबॉल
२५ जनवरी २०१४सर्बिया से छह साल पहले अलग हुए कोसोवो के लिए यह फुटबॉल क्रांति है. टीम में मैनचेस्टर यूनाइटेड के विंगर अदनान जानुजाज हैं, बायर्न म्यूनिख में खेलने वाले शेरदान शरीकी हैं, नेपल्स के वैलोन बेहरामी हैं तो जर्मनी की ही एक दूसरी टीम में खेलने वाले ग्रानित खाका भी हैं.
यूरोप के इस हिस्से ने 1990 के दशक में अजीबोगरीब हिंसा देखी है. जहां मानवता की खाल उधड़ गई हो, वहां फुटबॉल को भला कौन पूछता. लेकिन धीरे धीरे फुटबॉल लौट रहा है. कोसोवो के खिलाड़ी यूरोप के अलग अलग क्लबों में जगह बना रहे हैं. राष्ट्र के तौर पर कोसोवो अभी भी पूरी तरह स्थापित नहीं हो पाया है लेकिन फुटबॉल के नक्शे पर इसकी पहचान बन चुकी है.
कैसे बनेगी टीम
कोसोवो फुटबॉल संघ के महासचिव एरोल सालिहू कहते हैं, "हम दूसरे देशों के लिए खेल रहे खिलाड़ियों को अभी अपने यहां के राष्ट्रीय टीम में नहीं बुलाना चाहते हैं." उनका इशारा शरीकी की तरफ था, जो स्विट्जरलैंड के लिए खेलते हैं, "लेकिन एक बार जब कोसोवो पूरी तरह यूएफा और फीफा का सदस्य बन जाएगा, यह हमारा नैतिक दायित्व होगा कि उन लोगों के लिए दरवाजे खोलें, जो यहां पैदा हुए हैं या कोसोवो मूल के हैं."
साल 2008 में आजादी की घोषणा के बाद करीब 100 देशों ने कोसोवो को मान्यता दे दी है. हालांकि सर्बिया ने ऐसा नहीं किया है. इस वजह से संयुक्त राष्ट्र और फीफा में उसे मुकम्मल जगह नहीं मिल पाई है. समझौते की राह पर चलते हुए फीफा ने पिछले हफ्ते कहा कि कोसोवो सिर्फ दोस्ताना मैच खेल सकता है और इसमें राष्ट्रीय निशानों और प्रतीकों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इनमें कोसोवो के राष्ट्रगान भी नहीं बजाए जाएंगे. इसमें यह भी तय किया गया है कि पूर्व यूगोस्लाविया से अलग हुए छह राष्ट्रों के खिलाफ भी कोसोवो नहीं खेल पाएगा.
सर्बिया से अलग
यहां ज्यादातर अलबेनियाई मूल के लोग हैं. यह 1999 में सर्बिया से उस वक्त अलग हुआ, जब नाटो की बमबारी के बाद सर्बिया के लोगों को इलाका छोड़ना पड़ा. इससे पहले पूरा इलाका जातीय नरसंहार का दंश झेल चुका है. करीब एक दशक तक कोसोवो को संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में रहना पड़ा है. लेकिन अब मार्च में कोसोवो फराओ द्वीप, घाना और जमाइका के खिलाफ दोस्ताना मैच खेल सकेगा.
राष्ट्रीय कोच अल्बर्ट बुनजाकू का कहना है कि देश का असली लक्ष्य 2018 में रूस में होने वाले वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफायर में खेलना होगा, "मैं अच्छे खिलाड़ियों पर ध्यान दे रहा हूं. लेकिन मुझे पता है कि पहले खेल के साथ हम अलग दौर में प्रवेश करेंगे."
देश में सिर्फ एक फुटबॉल स्टेडियम है, राजधानी प्रिस्टीना में. यहां सिर्फ 16,000 दर्शक बैठ सकते हैं. गलियारों में पानी रिसता है. प्लास्टिक की कुर्सियां हैं और बहुत सी टूटी पड़ी हैं. स्वीडन ने कुछ उपकरण दान दिया है लेकिन इन्हें अभी लगाया नहीं गया है.
प्रिस्टीना एफसी के गोलकीपर कुशत्रिम मुशीका हर रोज इसी स्टेडियम में प्रैक्टिस करते हैं. उन्होंने कई देशों के ऑफर ठुकरा दिए हैं क्योंकि वे देश कोसोवो फुटबॉल को मान्यता नहीं देते, "मैंने पहले बहुत अच्छे खिलाड़ी यहां देखे हैं लेकिन हमें अलग थलग करने की वजह से वे चले जाते हैं. अब फीफा ने हमारे लिए नया दरवाजा खोला है."
एजेए/एमजे (रॉयटर्स)